Sunday, 9 February 2025

gandhi ji aur ahinsa

 एक बार काका कालेलकर ने गांधीजी ने अहिंसा के बारे में  तरह तरह के सवाल पूछे। इस पर वे नाराज हो गये,और बोले ‘मान लिया कि तुम्हें अहिंसा मुझसे प्राप्त हुई ,लेकिन जब तुमने उसे अपना लिया,तो वह तुम्हारी हो गई। अब हर बात में,हर क्षेत्र में मुझसे पूछ पूछकर अहिंसा के स्वरूप का निर्णय मत करो ।’

अहिंसा को जीवन में उतारने का प्रयोग मैं अपनी सारी जिंदगी कर रहा हूं,और मुझे उसका साक्षात्कार एक ढंग से हो रहा है। जब तुम अपने जीवनानुभव के बल पर अहिंसा के निजी प्रयोग करोगे,तब तुम्हें शायद दूसरा ही दर्शन होगा । अहिंसा है तो एक सार्व भौम जीवन सिद्धान्त,लेकिन उसके रूप अनेक हो सकते हैं। और वे सब रूप अहिंसा के ही सच्चे स्वरूप माने जायेंगे। सवाल पूछकर मेरी अहिंसा विशेष स्पष्टता से समझ जाओगे ,और उसी का प्रचार करोगे ,तो वह तुम्हारी अहिंसा नहीं होगी। अहिंसा को तुमने पूर्ण हृदय से स्वीकार किया है। अब अपने ही ढंग से ,जीवन द्वारा अहिंसा की उपासना करो 


Saturday, 8 February 2025

Bhartiy dharm

 अमेरिकी पादरी रेवेरेन्ड आवार भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये आये थे। स्थान ,स्थान पर हिंदू धर्म की निंदा और ईसाई धर्म की प्रशंसा कर रहे थे। उनकी बातें सुनकर वहाँ उपस्थित सीताराम गोस्वामी ने उनसे कहा,‘ आप बिना जाने समझे हिंदू धर्म की निन्दा क्यों कर रहे हैं? आपको चाहिये हिंदू धर्म के संबंध में कहने से पहले उसे भलीभंाति समझ लें।’

पादरी आवार को भी लगाा कि बिना किसी धर्म को समझे उसकी निंदा करना ठीक नहीं। उनहोंने संस्कृत मराठी भाषा का अध्ययन किया। जैसे जैसे उनके आगे हिन्दू धर्म के अगाध ज्ञान के पन्ने खुलते गये वे हिन्दू धर्म के प्रति नत मस्तक होते गये। अंत में उनहोंने अमरीकन मिशन को पत्र लिखा‘ भारत मेंसैंकडों ईसाई हैं अर्थात् ईसा जैसे अनेकों संत हो गये हैं। अतः भारत में ईसाईधर्म के प्रचार का औचित्य नहीं है । भारत वर्ष सत्य धर्म का अगाध समुद्र है। अतः मैं मिशन से त्याग पत्र देता हूं। आज के बाद मैं ईसाई धर्म का प्रचार नहीं करूंगा। इतना ही नहीं अपनी आठ लाख की संपत्ति जो अमेरिका में है उसे मैं भारतीय इतिहास शोधक मण्डल को अर्पित करता हंू जिससे मण्डल द्वारा भारतीय सद्ग्रन्थों का अनुवाद होता रहे।