Friday, 20 September 2013

Akhbaron main hum

रोज रोज अख़बारों मैं छपते हैं लोग
ख़बरों की सुर्खी बनते हैं लोग
हम भी उठाएंगे समाज सेवा का बीड़ा
हरेंगे हम भी समाज की पीड़ा
पोलिथिन  हटाने का अभियान अच्छा
पर्यावरण बचाने का इंतजाम सच्चा
बाजार मैं जाके  थैले  सिलाये
दरजी के दस बारह चक्कर लगाए
अखबारों के दफ्तर तक दौड़ लगाई
अच्छा काम है खबर छाप  देना भाई
चौराहे पर खड़े होकर भाषण शुरू किया
अखबार वाले न आये घंटा भर बीत गया
लोगों की गर्दन उचकी सरक गई
मोहल्ले की एक औरत पागल हो बहक गई
जैसे तैसे एक अखबार का रिपोर्टर आया
कैमरा मैन  उसका न फिर भी साथ आया
थैले फ़ोकट मैं मिल रहे है भीड़ लग गई
 सोई थी जनता एकदम जग गई
धक्के पर धक्का खाकर किनारे खड़े थे
कुछ थैले टूटे कुछ फटे पड़े थे
न जाने कहाँ से अखबार वाले आगये
दनादन दनादन कैमरे चमका गए
दुसरे दिन अखबार मैं छोटी सी खबर आई
भरे बाजार मैं थैलों की वजह से हुई हाथापाई
फोटो तो छापी नहीं पैसे जरूर झटक गए
दूसरे दिन बाजार मैं फिर प्लास्टिक के थैले लटक गए

Thursday, 19 September 2013

apna nash kar rahe hain hum

इतिहास गवाह है सबसे अधिक युद्ध  धर्म के नाम पर हुए हैं मानव ने अपने को बाँट तो अनेक धर्म मैं है  लेकिन सब धर्मों का स्वरुप एक  है कहीं भी विनष्टि की शिक्षा नहीं दी जाती है  पर मानव ने हर धर्म का अंत विनाश  मान लिया है हम देवी देवताओं को प्यार से घर लाते  उनकी पूजा करते हैं फिर विसर्जन कर देते हैं  अब भगवन बहुत  हुआ अब अप मिलो मिटटी मैं हमे मुक्त करो अब पूरे साल  हम मनमानी कर  फिर आप  को मन लेंगे आप हमारे को माफ़ कर देना  साथ ही विनाश की ओर  एक कदम और बढ़ा देते है नदियों को प्रदूषित करके  मेरे गणपति तुझसे छोटे नहीं हो सकते  तरह तरह के चमकदार रंगों से  रंग कर  अपने पीने वाले  मैं मिला देते हैं  जिसकी हमने पूजा की है उसे  पानी मैं विसर्जन कैसे किया जा सकता है  हर कदम हमारा विसश की ओर ही है स्वयं अपने विनाश की ओर.बृज मैं बहुत उत्सव हैं  देवी  देवता भी रखे जाते थे लेकिन केवल छोटी सी मति की डली  के रूप मैं  और उसे घर मैं तुलसी के पोधे  से उठाया जाता और वहीँ मिला दिया जाता था  यमुना मैं जहर नहीं घोला  जाता था
रहती थी मैं मस्त गगन मैं खेल कराती थी  पेड़ों से
अब तो एसी  की गर्मी मैं जलाता रहता है  मेरा तन
जब तक बह पाऊँगी बह लूंगी जीलो जीलो जीलो
कालिदी  थी स्याम रंग की मन से रंगी हुई थी
देख देख कर अपने जल को दुःख से भरी  हुई थी
कहती है  जब तक मुझमें जल पीलो पीलो पीलो
गंगा जल तो बात दूर की  अब पानी भी भूलो
फिर तो है बस काली  कीचड  पीलो पीलो पीलो

