Tuesday, 30 July 2024

pention

 अब एक खबर पढ़ी कि नेताओं की पेंशन बंद होगी। यह एक राहत की बात है। जन

जन जानता है जो कुछ नेताओं पर समर्पित किया जाता है वह देश के कर दाताओं की महनत है जो अनेक प्रकार से भिन्न भिन्न मदों के माध्यम से कर देते हैं उसी से देश का खर्च चलता है तब कर दाताओं की आँख में क्रोध आना स्वाभाविक है कि उनकी दिन रात की मेहनत को नेता लोगों द्वारा फोकटिया निकम्मे लोगों पर न्यौछावर कर दिया जाता है ,ये निकम्मे लोग देश का नासूर हैं जो इसे समृद्ध नहीं खोखला कर देंगे ,और रही सही कसर नेता निकाल देंगे, अब एक पंक्ति पढ़ी पेंशन बंद होगी तो लगा शायद कुछ कर दाताओं के हृदय पर मलहम लगेगी ।

कर दाताओं का पैसा नेता अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिये किस बुरी तरह निकम्मों को पालने के लिये खर्च करते हैं वे पलें और उन्हें वोट दें वे अपने कोठे भरें न उन्हें देश से मतलब न जनता से जो बुरी तरह पिस रही है ।


Saturday, 27 July 2024

pention

 बार बार यह बात उठ रही थी कि नेताओं को पेंशन क्यांे? सांसद विधायक बनते हैं तब कहते हैं हम तो जनता की सेवा करने के लिये अपना समय दे रहे हैं। सब जानते हैं उस समय को देने के नाम पर वो जनहित के स्थान पर अपना हित ही कर लेते हैं। पूरा पूरा वेतन लेते हैं और सारी सुविधाऐं जो इस देश करोड़पति भी नहीं ले सकता है। अच्छे अच्छे करोड़पतियों के घर एक या दो से अधिक सहायक नहीं मिलेंगे जबकि नेताओं के घर में सहायकों की फौज रहती है ,वे वेतन में किसका पैसा देते हैं अपना नहीं क्योंकि सहायक सरकार देती है और फिर कहती हूँ सरकार के पास पैसा कहाँ से आता है वह आता है मध्यमवगै से ,सबसे उपेक्षित वर्ग से। साथ ही महत्वपूर्ण व्यक्ति बन सारा दिन फीता काटते रहना और उद्घाटन करना मुख्य काम होता है ,जन हित के कामों के लिये उनके पास समय ही नहीं होता और इस जन सेवा के नाम पर क्या क्या लाभ लेते हैं यह तो अब बच्चा भी जानता ह ैइसीलिये तो पानी की तरह पैसा चुनाव में बहाया जाता है।

Wednesday, 17 July 2024

Bhaloo se udha

 भालू से युदध

गैरार्ड चुपचाप कान लगाकर सुन रहा था। कुछ अजीब सी आवाज उसे सुनाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि किसी भारी जीव के हल्के पदचाप सूखी पत्तियों पर पड़ रहे हैं। उसने उत्सुकता से उधर देखा एक काला सा जानवर सड़क पा आ रहा था। पहले तो वह उसे देखता रहा फिर उसका चेहरा पीला पड़ गया। 

डेनिस वह चिल्लाया ,‘ओह भगवान् डेनिस ’

डेनिस ने घूम कर देखा। वह एक भालू था। कम से कम खच्चर की सी ऊॅंचाई वाला। वह अपने सिर को झुकाये सूघंता हुआ चला आ रहा था। डेनिस से मुँह से निकला,‘ भालू का बच्चा।’ 

ओह !ये दो शब्द जैसे उनके लिये काल बन गये। डेनिस के ये शब्द दोनो की आँखों के आगे पूरा चित्र खींच लाये थे। उनके आगे मरा हुआ भालू का बच्चा पड़ा था। अब उसकी माँ बच्चे को ढूढती आ रही थी। बच्चे को मृत देख कर उसका जो रौद्र रूप होगा उससे वह सिहर गये। 

दूसरे ही क्षण माँ ने दोनों को देख लिया। आकार मंे वह बड़ी तो थी ही क्रोध से उसके बाल भी खड़े हो गये थे जिससे वह दुगुनी बड़ी दिखाई दे रही थी। खुले हुए नुकीले दाँत उनकी तरफ बढ़ रहे थे। आँखे लाल हो गयी थी। और अंगारे बरसा रही थी। पत्तियों को रौंदती वह तूफान की तरह उनकी ओर बढ़ी। 

‘शूट’ डेनिस चिल्लाया लेकिन गेरार्ड ऊपर से नीचे तक कापता खड़ा रहा। ‘शूट ’‘ओ माई शैतान शूट’ बहुत देर हो गई। पेड़ पेड़ उसने बच्चे को फेंक दिया और गेरार्ड को सड़क की ओर धक्का देकर समीप के पेड़ पर चढ़ा। गेरार्ड उसके पास वाले पर। 

