अमेरिकी पादरी रेवेरेन्ड आवार भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये आये थे। स्थान ,स्थान पर हिंदू धर्म की निंदा और ईसाई धर्म की प्रशंसा कर रहे थे। उनकी बातें सुनकर वहाँ उपस्थित सीताराम गोस्वामी ने उनसे कहा,‘ आप बिना जाने समझे हिंदू धर्म की निन्दा क्यों कर रहे हैं? आपको चाहिये हिंदू धर्म के संबंध में कहने से पहले उसे भलीभंाति समझ लें।’
पादरी आवार को भी लगाा कि बिना किसी धर्म को समझे उसकी निंदा करना ठीक नहीं। उनहोंने संस्कृत मराठी भाषा का अध्ययन किया। जैसे जैसे उनके आगे हिन्दू धर्म के अगाध ज्ञान के पन्ने खुलते गये वे हिन्दू धर्म के प्रति नत मस्तक होते गये। अंत में उनहोंने अमरीकन मिशन को पत्र लिखा‘ भारत मेंसैंकडों ईसाई हैं अर्थात् ईसा जैसे अनेकों संत हो गये हैं। अतः भारत में ईसाईधर्म के प्रचार का औचित्य नहीं है । भारत वर्ष सत्य धर्म का अगाध समुद्र है। अतः मैं मिशन से त्याग पत्र देता हूं। आज के बाद मैं ईसाई धर्म का प्रचार नहीं करूंगा। इतना ही नहीं अपनी आठ लाख की संपत्ति जो अमेरिका में है उसे मैं भारतीय इतिहास शोधक मण्डल को अर्पित करता हंू जिससे मण्डल द्वारा भारतीय सद्ग्रन्थों का अनुवाद होता रहे।
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