Friday, 23 December 2022

aaina

 साहित्य के आइने पर समय की धूल लग जाती है। समाज को उसकी छवि दिखाने वाला आइना अपनी आभा खो बैठता है अनेक और आइने झांकने लगते हैं।वह आइना पास होते हुए भी दूर और दूर होता जाता है छोटा और छोटा,

कभी आइना था कभी हम थे और समाज था । अब समाज है आइना है हमारा अक्स घुधला गया है ।


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