Thursday 7 May 2020

करोना का रोना

वो घूम रहा है मस्त मस्त
हम अंदर बैठे त्रस्त त्रस्त
वो दस्तक देता द्वार द्वार
घबराकर रोते जार जार
हम ताक रहे कपड़ा लपेट
ल्ेा ले न कहीं अपनी चपेट
पल भर में करता राख नगर
रोकी उसने हर डगर डगर
कोई कहता मैं महाशक्ति
हम में देवों की महाभक्ति
हम देख रहे आंखें निकाल
पर नहीं दिखा नन्हा त्रिकाल
चल रही हवा में है तलवार
अदृश्य शत्रु कर रहा वार
इक सूक्ष्म जीव ने डरा दिया

1 comment: