ऽ हम अपनी हस्ती तुरंत मिटा देते हैं । हमारे ऊपर सामने वाला हावी हो जाता है और हम उसकी भाषा में बात करने लगते हैं यहाॅं तक कि हमें अपने भगवान् पर भी विश्वास नहीं रहता कि हमारे सोचने से किसी को आशीर्वाद भी देंगे। हम तुरंत सामने वाले के भगवान् से ही अपनी बात करने को कहते हैं अर्थात् हमें अपने भगवान् पर भी भरोसा नहीं है। सामने वाले का भगवान् उसका है उसके लिये तुरंत उसके भगवान् को बुलाने लगेंगे । भूल कर भी अपने भगवान् से नहीं कहेंगे कि आप कुछ कृपा हमारे मित्र पर भी कर दो। नहीं पता नहीं नहीं की तो उनकी इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी बताओ तो? इसलिये ईसाई से कहेंगे,यीशू आपका भला करें मुसलमान से कहेंगे अल्लाताला आपकी खैर करे सिख से कहेंगे वाहे गुरू की कृपा हो। पंजाबी से कहेंगे माता रानी की जय हो। भूलकर भी अपने किसी भगवान् का नाम नहीं लेंगे। कहीं भगवान् को सामने वाले का धर्म छू न ले । अंदर की बात है डरते हैं कि सामने वाला बुरा न मान ले ।
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