अधकचरा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है,और यह जब ज्ञान बघारने वाला अपने को देश में सबसे ऊपर समझता है और यदि वह बेहद लचर बात करता है तो दुःख होता है यदि एक में पक्ष रखने का माद्दा नहीं है तो उसके पीछे चलने वाले तो और भी बेवकूफ हैं जो ऐसे व्यक्ति को मेन्टोर मान रहे हैं जिसमें न बोलने की अकल है न कुछ करने की और उसके पीछे लोग क्या सोच कर चल रहे हैं यह समझ नहीं आता है ।
नये नये आविष्कार हमें निरंतर प्रगति के मार्ग पर ले जारहे हैं। मानव मस्तिष्क नई नई खोजों में लगा रहता है साथ ही धन अधिक से अधिक किस प्रकार से कमाया जा सकता है लागत कम करके बचत अधिक होसकती है,अब हर चीज की मशीन का आविष्कार हो रहा हैजैसे गोलगप्पेकी मशीन रोटियों की मशीन, फूलबत्ती बनाने तक की मशीन अ गई्र है । ये मशीनें कई आदमियों का काम कर रही हैं तब मानव सहयोग की कम आवश्यकता रह गई है ,जब कि जन संख्या बढ़ रही है,काम बढ़ रहे हैं,तकनीकी ज्ञान बढ़ रहा है और आविष्कार बढ़ रहे हैं , इन मशीनों को कोई भड़काकर काम बंद नहीं करा सकता,यूनियन बाजी नहीं करा सकता । काम करने के लिये के लिये कम हाथों की आवश्यकता रहेगी,।साथ ही अब महिलाऐं भी काम करना चाहती हैं, वे केवल घर में रहकर गृहस्थी में समय नहीं व्यतीत करना चाहती है,ं वे भी रोजगार की लाइन में हैं । यह भी बेराजगारी का एक कारण है कि रोजगार अब दुगने चाहिये तब बेरोजगारी का बढ़ना तो तय है। बेकारी का मापदंड हर विपक्ष के पास सरकारी नौकरी का होता है। जो भी सत्ता में आयेगा क्या हर काम सरकार करेगी। देश के लिये अगर युवाओं को नौकरी चाहिये तो नौकरी देने वाला भी चाकहये नौकरी करने वाने से देने वाला अधिक बड़ा होता है ं अगर किसी देश को कमजोर करना हो तो उसके बड़े मिलमालिक या काम देने वालों को गाली देना प्रारंम्भ कर दो ,देश की अर्थव्यवस्था ठप्प हो जायेगी सब नौकरी करेंगे पर किसकी नौकरी करेंगे मिल वालों को तो गाली देदो उन्हें काम मत करने दो ,अगर अैक्स का पैसा नहीं आयेगा तो सरकार पैसा कहाँ से देगी । कितनी जरा सी बात भी किसी की अक्ल में नहीं आती ,यह एक हृदय की जलन मात्र है कि सारा देश को हम खाजायें ।
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