मगर भालूनी एक क्षण के लिये मृत बच्चे के पास ठिठकी न होती तो एक न एक का उसके पंजो से फटना निश्चित था। 

जैसे ही भालुनी को निश्चित हुआ कि उसका बच्चा मर चुका है उसने एक दिल दहलाने वाली चीत्कार लगाई और डेनिस के पीछे लपकी। तब तक वह उसकी पहुँच ऊपर पहुँच चुका था। 

दूसरे ही क्षण उसने पेड़ को पकड़ लिया और अपने नुकीले पंजे से पेड़ का एक टुकड़ा तोड़ लिया। उसने दोबारा अपने पंजें पेड़ में गाड़ दिये और ऊपर चढ़ने लगी। 

डेनिस का दुर्भाग्य उसे ऐसे पेड़ पर ले गया था जो मृत था और अधिक ऊँचा भी नही था। वह तेजी से बिल्कुल ऊपर चढ़ गया और इधर उधर देखने लगा कि कोई ऐसा पेड़ हो जिस पर छलांग लगा सके। लेकिन ऐसा कोई भी पेड़ नही था। यदि वह नीचे कूदता है तो भालुनी भी उसके पीछे कूद जायेगी। उसका रक्त माथे में चढ़ने लगा और वह छोटी फुनगियों तक चढ़ गया। 

मेरा समय पूरा हो गया। उसने सोचा मुझे मृत्यु का वरण एक साहसी व्यक्ति की तरह करना चाहिये। उसने एक हाथ में एक डाल कस कर पकड़ ली और दूसरे हाथ में छुरा निकाल लिया जिससे जैसे ही पहाड़ जैसा जानवर उसे खीचनें की कोशिश करे वह उसे छुरा मार सके। 

युद्व का अंजाम क्या होने वाला था इसमें कोई संदेह नही था। 

राक्षस सा शरीर ,सिर और कंधो पर बालांे और माँस का विशाल पिंड था। डेनिस उसके डंक मारने वाला था और वह डेनिस को अखरोट की तरह फोड़ने वाली थी। गेरार्ड का दिल अब कुछ कुछ ठीक हो चुका था उसने देखा उसका मित्र खतरे में है। भय से उसे एकदम क्रोध आ गया। एक क्षण में ही वह अपने पेड़ पर से उतरा और जाकर धनुष बाण उठा लिया जिसे वह भागते हुए छोड़ आया था और भालुनी के शरीर में एक वाण घुस गया। भालुनी क्रोध से और दर्द से पलटी ,‘दूर रहो डेनिस चिल्लाया नही तो यह मार डालेगी। ’

‘परवाह नहीं’ और दूसरे ही क्षण उसने दूसरा तीर मार दिया। 

भालुनी अपने दूसरे शत्रु को ओर लपकी और पेड़ से उतर गई। गैरार्ड भागकर अपने पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन अभी वह करीब आठ फुट की ऊँचाई पर था कि भालुनी उसके पीछे आ गयी और पंजा मारा और उसकी पेंट का कपड़ा उसके हाथ में था साथ ही कुछ माँस भी लेकिन गेरार्ड तेजी से ऊपर चढ़ता रहा। पास वाली शाखा पर उसने आवाज सुनी एक लंबी शाखा निकल रही थी। वह उसी पर चला गया और अंत तक पहुँच गया। भालुनी की आँखे बहुत तेज तो थी नही वह सीधी चढ़ती चली गई। गेरार्ड ने साँस छोड़ी ही थी कि भालुनी को अपनी गलती ध्यान में आ गई सभवतः गंध से वह रूकी। साथ ही गेरार्ड पर उसकी नजर पड़ी और वह उधर ही चल पड़ी। 

धीरे धीरे उसने एक पंजा उस पर रखा और शाखा को आजमाया। मजबूत पा गुर्राती वह धीरे धीरे आगे सरकने लगी। गेरार्ड ने नीचे देखा। करीब चालीस फुट की ऊँचाई पर था वह। मौत धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। उसके बाल खड़े हो गये। पसीना बह निकला। 

तभी एक तरफ टेंग की आवाज सुनाई दी उसने नीचे देखा। डेनिस बिल्कुल सफेद पड़ा हुआ तीर मार रहा था लेकिन भालुनी बढ़ती रही। दोबारा तीर मारा लेकिन भालुनी पर कोई असर नहीं हुआ। वह गेरार्ड के समीप आ गई उसने पंजा उठाया तभी लाल रक्त फव्वारे की तरह गेरार्ड पर पड़ा। तीर पंजे में लगा था। घायल भालुनी बिफर पड़ी। एक दूसरे तीर ने भालुनी को हिला दिया। जोर से टहनी हिली और गेरार्ड पेट के बल झूल सा गया। दूसरे ही क्षण विशाल दांतो के बंद होने की आवाज आई। भालुनी के विशाल शरीर ने एक बार और पंजा मारने की कोशिश की फिर पत्तियां और टहनियों को तोड़ती वह नीचे आ गिरी। 

