कब आयेगा बसंत
समाचार पत्र के
मुखपृष्ठ पर
काले सफेद रंगों में
तस्वीर है फूलों की
आज बसंत है
अरे आया बसंत है
खिड़की खोल देती हूं
बसंत आओ देखूं बसंत
नहीं रंगे हैं वस्त्र
विदेष में बसे बच्चों को
उत्साह से बताना चाहती हूं
आज आया है बसंत
पर यह उनका आज नहीं है
वे सोये हैं वर्फ की चादर में
सिकुड़े सिमटे गर्म घरों में
मोटे कोट और मोटी जीन्स में
आया होगा बसंत मेरे गांव में
मां ने रंगी होगी साड़ी
भाई की टोपी कमीज
बहन का सलवार कुर्ता
बबूजी का रूमाल
नानी सजा रही होगीथाल में
ब्ेार गुड़िया गुड्डा रेवड़ी
सरस्वती जी की तस्वीर
धेवते ध्ेावतियों के लिये
चैपाल पर जुड़े होंगे फगुनिये
बंध रहा होगा होली का ढंाटा
ढोलक की थपक थपक थाप
हल्दी लगेे हुए माथ
बुजुर्गो के आषीषों के हाथ
नृत्य की झमक झमक झंकार
सजे होंगे थापे द्वारद्वार
देवता के चरणों में गुलाल
मीठे चावल का भोग
मचा होगा ष्षोर
आज आया है बसंत
मैं ढूंढती हूं टीवी में बसंत
केवल कवियों की कविता में
और कहीं नहीं दिखा बसंत
वे ही सीरियल बहस
पंडितजी का समय चक्र
ष्षेयर बाजार के उतार चढ़ाव
ढूंढने लगती हूं बसंत
अपनी आलमारी में
मिलजाये कोई पीली साड़ी
कुछ देर ही सही मनालूं बसंत
कुछ देर ही सही मना लूं बसंत।