Monday, 16 September 2013

nanhi kali

मैं एक नन्ही कली
तुमने मुझे लगाया
मुझे सहेजा
मैं अभी खिली भी न थी
तुमने तोड़ लिया
खोंस दिया  प्रेमिका के बालों मैं
तकिये पर कुचली गई मैं
तुमने मुझे माला मैं पिरोया
पहना दिया नेता को
वह मुस्कराया
उतारकर रख दिया
भागती भीड़ के
जूतों के नीचे कुचली गई मैं
तुमने मुझे देवता पर चढ़ाया
देवता के प्रति श्रद्धा
अर्पित भी न कर पाई
फेंक दी गई उतर कर
भक्तों के पैरों तले  कुचली गई मैं
मेरी माँ ने फिर भी न छोड़ी उम्मीद
वह हारी नहीं  जुट गई बनाने मैं एक नन्ही कली

Sunday, 15 September 2013

beti dari hui hai

आजकल प्तातिदीन  लड़कियों के प्रति होते अपराध इतने बढ़ गए हैं की समझ नहीं आता की क्या मनुष्य हैवान हो गया है।  कभी लड़कियां इतनी असुरक्षित नहीं रहीं एक छोटी सी लड़की माँ से कह रही थी माँ क्या मैं भी ऐसे ही मर जाउंगी माँ तू बचा लेगी न मुझको
माँ नहीं छोड़ना मेरी ऊँगली हर पल डर लगता है
दुनिया रिश्तों को है भूली चलते चलते रुक जाती है
हर आहट पर डर जाती है जैसे जैसे बढती काया
घर भी अपना हुआ पराया  विश्वास किसी पर मत करना
हर पल साथ मुझे रखना  चाचा मेरे पिता समान
कभी कभी लगते शैतान छोटी झिरियो से झाकती
भाई की आँखे लेती पहचान
सोते सोते अनजाने हाथों से डरती हूँ ,हसना और खेलना भूली हर पल मैं मरती हूँ
मेरे हित क्यों आसमान ने अपने पंख समेटे
क्यों क्रूर काल  बन कर आते है  सूरज के ही बेटे
तेरी राजदुलारी बेटी को जीने की आशा
अपने पंखों में ताकत भर उड़ने की अभिलाषा
काँप रहे हैं पैर ह्रदय मैं बढती घोर निराशा
माँ नहीं छोडना मेरी ऊँगली

safal

आज वह  सफल है जिसने सर्वाधिक घोटाले किये हैं और हेराफेरी कर अरबों रुपये जमा किये है  घोटाले करने के साथ उनके सीने चौड़े  ही हैं और उन पर किसी प्रकार की आंच नहीं आई है  वे सफलतम व्यक्ति हैं। पहले धन कमाने के लिए व्यापारिक बुद्धि  दूरदर्शिता चाहिए थी पुराने औद्योगिक  घराने व्यापारिक बुद्धि की वजह से देश के सर्वाधिक धनीमानी  व्यक्ति  हुए मणि से तात्पर्य  माननीय है  क्योंकि धन  कपट से नहीं कमाया होता था  वे असली धनि होते थे  तो सबका आदर भी प्राप्त करते थे  अब सफल वाही है जो सबसे अधिक छल  कपट से धन एकत्रित कर सकता है  पर वे माननीय नहीं होते  अब धन सर्वोपरि हो गया है  तो हम पुरने कुछ नेताओं को या शहीदों को माननीय नहीं मानेगे क्योंकि उन्होंने धन नहीं जमा  किया देश  को बेचा  नहीं उनके घर वाले बड़े बड़े पदों पर न होकर साधारण जिंदगी जी रहे है  उनके बैंको मैं कागज की गड्डिया  नहीं हैं  उनका परिवार कहाँ है कैसा है किसी को नहीं मालूम  हाँ पैसा वाला  तरणताल मैं कितनी लड़कियों के साथ है यह सबको मालूम है उनको छींक भी आती है तो सारे देश मैं उसकी आवाज गूँज उठती है  अब्सफल वो जिनके कुर्सी पर बैठते ही कुर्सी सोने की हो जाती है और घर महल
देश हमारा  हमको प्यारा खालो खालो खालो
बीस बीस पैसे करके तुम रूपया एक बचालो
हम महलों की बात करें  ,तुम कुटिया एक छ्वालो देश --
सौ रुपये जब हो जाएँ तो हमको देदो दान
अनशन और उपवास करो  यह करता है कल्याण
लेकर के खडताल हाथ मैं गलो गालो गालो
घोटालों की बात न पूछो खालो खालो खालो

