Thursday, 30 June 2016

Arakshan

पटेल समाज आरक्षण मांग झा है वह समाज जो अधिकांशतः बड़ा व्यापारी है और बहुत चतुर समझ जाता है समाज मैं आदर योग्य है गुजरात का प्रभुत्व हमेशा से रहा है उसमे पटेल समुदाय का  बहुत बड़ा हाथ रहा है आज वह आरक्षण की मांग करके अपने को समाज के निचले तबके  जोड़कर अपने को कमतर कने के लिए तयारी कर रहा है अफ़सोस हो रहा है इसके अंदर छिपे मकसद हो सकते हैं एक तो आरक्षण जाति और धर्म के नाम पर न होकर आर्थिक बिपिन्नता होना चाहिए एक भीख मांगने वाला तबका सबसे बिपिंन मन जायेगा क्योंकि उसे जीविकोपार्जन  के लिए बहुत प्रयत्न करना पड़ता है न नौकर है न घर (वैसे आजकल भिखारियों की बल्ले बल्ले है) उसे किसी कंपनी का सीओ बन देना चाहिए। आर्थिक आधार न होकर योगयता होनी चाहिए पढ़ने की सुविधा हर एक को मिले आर्थिक रूप से बिपिन्न व्यक्ति अपनी योगयता सेर बड़ी कंपनी का मालिक बन जाता है और सैंकड़ों व्यक्तियों को काम पर लगता है। बस सुधर की आवष्यकता है लोगो को व्यापर करने इंडस्ट्री बनाने  मैं सुबिधाये दी जायेऔर अनेकों कानूनी कागजों से पास करने मई व्यवसाय को खड़ा करने मैं मुश्किलें अति हैंऔर व्यवसाय लगने वाला हतोत्साहित हो जाता है अयोग्य व्यक्ति आरक्षण की वजह से रखना यह मानसिक बिपिन्नता है
ुेह निश्चय है आरक्षण प्राप्त व्यक्ति अगर किसी नौकरी मैं है वह लोगों की नजर मैं हेय रहता है और रहेगा उसे अपने को गिराने के लिए तैयार रहना चाहिए आरक्षण की मांग उठने वाले अगुआ लोगो से लिख लेना चाहिए की यह व लोकप्रियता प्राप्त न कर समाज के उससे ऊपर देश के हित  के लिए कर रहे हैं क्या आरक्षण देश के लिए हितकर है 

Tuesday, 28 June 2016

samaj ki hatya

अस्पर्श्यता दिन व् दिन विकराल रूप लेती जा रही है .विगत दिनों अस्सी प्रतिशत झगड़े हिंसक वारदातें  हत्या मारपीट उच्चवर्ग और दलित वर्ग मैं इन्ही कारणों से हुई  दलित अधिकारों को जागरूक करने वाले और दलित समाज सभा ने बारह दिन का राष्ट्रिय स्टार पर विरोध सभाएं आयोजित की  की वर्ण व्यवस्था से असमानता समाप्त की जाये इस विरोध से सर्कार पर दबाव बनाना और दलितों के हित मैं कानून बनाये गए कानून अभी ठीक से पारित भी नहीं हुए हैं  अभी दलितों को अपना पूर्ण स्थान नहीं मिल सका है .उन्हें अपना समाज मैं स्थान बनाने के लिए शिक्षा के लिए अधिक ध्यान देना होगा  बच्चों को शिखा देना  अधिक आवश्यक है जिससे की वे उच्च पदों पर पहुँच सके  और समानता प्राप्त कर सकें उन्हें न्याय मिले सामान अधिकार मिले .लेकिन सामान अधिकार के लिए सामान ज्ञान आवश्यक होना चाहिए बिना पढ़े केवल दलित होने  की याग्यता देश के लिए घटक है कुछ नेताओं के लिए पद मिलाना हो सकता हैं उनके घरों का  विकास हो जायेगा पर देश धीरे धीरे रसातल मैं चला जायेगा 

