Thursday 14 December 2023

Niyam to niyam hain

 


नियम तो नियम है नियमों का क्या

नियम तो नियम है इनके लिये सोचना क्या ये तो हैं ही टूटने के लिये। बनते हैं टूटते हे बनते हैं टूटते हैं और नियम बनते हंै किस के लिये। उस से सम्बन्धित सभी कर्मचारी, पुलिस, अधिकारी सबकी पीढ़ियाँ तर जाती हैं। जब जेब ढीली पड़ जाती है तब नियम की याद आ जाती है कि चलो नियम ढीले पड़ गये हैं कसा जाय जेब भी टाइट चल रही है।

पाॅलिथिन बंद... हल्ला, होहल्ला गाय मरती है, नाले चोक होते हैं मिट्टी खराब होती है लेकिन मिट्टी खराब हो जाती है छोटे दुकानदारों की, ठेले वालों की एकदम से थैलियाँ जब्त, साथा ही फाइन। लाला चल अब कुछ दिन मौज कर अब अगली बार तुझ पर हाथ नहीं डालेंगे। और ठेले वाला धड़ल्ले से फिर थैलियाँ देता है सबकी जेब भी भर जाती है और पाॅलिथिन अभियान खत्म।

दूसरे विभाग का अभियान चालू होता है । जब जिस चैराहे पर याद आती है और उसमें भी देखते हैं ,कौन मरगिल्ला पिद्दी सा है। सूट बूट वाले या दबंग से शान से बिना हैलमेट चलते हैं और उसकी बगल का टूटा सा स्कूटर  चलने वाला पकड़ में आता है  जेब में पैसे नहीं हैं बेटा  घर जा बेटा पैसे  जा चाहे सिर फोड़ या टांग कटा।

नियम बना 10 बजे तक बैंडबाजा बरात का मोहल्लो के बरातघर बंद शोर से ट्रैफिक से जनता है परेशान हैरान जिसकी लाठी उसकी भैंस जो दबंग है 12 बजे तक शोर मचाये, बाजे बजाये, गोली दागे पटाखे चलाये बम फोड़े।

जनता के कान फूटे, बीमार मरे दिल के मरीज की धड़कन बंद हो तो क फर्क पड़ता है शादी तो एक दिन होनी है मुहल्ले के कान तो रोज फूटते है सुबह 4 बजे ढोल नगाड़े से शुरू हो जाता है। बाबुल की दुआएं अब चाहे बाबुल कितना ही सुखी संसार के लिये दुआ देगा पर मुहल्ले का मुहल्ला बददुआ देगा जैसे तूने हमारी नींद उड़ाई भगवान तुम्हारी नींद उड़ाई जैसे तुमने हमे उठाये रखा है भगवान तुम सबको उठाये। अब शादी में कियन तो है कि जब तक पूरे जोश से बासुरी धुन न गाई बजाई जाय शादी शादी न मानी जाती।


No comments:

Post a Comment