Monday 13 July 2020

चक्कर का चक्कर

एम ए बी ए की डिगरी वैसे तो अब कागज का टुकड़ा मात्र है पता नही बी एड जरूरी होता है किसी भी स्कूली शिक्षा के लिये फिर कैसे हम ऐसे शिक्षकों से दो चार होते हैं। जो सही से इमला भी नही लिख पाते हैं और आठवी सातवी को पढ़ा रहे होते हैं। किस प्रकार की शिक्षा हम अपने बच्चों को देकर उनका भविष्य बना रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र को भी राजनीति का मैदान बना लिया है। देश को पतन की ओर ले जाने वाले वे ही हैं जो देश की उन्नति की बात कर वोट की राजनीति करते हैं और देश को गर्त में डाल रहे हैं।
कोटा को हर क्षेत्र में बढ़ावा देकर प्रतिभा का नाश कर रहे हैं। प्रतिभा के लिये किसी भी वर्ग जाति के नही रोकना चाहिये उसे ऊपर लाने का हर समुद्र प्रयास करना चाहिये परन्तु उच्च वर्ग का है इसलिये उसे हम उठने न दें यह नीति देश के लिये बहुत ही हानिकारक है। नेता देश हित नही अपनी कुर्सी के लिये सोचते हैं। क्या हम इसे राष्ट्रभक्ति कहगे।

एक बैंक मे खाता था जो घर के पास थी लेकिन बैंक की जगह में अपार्टमेंट बने बैंक दूर चली गई । पाँच किलोमीटर दूर एक नाम खाते में बदलवाना था। उसके लिये चार चक्कर लगा लिये पर पूरी तरह से यह कोई नही बता पाया कि क्या करने से नाम बदलेगा। मृत परिजन का मृत्यु प्रमाण पत्र पहले तो तीन महीने में वह भी 400 रू॰ देकर बना नही तो आजकल आजकल टलता रहा। फिर बैंक वाले कभी कह देते पूरा फार्म भरा जायेगा। फार्म भर कर ले गये तो कह दिया नही। बस जिसका नाम डलना है उसे ले आओ। उसकी फोटो आधार कार्ड ले आओ। वह लेकर गये तो फिर कह दिया नही केवल दस्ताखत सामने होंगे दूसरा फार्म भरा जायेगा। और चैथी बार वहाँ पर बिजली नही थी इनर्वटर में खाली पंखे में बैठे ऊँघ रहे थे। इतीन गर्मी में देख रहे हो यह पसीना बह रहा है कैसे काम करे।
दूसरी बात कम्प्यूटर नही चल रहे हैं। दूर दूर से कुछ महिलाऐं बचत के पैसे जमा करने रिक्शे में चढ़कर आई थी। वे दुखी थी 50 रूपये इत्ते और 50 रू॰ बित्ते लगेंगे जो रूपया जमा नाय कर रहे हैं। एक नही कई लोग छोटे छोटे भुगतान के लिये बैठे थे और अंदर कुर्सी छोड़कर कोई बाहर खड़ा था। कोई कुर्सी से गायब था जैसे सदा से ही कम्प्यूटर से ही काम किया हो। और तरह से काम करना जानते ही नही। जब मनुष्य आराम चाहता है तो कम्प्यूटर क्यों नही वह भी अपना सर्वर डाउन करके बैठ जाता है। आराम से लगाते रहे हो चक्कर .............चक्कर का अपना चक्कर है।

No comments:

Post a Comment