Monday, 27 June 2016

mahila patrika

महिला पत्रिकाओं को उठाओ उसमे भी अधनंगी औरतों की तस्वीरें चस्पा हैं अर्थात औरत केवल देह है  और कुछ नहीं जिसको सजाना है जिसे लुभाने के लिए तैयार करना है औरत का  दूसरा काम है और न होगा  टी.वी के पोस्टरों  मैं सब जगह औरत की देह का प्रदर्शन रहता है  ाहर जगह व्यक्तिगत कमरे के अंदर अंदर के जीवन को सार्वजनिक कराती नग्न चित्र चाँद पैसों के लिए खिचती और पत्रिका पुरुष वर्ग के लिए महिलाओं कोको तरह तरहसे पेश करती हैं अफ़सोस यह हैं इन बेहद भद्देपन को दिखने वाली पत्रिकाओं की  संपादक महिला स्वयं शालीन  कपडे पहने रहती हैं शालीन सम्पादकीय लिखती हैं जो दिल को छुए तब क्यों नहीं अपनी पत्रिकाओं मैं नारी देह के  प्रदर्शन का बहिष्कार करती 

Saturday, 25 June 2016

neta bantey hi

नेता होते ही सुबह से शाम तक उद्घाटन आदि करने का कार्यक्रम प्रारम्भ हो जाता है या लोगो की सिफारिशों का कार्यक्रम उनका ताँता कुर्सी इतनी अहम हो जाती है कि  अहम का विशाल तम्बू उनके चारो ओरे बन जाता है और वे सड़क से उठकर सबसे उच्च पद पर आसीन हो जाते हैं वह सब किसके कारण  यह हम जन साधारण की वजह से कि अपने चेहरे चमकाने के लिए उनसे जान पहचान है यह बताने के लिए उनसे ही उद्घाटन करवाएंगे तो क्या हम नेता इसीलिए बनाते है सुबह से रत तक कार्यक्रमों मैं भाग लेंगे तो जनता का काम कब करेंगे
नेता बनते ही घर की टूटी ईंट सोने की हो जाती है  आम जनता की वजह से मेरा काम कैसे भी करदो अब इसमें किसकी पहुँच कितनी है कितनी ऊपर है यही अहम बच्चों में भर जाता है जो उनके विनाश का कारण बनता है वे शिक्षा से अधिक गुंडागर्दी मैं लग जाते है क्योंकि जब धमकी से उनके आगे सब नत है और सब कुछ प्राप्त हो रहा है  तो उन्हें पढ़ने या काम करने की क्या आवश्यकता है एक फ़ोन घुमाया नेता पुत्र  चाबी उँगलियों पर घुमाते  थानेदार की ओरे व्यंग से मुस्कराते शिकायत करने वाले को फिर धमकी देते बहार फिर दूने जोश से अपराध मैं लिप्त हो जाते हैं स्वय अपने बच्चों के विनाशक हैं ये तथाकथित महापुरुष। 

Friday, 24 June 2016

mere papa neta

 यह कोई बनायीं बात नहीं है यह सत्य  वार्तालाप है  कक्षा ९  का एक  छात्र  जो देखने मैं कद काठी से भी अच्छा था बिना किसी कारण किसी को भी मार देता था  और यह कहने पर कि क्यों मारा उसका जबाव होता था ,' मारूंगा  मेरे पापा नेता हैं '
तेरे पापा नेता हैं तो हम क्या करें ?
मेरे पापा नेता हैं हमें कोई कुछ नहीं कह सकता है मैं तो मारूँगा
शहर गाँव जहां भी देखिये बात बात पर गोली चलती है 'तूने स्कूटर क्यों नहीं हटाया ले गोली खा
तूने मेरी ओर आँख उठाई ले गोली खा
मेरी कार तेरी बाइक से टकरा गई तो क्या तूने मुँह क्यों उठाया ले गोली खा
तेरी कर मेरी कर को ओवर टेक कैसे कर गई ले गोली खा  तूने चैट खिल कर पैसे मांगे तेरी ये हिम्मत  ले तेरा सारा खोमचा फेंक देता हूँ  तू मेरा क्या करेगा और उसकी रोजी एक पत्ता चाट जाता है
 ये सब दृश्य  नेता या अधिकारियों के बच्चों के हैं अभी एक वीडियो देखा जिसमे ओबामा एक कार्यक्रम मैं सपत्नीक आम स्थान पर बैठे हैं  न वीआईपी प्रवंधन न अगली पंक्ति पर हमारे यहाँ नेता होते ही जैसे दो सींग उग आते हैं और मरखने बैल की तरह चारो ओरे एक भय व्याप्त हो जाता है कि नेताजी हैं सारा कार्यक्रम नेता के इर्द गिर्द घूम जाता है और मुख्या कार्यक्रम बेकार हो जाता है 