नीचे से खुशी की चीख उभरी साथ ही दर्द की आह भी क्यांेकि गेरार्ड भी नीचे गिर रहा था। डेनिस उधर लपका और काफी हद तक उसके गिरने को बचाया । गेरार्ड मृत भालुनी के ऊपर गिरा। भालुनी के कंधे थरथराये लेकिन बेकार। उसने अंतिम साँस ली।



Sunday, 7 July 2024

Roman katha Upkar ka badala

 रोमन कथा


उपकार का बदला


बहुत समय पहले विटालिस नाम का व्यापारी घने जंगलों से गुजर रहा था कि जानवर पकड़ने के गड्डे में गिर गया। उस गड्डे में एक सांप और एक शेर पहले से ही मौजूद था। विटालिस ईश्वर को याद करता काँपता हुआ उन दोनों खूँखार जानवरों की ओर देखने लगा लेकिन इस समय वे स्वयं विपत्ति में थे इसलिये उसे घूरते चुपचाप बैठे रहे।

प्रातः काल जंगल में लकड़ियाँ बीनने के लिये आये एक लकड़हारे ने गड्डे से आती आवाजें सुन झाँक कर देखा। उसे देख विटालिस बोला, ”मैं वेनिस का रहने वाला विटालिस हूँ, धोखे से इस गड्डे में गिर गया हूँ, इस गड्डे में एक शेर और एक सांप भी है, ईश्वर की कृपा से अभी तो इन्होंने मुझसे कुछ कहा नही है परन्तु किसी भी क्षण ये मुझे खा सकते हैं, यदि तुम मुझे इस गड्डे में से निकाल दोगे तो मैं तुम्हें अपनी आधी जायदाद दे दूँगा।“

‘ठीक यदि तुम वादा करो तो मैं तुम्हें इसमें से निकाल दूँगा।’ लकड़हारे ने पूछा।

विटालिस भगवान की कसम खाता हुआ गिड़गिड़ाने लगा। जिस समय लकड़हारा विटालिस को निकाल रहा था शेर और सांप भी अपने ढंग से जताने लगे कि वह उन्हें भी निकाल दे। रस्सी और लकड़ी के सहारे शेर और सांप भी बाहर निकल आये। उन्होंने लकड़हारे के पैर चाटे और चले गये। विटालिस ने लकड़हारे को गले लगाया और चलने लगा तो लकड़हारे ने पूछा कि वह अपना वादा कब पूरा करेगा तो विटालिस बोला, ‘चार दिन बाद वेनिस मेरे घर आ जाना।“

लकड़हारा घर आकर खाना खाने बैठा ही था कि शेर एक मृत बकरी लेकर आया उसे लकड़हारे के सामने रखकर चुपचाप चलने लगा तो लकड़हारा उसकी माँद देखने चला। शेर की माँद देखकर वह वापस आया ही था कि सांप आया उसके मुँह में एक बहुमूल्य मणि थी। सांप ने वह मणि लकड़हारे की तश्तरी में रख दी। लकड़हारा सांप का घर भी देख आया।

चार दिन बाद लकड़हारा मणि अपने साथ लेकर व्यापारी के महल वेनिस शहर पहुँचा। उस समय विटालिस भोजन कर रहा था। लकड़हारे को देख अनजान बनते ”मैं अपना हिस्सा लेने आया हूँ।’ लकड़हारे ने याद दिलाते हुए कहा।

‘वाह! वाह! तुमने तो बड़ी आसानी से कह दिया कि हिस्सा दो पता है मैने यह धन कितनी मुश्किल से कमाया है। ’यह कहकर नौकरों से कहकर धक्का देकर उसे निकलवा दिया।

लकड़हारा बहुत दुःखी हुआ और शहर के न्यायाधीश को जाकर पूरा किस्सा बयान करते हुए सांप द्वारा दी गई मणि दिखाई। न्यायाधीश ने मणि जौहरी को दिखाई जिसने बताया कि मणि बहूमूल्य है। लकड़हारा, न्यायाधीश को दोनों जानवरों के रहने के स्थान पर ले गया, लकड़हारे को देखकर प्यार से उसके पैरों में लौटने लगे। न्यायाधीश समझ गया कि लकड़हारा सच कह रहा है। उन्होंने विटालिस को वादा पूरा करने की आज्ञा देते हुए कहा कि वादा पूरा करने की स्थिति में जेल की सजा दी जायेगी।



प्रस्तुतिः शशि गोयल