हमारे देश में आए दिन दंगा फसाद होता है देख कर दुःख होता है कि बिना समझे बिना जाने बस दंगा करना है दंगे मैं हमारे नौजवान जो जोश से भरे हैं अपनी उर्जा को बर्बाद करते हैं क्या हित है या अहित है उन्हें समझाने वाला कोई नहीं है उनको पता ही नहीं है वे अपना ही नुक्सान कर रहे हैं सरकार का नहीं जनता की संपदा हो या सरकारी संपदा खरीदी जनता के पैसे से ही जाएगी वह तो फिर आजायेगी पर जब ये नौजवान ये समझेंगे की हम किनके कहने पर अपना क्या नुक्सान कर रहे हैं तब शायद जिन्दगी भर अपने को माफ़ नहीं कर पाएंगे कौआ कान ले गया कान ले गया सब पेड़ उखाड दो जिससे कौआ बैठ ही नपाए पर कान ले भी गया है या नहीं यह जानने की आवश्यकता ही नहीं है या आगे आपका भविष्य सुरक्षित हो रहा है देश की दिन व् दिन बढती आवादी आपका ही भविष्य बिगाड़ रही है
पहले बात समझना बहुत जरूरी है
पहले बात समझना बहुत जरूरी है
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