परन्तु कैसे ..........एक प्रश्न चिन्ह सबके चेहरे पर उभर आया। वह छात्र बोला, भारतीय ज्ञान का प्रचार पूरे विश्व में हो इसकी ज्योति विश्व में जगमगाये उससे कीमती तो हमारा जीवन नहीं है यह कहकर वह उठा और उफनती नदी की लहरों में कूद कर उत्ताल तंरगों में वह लोप हो गया। और उसका अनुसरण उसके मित्र भी करने लगे। अथाह जल में कई शरीर विलुप्त हो गये। पता नहीं कुछ नदी पार कर पाये या नहीं इतिहास उनके कूदने तक का गवाह है। हवेनसांग सिहर उठा उसके नेत्रों से उन अमर बलिदानियों के लिये झर झर ऑंसू बह उठे।
भारतीय संस्कृति का सर्वोच्च उदाहरण उसके सामने था। वह सकुशल उन ग्रन्थों के साथ अपने देश पहुंच गया। लेकिन एक अमिट लकीर उसके जीवन पटल पर खिंच गई। पुस्तक पढ़ना लिखना यही मानव होने की विशिष्टता है। पुस्तकों से मानव को एक लगाव होता है। पेट की ख्ुाराक यदि रोटी है तो दिमाग की खुराक पुस्तक है। लेखक का लिखने के लिये मस्तिक को केन्द्रित करना आवश्यक है। उसे केन्द्रित करने के लिये अलग अलग तरीके अपनाये जाते है। आगे बढ़ने से पहले मैं स्पष्ट कर दूॅ। यहॉं उन पुस्तकों का उल्लेख है जो पुस्तक रूप में अन्य सामान्य पुस्तकों से भिन्न हैं। जो असाधारण है। इस लेख का संबंध उन पुस्तकों से कतई नहीं है जो अपने विषय के लिये सरकार द्धारा जब्त की गईं या सबसे अधिक बिक्री का इतिहास बनाया।
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