वेचारिक मतभेद मानवीय मस्तिष्क की एक प्रक्रिया है ये मतभेद आवश्यक नहीं दूसरों के हित की सोचने के लिए हों हर जगह अपना स्वार्थ सिद्ध ही करना प्रवर्ती है बात राजनीति की हो तब तो और भी स्वार्थ सर उठानेलागते हैं जनता के हित की बात करके नेता अपना उल्लू सिद्ध करते हैं जनता के हित अहित से उन्हे कोई मतलब नहीं होता बस विरोध करके सामने वाले को परेशां करना ही मंतव्य होता है
यह क्या है क्या सोच है विरोध प्रगट करने के लिए दूध केन के केन नदी मैं बहा दिए यह विरोध नहीं अन्न का अपमान है उन बच्चों से पूछो जिन्हें दूध देखने को नसीब नहीं यह घोर अपराध मन चाहिए जिस भी कार्य से जनता को पीड़ा पहुंचे ऐसे विरोध अपराध की श्रेणी मैं आने चाहिए। जाम लगा कर मार्ग रोकने से किसका हित होता है किसीका नहीं परेशान जनता होती है आज एक परिवार उस जाम की वजह से मौत के मुहमैं चला गया जाम लगाकर नेतागिरी कर ली पर उजड़े जनता के घर। आरक्षण के नाम पर लोगों के घर जलना वहां फूंकना उनकी बहन बेटियों को परेशान करना ये क्या क्षमा करने योग्य है। जिस भी प्रकार से जनता को परेशान करने वाले नेताओं को जनता को भी स्वयं बहिष्कार कर देना चाहिए। जाम लगन वालों को घर से नहीं निकलने देना चाहिए घर मैं वैठो
यह क्या है क्या सोच है विरोध प्रगट करने के लिए दूध केन के केन नदी मैं बहा दिए यह विरोध नहीं अन्न का अपमान है उन बच्चों से पूछो जिन्हें दूध देखने को नसीब नहीं यह घोर अपराध मन चाहिए जिस भी कार्य से जनता को पीड़ा पहुंचे ऐसे विरोध अपराध की श्रेणी मैं आने चाहिए। जाम लगा कर मार्ग रोकने से किसका हित होता है किसीका नहीं परेशान जनता होती है आज एक परिवार उस जाम की वजह से मौत के मुहमैं चला गया जाम लगाकर नेतागिरी कर ली पर उजड़े जनता के घर। आरक्षण के नाम पर लोगों के घर जलना वहां फूंकना उनकी बहन बेटियों को परेशान करना ये क्या क्षमा करने योग्य है। जिस भी प्रकार से जनता को परेशान करने वाले नेताओं को जनता को भी स्वयं बहिष्कार कर देना चाहिए। जाम लगन वालों को घर से नहीं निकलने देना चाहिए घर मैं वैठो