Wednesday 5 October 2016

नारी सशक्त हहो रही है

 अभी तो चंद सितारे चुराये हैं आसमां से
अभी तो बहुत सितारों से आसमा भरा है
टांग लेंगे सारे सितारे इस चूनर पर
तब आपको लगेगा कि आसमा भी हम से डरा है
बादलों का रंग भी कुछ बदल सा गया है
चांद ने सोलह कलाओं को अपन बांध लिया है
उसको डर है उसकी आभा न चली आये हमारे संग

एक एक कर उन कलाओं को हमने साध लिया है।

2 comments:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-10-2016) के चर्चा मंच "जुनून के पीछे भी झांकें" (चर्चा अंक-2488) पर भी होगी!
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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