Sunday, 8 September 2013

braj ki mati

ब्रज की माटी  उठाई जो हाथों मैं अपने
लगा हाथ मैं राधा का तन महकने
नाची होंगी यहाँ  कृष्ण के साथ सखियाँ
माटी  बनके मिली होंगी  गोकुल की गलियां

सरयू के जल  ने तन को लिया  राम के
सींचा होगा धरा को उसी धार ने
बालू नदियों की सब राममय हो गई
सीता के त्याग से मुट्ठी नम  हो गई

बादलों ने लिया  द्वारका से जो जल
बूँद बन के मिली आके बरसात मैं
कान्हा की बांसुरी बज उठी हाथ मैं
ब्रज की आँखों के आंसू मिले साथ मैं

मीरा के प्रेम की उठ रही है गमक
जोहरों की जली राख  की है दहक
सूरा  गाँधी के तन की बसी गंध है
देश भक्ति भरा केसरी रंग है

ब्रज की माटी  मैं  आये थे कुछ अंग सती  के
मेरा यह तन भी उन ही मैं  मिल जायेगा
यमुना गंगा के जल संग बह जायेगा
त्रण सा यह तन भी ईश्वर  मैं मिल जायेगा

Saturday, 7 September 2013

salah aur salahkaar

एक से एक तर्कपूर्ण बुद्धिमत्ता पूर्ण सलाहें हमारे देश के कर्णधार खिवैया देते  रहते हैं  कभी कभी अद्भुत  सलाह हमारे सामने आती की हम नतमस्तक होने के लिए हम मजबूर हो जाते हैं  जब सर्वोच्च पद पर बैठे सलाह देते है प्याज महँगी है तो मत खाओ  तो एक अद्भुत सलाह आजाती है की कीड़े मकोड़े खाओ वास्तव मैं अद्भुत सलाह है  बहुत कीड़े हैं हमारे घरों मैं और अपने अपने क्षेत्र मैं।  अगर गटर खोलोगे  तो एक बार मैं आधा किलो  कॉकरोच  मिल जायेंगे  छिपकलियाँ मिल जाएँगी  मच्छर पकड़ने  के जाल  सारे  शहर मैं बिछा  दिए जायेंगे  कितना अच्छा हैं सफाई भी हो जाएगी सुबह ही सुबह  कूड़े के ढेर पर बैठे कीड़े बीनते सब नजर आयेंगे  एक खोज के विषय मैं पढ़ा  जितना वजन धरती पर आदमियों का है उतना ही वजन  चींटियों  का है  चलो धरती का बोझ आधा रह जायेगा  क्या बात है अच्छी सलाह है  सफाई कर्मचारियों के पैसे बचेंगे  दो रुपये किलो चावल  भी नहीं देने पड़ेंगे  वैसे सारा भारत केवल दिल्ली मैं बसता है  उन्हें सुविधाएँ देदो हो गया काम  सस्ती प्याज  पचास रुपये किलो यह सस्ती की परिभाषा है  दिल्ली मैं बिकेगी अब सारा हिन्दुस्तान दिल्ली जाकर तो खरीदेगा  नहीं अब सलाह आइ  है मोइली साहब की  की रात मैं  पेट्रोल पंप बंद करदो क्या बचत है लम्बे रस्ते से आने वाले जगह जगह कार बस सड़क पर ट्रक तो चलते ही रात मैं हैं  चोर डकैतों का फायदा  वसे भी हिन्दुस्तानियों पर समय ही समय  है  जेट युग मैं बैलगाड़ी पर चले तो पट्रोल डीजल बिलकुल बच  जायेगा  क्या बात है मोली साहब दिल्ली से मुंबई उद्घाटन करने जायेंगे एक महीने मैं तो शायद पहुच ही जायेंगे नहीं  कुछ ज्यादा  समय लगेगा वैसे देश तो  भगवान  भरोसे चल  रहा है चलता रहेगा  आधे से ज्यादा कार्यक्रम शहर मैं कथा भागवत  देवी जागरण के मिलेंगे लोग भगवान से मांगते ही रहते हैं आज रोटी मिल गई  दिन बीत गया कल का दिन भी गुजार देना

