लाटरी
रोमन सम्राट आगस्टस व नीरो ने निर्माण कार्य के खर्च के लिये लाटरी आरम्भ की। इंगलैंड की रानी ऐलिजाबेथ प्रथम ने लाटरी पर पुरस्कार की अनुमति दी थी। हमारे भारत में केरल के साम्यवादी मंत्रिमंडल ने लाटरी षुरू करके खूब पैसा कमाया है इसके पूर्व रूस की साम्यवादी सरकार ने दूसरे महायुद्ध का खर्च निकालने के लिये लाटरी चलायी और एक लाख रूबल पुरस्कार की घोषणा की। भारत में ब्रिटिष राज्य में ही लाटरी का पा्ररम्भ हो चुका था। 1789 में पीटर मैसे कैसीन नामक व्यापारी ने स्टाॅक एक्सचेंज की इमारत बनवाने के लिये लाटरी की योजना सोची। उस समय स्टार पागोडा वाला 3.50 रु॰ कीमत का सिक्का चलता था। ऐसे एक लाख पगोडा के इनाम की घोषणा की गई जिसमें पहला इनाम पांच हजार पागोडा का था,फिर ढाई ढाई हजार के दो, एक हजार के पांच, पांच सौ के दस,,ढाई सौ के बीस ,एक सौ के पचास और पचास के सौ था बीस पागोडा के 3212 यानि कुल 3400 पुरस्कार रखे गये थे। इसके अलावा पहला टिकिट लेने वाले को 500 और आखिरी टिकिट खरीदने वाले के लिये 360 पगोडा का पुरस्ैकार रखा गया था ।
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