11 सितम्बर महादेवी वर्मा का स्मृति दिवस है।
कर दिया मधु और सौरभ दान सारा एक दिन
किन्तु रोता कौन है , तेरे लिये दानी सुमन ( नीहार)
महादेवी वर्मा का काव्य प्रेम प्रकृति रहस्य और वंदन पर अबलंबित है। प्रारम्भिक गीतों में अलौकिक प्रेम का चित्रण हुआ है। उनके गीतों में आत्मा का विशुद्ध प्रेम समाहित है। काव्य कला के माध्यम से आशा आकांक्षा मिलन प्रतीक्षा शून्यता नैराश्य, अतृप्ति, पीड़ा आदि प्रेम की इन मानसिक स्थितियों का सुंदर चित्रण किया है । उनकी प्रेम भावना अन्र्तमुखी है इसलिये उसमें भाव - सौंदर्य,स्वप्नमयता एवं आन्तरिकता सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है।
महादेवीजी ने गद्य पद्य दोनों का विपुल भंडार दिया है नीहार रश्मि नीरज सांघ्यगीत दीप शिखा यामा संधिनी आधुनिक कवि आदि प्रमुख काव्य संग्रह, समृति की रेखाऐं श्रंखला की कड़ियां, अतीत के चलचित्र आदि उनकी प्रमुख गद्य रचनाऐं हैं।
उन्हें काव्य साहित्य साधना के लिये सैक्सरिया मंगलाप्रसाद ,पद्मभूषण ,ज्ञानपीठ, भारत भारती पुरस्कार से सममानित किया गया। जहां वे काव्य कला में सिद्ध हस्त थीं वहीं चित्रकला में भी सिद्धहस्त थीं उनके चित्र भी काव्य भावना से अनुप्राणित थे । गीतों की तरह प्रकृति पूजा साधना और समर्पण पर अबलंबित हैं। उनका हर चित्र अपने आप में संपूर्ण काव्य है। उनमें अनकहे बहुत कुछ सुनाई देता है। महादेवी वर्मा एक जागरूक कलाकार थीं
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