Sunday 19 February 2017

मम्मी सच बोलो

    मधु ने आश्चर्य से अपनी मम्मी की ओर देखा। अभी उसके गाल पर मम्मी की उंगलियों के निशान थे और उसकी बड़ी बड़ी आंखों में आंसू। आज मधु का परीक्षा फल आया था सब में जैसे तैसे पास इसी बात पर मम्मी ने कसकर चांटा लगाया था और अब विमला आंटी से कह रही थी हमारी मधु तो फर्स्ट आती है हमें कोई परेशानी नहीं। वह तो कभी फर्स्ट तो क्या पहले दस बच्चों में भी नहीं थी।
‘मैं फर्स्ट... नही आई हूँ ’कह पाती कि मम्मी ने डांटते हुए कहा, जाओ हाथ मुँह धोओ यह तो होता ही रहता है अबकी बार सही।
विमला की आंखों में संशय देख सुनीता बोली, ‘अरे! विमला बहन आज ही तो रिजल्ट आया है इस बार दो नंबरों से पीछे रह गई है ,सैकिंड आई है तबसे रो रो कर बुरा हाल कर रखा है। अब कान्वेट स्कूलों में एक एक नंबर से कम्पटीशन रहता है।’ विमला के दोनों बच्चे सरस्वती स्कूलों में पढ़ रहे थे। सुनीता के चेहरे पर गर्व का भाव था।
मधु जब तक तैयार होकर आई तब तक कमरा बहुत सी आंटियों से भर चुका था। अज घर में किटी पार्टी थी। कमरा हाय! नमस्ते जी नमस्ते से गूँज रहा था। सबका विषय बच्चों की अंग्रेजी स्कूलों की पढ़ाई का भार और उनका रिजल्ट था। मधु ने नेहा और क्षिप्रा को देखा। मधु को देखते ही उसकी मम्मी बोली, मधु अपनी सहेलियों को बाहर लॉन में ले जाओ।
झूले पर झूलते क्षिप्रा नेहा से बोली,‘नेहा मेरी कौन सी रैंक आई है ’
       ‘मेरी सेविनटीन्थ आई है ’
       ‘पर पता है तेरी मम्मी गोयल आंटी से कह रही थी कि तू फर्स्ट आई है,मुझे तो हंसी आ रही थी’
       ‘मम्मी की क्या मम्मी तो  आंटी से कह रही थी  कि तू फर्स्ट आई है ’ नेहा ने बडों की तरह गर्दन मटकाते हुए कहा ‘फर्स्ट तो हमेशा दीपा ही आती है या निकिता ’
मधु की समझ में नहीं आ रहा था कि सब मम्मियॉं झूठ क्यों बोलती हैं । कल मम्मी सेल में दोसौ रूपये की ड्रैस लेकर आई और बारह सौ की बता रही थीं । अनू तो कह रही थी हम बड़े होटलों में शाउी ही में जाते हैं पर उसकी मम्म्ी कभी किसी होटल का कभी किसी होटल का नाम लेकर कहती हैं कि  डिनर वहॉं किया । पर जब कि खाली चाट खाकर वापस आ जाते हैं ।ऊपर से यह फर्स्ट आने की बात खूब रही ।यहॉं तो सबके बच्चे फर्स्ट आते हैं । अपने गाल को सहलाती हुई भी वह हंस पड़ी । तभी चलने के लिये नेहा की मम्मी ने आवाज लगाई तो झूला छोड़ सब अंदर आ गईं
  तभी एक महिला बोली, ‘मधु रिजल्ट दिखाना अपना।’
‘रिजल्ट ’भरे हुए गले से मधु जोर से बोली, ‘मैं नहीं दिखाऊँगी अपना रिजल्ट। मैं नेहा क्षिप्रा कोई भी फर्स्ट नहीं आता। मैं तो अर्थमेटिक में फेल हो गई हूँ। फर्स्ट तो हर साल दीपा आती है। ओर बताऊँ छुट्टियों में मम्मी कहीं पहाड़ वहाड़ नहीं जाती बस नानी घर रहकर आ जाती है।’
मम्मी की तीखी आवाज उसके कान में पड़ी ,‘मधु...मधु क्या बात है जाओ यहॉं से।’
‘नहीं मैं सब बताऊँगी। सब मम्मियाँ झूठ बोली है ? झूठ क्यों बोलती है यह मेरी फ्राक ़़़़’  ‘ मधु ज्यादा बड़ों के बीच नहीं बोलते ’ मम्मी चकी तीखी आवाज से रोती हुई मधु अपने कमरे में जाकर चादर ओढ़ कर लेट गई। मन ही मन डर से कि आज अभी और पिटाई होगी। लेकिन फिर भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि वह सब कह आई।   

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंलवार (21-02-2017) को
    सो जा चादर तान के, रविकर दिया जवाब; (चर्चामंच 2596)
    पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. दिनांक 22/02/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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