Thursday, 23 April 2020

karona

नहीं जानते समय की हो कब किस पर मार,
नन्हे से इक जीव ने किया जगत लाचार ।।
घूम रहे यमराज हैं लिये हाथ में फांस ।
एक दृष्टि स ेले रहे कितनों की ही सांस ।।
ईश्वर ने भी बंद किये अपने दर के द्वार ।
एक साथ कैसे सुनें  इतनों की चीत्कार ।।
नन्हें से इक जीव ने शहर किये वीरान
महाशक्तियां  हैं विफल ,लगा रहीं जी जान।
अणु परमाणु  अवश है ,सूक्ष्म जीव बलवान।
घूम रहा स्वच्छन्द वह,दलन किया अभिमान

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