naye naye naam

फत्ते जल्दी जल्दी नामों की शब्दाबली बना एक नाम डायरेक्टरी  छाप देते हैं कमाई का अच्छा मौका है  चुनाव आने वाले हैं एक दुसरे को पार्टी वाले नए नए नामों से संबोधित करेंगे , छांट छांट  कुछ अच्छे  छांट।  नए अर्थ भी बनाता  चल।   पढ़ा और सुना न मेंढक  अर्थात मोदी काक्रोच अर्थात खुर्शीद ऐसे ही हांकू फेकू  फट्टो चोर सबके आगे कुछ भी लिख दे  सब पर सब फिट होता है  लोगों को बोलने मैं सहायता मिलेगी  बना धन्धू  फुत्तू  दल्लो चालू  इसे नामों की विशेषता लिख किस किस को कहे जा सकते हैं  संभावित लिख दोड़ेगी  किताब  लिख मिस्टर क्लीन। " पर सुरती इसे नाम हम लायेंगे कहाँ से "
"चिंता मत कर दो जगह बहुत अच्छी हैं नई नई  फ़िल्में और संसद की कार्यवाही सब कुछ मिलता है जो   चलता है " मिस्टर क्लीन  नाम हमारी डायरेक्टरी मैं क्षेपक सा हो जायेगा
अरे सुरती क्लीन के आगे लिख अपने देश का नाम बहुत  जल्दी देश का सफाया हो जायेगा साफ बिलकुल साफ  अभी तो ट्रिलियन डोलर क्लब से बहार हुआ है  यही स्थिति रही तो नक़्शे से गायब होगा  बड़े बड़े अर्थ शास्त्री और वकीलों के कब्जे मैं है देश  जल्दी उसकी वकालात करके  दुसरे का साथ निभाते जायेंगे

Friday, 6 September 2013

hindi meri hindi

हिंदी तो घर वाली  है सबको लगती बहुत सयानी
पत्नी बाहरवाली है हिंदी तो घरवाली है
फूलों की सी डाली है
 मर्यादा मैं बंधी हुई' करती घर  की रखवाली है
चन्द्र बिंदु सम सजी हुई 'वह सुहाग की लाली है
घर की  सुन्दर शोभा है ,बगिया की हरियाली है
 सबको प्यारी प्यारी लगती,अपनी अपनी साली है
अंग्रेजी  बाहरवाली है ,भरी हुई रस प्याली है
संग साथ अच्छा लगता,उसकी शान निराली है
मस्त मस्त सबका मन हरती काले चश्मे वाली है
जींस टॉप मैं छम्मक छल्लो  ऊँची सैंडल वाली है
हिंदी साड़ी  सूट  बांधती ,लगती ढीली ढाली  है  
लगती सबको  प्यारी प्यारी गोरे गालों वाली है
हिंदी शांत सोम्य निर्झरणी ,अंग्रेजी हंटर वाली है
बहार से है टी न टपेरा   अन्दर बोतल  खाली  है
केक पेस्ट्री ललचाती है ,मगर पेट रहता खाली है
हिंदी करती तृप्त भूख  को  वह रोटी की थाली है
हिंदी तो है मधुर तान  कूके कोयलिया काली  है
गिटिर पिटिर अंग्रेजी करती ,हडिया  कंकड़ वाली है
सबको लगाती बहुत सुहानी बीबी बाहर  वाली है