हमारा इंसान तो जैसे मर गया है अब तो हैवान ही हैवान नजर आते हैं समझ आता ऐसे कैसे एकदम नरपिशाच हो गए इनको अपनी जिंदगी से भी मोह नहीं नंगा नाच रहे हैं क्या लिए नारियां अपने को दुर्गा शक्ति न जाने क्या उपमान देती देती प्रसन्न होती हैं कैसे प्रतिदिन के होने वाले अत्याचारों पर हैं क्यों हर बलात्कारी चिनिहत हो जाता है उन्हें चौराहे पर उल्टा लटका कर कोड़े कोड़े मारे जाएँ तब तक जब मौत न ले जाये सालों साल उन्हें पाला जाता है उन पर खर्च किया जाता है अब तो सबको डर है न जाने कब किसको अंदर जाना पड़ जाये इसलिए कैदियों की हालत सुधारी जाये उन्हें दामाद की तरह रखकर उनकी आरती उतारी जाये जिससे निकम्मों की फ़ौज पहुँच जाये निकम्मों चोरों बलात्कारियों को सुख चाहिए अब ये ही सर माथे हैं
बलात्कारी की बहन बेटी उससे कहे मैं हूँ फिर दुसरे की बच्ची क्यों अब आप मैं रहूँ आपके साथ
बलात्कारी की बहन बेटी उससे कहे मैं हूँ फिर दुसरे की बच्ची क्यों अब आप मैं रहूँ आपके साथ
No comments:
Post a Comment