Monday, 26 March 2018

jai ho netaon ki

इस देश  मैं धकेलने के लिए  नेता नए नए शगूफे छेड़ते हैं  और मनमाने अधिकार  हैं परेशान मौजूदा जो  सरकार होती है गद्दी बचाने के लिए मान लेती  है
देश जाये भाड़  मैं
मौज मनाये आड़ मैं
बस  नीति है नेताओं की। आरक्षण भी एक बहुत बड़ा माध्यम है इस निति का आंदोलन कर्ता  देश  बेकार नौजवान या बाप की कमाई को फूकने  के लिए   तैयार जिन्हे कोई काम तो है नहीं सोच लेते हैं कि उड़ कर लग गई तो नेता बन जायेंगे फिर  पैसा खाने का  मजा   ही  है  उसका तो लाइसेंस मिल जायेगा नहीं तो कुछ वैसे  मजा लेलें निकम्मे हैं कुछ पत्थर मारकर ही दूसरों को लूट लें  इस लूट  कोई दावेदार नहीं चलो फ़ोकट  छीन लो हर आंदोलन  मैं सोलह से पच्चीस पच्चीस  साल के लडके उधम  मिलेंगे जिन्हे  यह भी नहीं पता   होगा कि  किसके लिए हाय  हाय  कर रहे हैं नहीं तो ऐसे कैसे कोई अपनी मिटटी  लिए हाय कर सकता है कुत्ता भी जिस घर से रोटी पाता है उसकी पहरेदारी करता  है नेता माला पहन मुस्कराएंगे बेवकूफ उनकी जय करते पीछे पीछे चलेंगे अगर अपनी  अकल लगाते तो क्या हम  गुलाम रहते कोई कोई भी आंदोलन हो अहित जनता का है  है आंदोलन करता तो फिर फर्श  अर्श  पहुँचता है

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