अभी तो चंद सितारे चुराये हैं आसमां से
अभी तो बहुत सितारों से आसमा भरा है
टांग लेंगे सारे सितारे इस चूनर पर
तब आपको लगेगा कि आसमा भी हम से डरा है
बादलों का रंग भी कुछ बदल सा गया है
चांद ने सोलह कलाओं को अपन बांध लिया है
उसको डर है उसकी आभा न चली आये हमारे संग
एक एक कर उन कलाओं को हमने साध लिया है।
टांग लेंगे सारे सितारे इस चूनर पर
तब आपको लगेगा कि आसमा भी हम से डरा है
बादलों का रंग भी कुछ बदल सा गया है
चांद ने सोलह कलाओं को अपन बांध लिया है
उसको डर है उसकी आभा न चली आये हमारे संग
एक एक कर उन कलाओं को हमने साध लिया है।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-10-2016) के चर्चा मंच "जुनून के पीछे भी झांकें" (चर्चा अंक-2488) पर भी होगी!
ReplyDeleteशारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
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