किसी से भी बात करो वह परेशां है जैसे फिजा मैं परेशानी घुल गई है मुस्कान छिन गई है सुख और आनंद क्या होता है जानते ही नहीं सीधे यही सुनने को मिलेगा किस बात की ख़ुशी क्या है जीवन मैं आनंद है ही नहीं आनंद क्या होता है हम नहीं जानते और वह हजारों दुःख के कारन बता देगा। इसके जिम्मेदार हम खुद हैं हम आनंद इसमें खोजते हैं हमारे पास इतना पैसा हो कि हम हवाई जहाज मैं घूमें देश विदेश घूम कर आया आदमी भी खिन्न होगा वह कहेगा अरे क्या गजब का सामान मिल रहा था नहीं खरीद पाए सारा आनंद उनका कुढ़ने मैं ही चला गया।
आनंद बहुत छोटी छोटी बातों से लिया जा सकता है बस मन की इच्छाएं कम कर लें या बचपन को न भूलें। परिवार खाना खा रहा हो तो भवें न टेढ़ी हो बस दो शब्द माँ क्या मजा आया गरम रोटी खाकर माँ आधी रात पर भी उठ कर रोटी बना कर देगी और माँ का दिन तो उतना सुन कर ही आनदित हो जाता है और प्यार से बनी रोटी अमृत रस देती है एक तो खालो और निगल लो बहुत अंतर है वही आनद और सुख में है पापा यदि जरा कह दे पापा कहाँ हो ?
क्यों ?क्या बात है
ओह पापा बहुत देर से देखा नहीं था
शायद उसके बाद पापा का दिन बहुत आनंद से बीतेगा कि उसके परिवार को उसकी जरूरत है
ख़ुशी इन छोटी छोटी बातों मैं है
आनंद बहुत छोटी छोटी बातों से लिया जा सकता है बस मन की इच्छाएं कम कर लें या बचपन को न भूलें। परिवार खाना खा रहा हो तो भवें न टेढ़ी हो बस दो शब्द माँ क्या मजा आया गरम रोटी खाकर माँ आधी रात पर भी उठ कर रोटी बना कर देगी और माँ का दिन तो उतना सुन कर ही आनदित हो जाता है और प्यार से बनी रोटी अमृत रस देती है एक तो खालो और निगल लो बहुत अंतर है वही आनद और सुख में है पापा यदि जरा कह दे पापा कहाँ हो ?
क्यों ?क्या बात है
ओह पापा बहुत देर से देखा नहीं था
शायद उसके बाद पापा का दिन बहुत आनंद से बीतेगा कि उसके परिवार को उसकी जरूरत है
ख़ुशी इन छोटी छोटी बातों मैं है
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