तैयारी
82 वर्षीय दादाजी के चारों ओर परिवार के लोग खड़े थे। दादी जी ने उनके कान के लौ देखे उदासी से बोली, बहू बस अब आखिरी समय आ गया है।
उनकी आँखों से मलमल आँसू गिरने लगे। बहू उन्हें सांत्वना देती उनकी पीठ पर हाथ रख लिया। डाॅक्टर ने भी मुआयना किया बेटा क्या देख रहा है उल्टी सांस चल रही है सुबकते दादी ने कहा।
अम्मा डाॅक्टर साहब को अपना काम करने दो, बड़े बेटे ने रोका। सबकी आँखे घिरी हुई थी।
डाॅक्टर साहब ने फिर नया बनाया और पकड़ाते कहा, देखिये कहकर चले गये। पर बूढ़ी आँखों ने जमाना देखा था बहु से बोली, अब कुछ घंटो के मेहमान है देखो बहू ओढया बिछइया का और नाग पानी का देख लीजो सर्द है रजाई वगरेह सब निकलवा ले बड़े संदूके में गद्दे रखे हैं।
बड़ी बहू और छोटी बहू दोनों की आँख मिली इंतजाम के लिये उठ गई जरा घर भी ठीक करो छोटी आने जाने वाले आयेंगे पानी वगेरह का इंतजाम भी रखना पड़ेगा। अरे वो मेरे कमरे का गीजर खराब है एकदम नहाने वालो की लाइन लगेगी शामू जा बिजली वाले का बुला ला।
छोटी बहू कमरों की साफ सफाई में लग गई बड़ी बहू ने अपने बेटे की बहू से कहां बेटा अब दादाजी का कुछ ठीक नही है जरा सब तैयारी रखना सब आयेंगे जायेंगे।
पाते की बहू ने आईना देखा गाड़ी उठाई तुरंत तैयारी के लिये ब्यूटीपालेर चली गई फैशियल वगेरह करा लूँ। सोचकर।
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