Sunday 17 March 2019

दाल रोटी

दाल  रोटी खाओ प्रभु के गन गाओ पुराणी कहावत है।  भूख की अग्नि शांत करने के लिए दाल रोटी मिल जाये।  कमाते हैं तो बस दाल रोटी के लिए  अरे वपणे तो कमाते दाल रोटी के लिए है। हाल  चाल भी दाल से ही पता चलता है अरे आजकल दाल पतली हो गयी है। कभी कभी कितना भी जोर लागलो अर्थात प्रेशर लागलो दाल गलती नहीं  ाजी सब पानी ही बेकार है दाल गले कहाँ से  . दाल रोटी से तात्पर्य  मूंग की दाल से होता है  मसूर की दाल के लिए टनाटन होने चाहिए  ये मुंह और मसूर की दाल होगी किसी ज़माने मैं राजा महाराजाओं की दाल बहुत सी जगह महारानी दाल मसूर की दाल को ही कहा जाता है  लेकिन मूंग की दाल बच्चों ने देखि और जैसे सरे  काळा बदल  एकत्रित होकर बरस पड़ेंगे ओह नो मूंग की दाल नो मम्मी पिज़ा खाना है  जब की बुजुर्ग पित्जा  नूडल्स देखते ही उतना ही घबरा जाते है  अरे हमें ज्यादा कुछ नहीं  चाहिए दाल रोटी मिल जाये  विदेशी खाने को खा कर तो भुख्याए  रहते हैं  दाल रोटी से जिंदगी गुजर जायगी अर्थात जिंदगी गुजरने का साधन है दाल रोटी। 

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