अभी और कहना है 

Thursday, 23 June 2016

yojnayen

सरकार योजनाएं बनती हैं हम गरीबों के लिए यह करेंगे जो भी करेंगे गरीबों के हिट मैं करेंगे पर न सरकार के आका सोचते हैं कि गरीबों का हिट कैसे होगा और जो योजना बन रहे हैं उससे अहित कितना होगा और  असली लाभ किसको मिलेगा  सरकार योजनाए बनती है और मोठे पेट वालों का पेट और मोटा हो जाता है गररब की तो परेशानी बढ़ जाती है जिस पर सरकार का ठप्पा लग जाये वह इकाई बिलकुल बेकार हो जाती है काम करने वाले भी निकम्मे हो जाते हैं क्योकि सरकारी निति की एक बार नौकरी मिल जाये बस काम से छुट्टी मिल जाती है न कोई काम करा सकता है न नौकरी से निकाल सकता है फिर कोई क्यों काम करे  क्या कारण  है सरकारी स्वायतवता वाले सभी संसथान खली होते हैं अधिकारियो के नाम की तख्ती बंद दरवाजे और कर्मचारियों की लम्बी सूची लेकिन सूने संस्थान धुल जलों से एते पड़े होंगे उन पर सरकार का रपया लांखो हर माह खर्च हो रहा होगा जबकिुसि प्रकार संस्थानों मैं प्रवेश की भी परेशानी होगी जब कि स्वपोषित संस्थानों मैं कर्मचारी और अधिकारीयों को अधि भी सुबिधाये नहीं हैं पर सब कुछ सुचारू चलता हैहै क्योकि वह उन्नति आरक्षण के बल नहीं काम पर मिलती है ये तो सरक सरक कर चल यर ुाहि है सरकार और बस दुसरे को सरका यर और रख दे नेता के सर कार 

Tuesday, 21 June 2016

apradh kishoron ke

भीगती मसें जनता से वसूले पैसे से लग्जरी कार बड़े बड़े होटलों मैं महंगा खाना  शराब फ़ोकट का खाने वालों मैं बने हीरो बने के साथ ही दुनिया उनकी मुट्ठी मैं होती है फिर तो कहना ही क्या वो ऐसे बादशाह होते हैं जिनकी सल्तनत मैं सिर्फ मैं और मैं होता है बाकि सब कुछ कचरा उनकी रह मैं आ जाये उसे आग मैं झोंक देते हैं  इतने अधिकार आम आदमी ही उन्हें सर आँखों पर बैठा कर देते हैं कोई कायदा कोई कानून उनकी रह मैं नहीं आ पता है  खुद आम आदमी धुल बनकर पैरों से लिपट जाता है 

Saturday, 18 June 2016

mahila patrikye

महिला पत्रिकाओं को उठाओ उनमे मिलेगा पति को कैसे रिझाये। मनभावन कैसे बने पति के.. . कैसे रहे फिट सेक्स कैसे करे  जिंदगी साड़ी पति के चारो ओर सिमट गई हो सारे  कर्तव्य पत्नी के हैं
साथ ही तरह तरह के फैशन और मेकअप इसके आलावा एक या दो कहनिकहनी जिनमे सेक्स भरा होता है  जिंदगी सेक्स के इधर उधर सिमट कर रह गई है  सेक्स सबसे ऊपर हो गया है महिला पत्रिका उठने का मतलब है किसी ज्वेलर के भरी भरी जेवरों के विज्ञापन या तरह तरह के मेकअप प्रोडक्ट जिन्हे आम महिला खरीद ही नहीं सकती न उपयोग मैं ल सकती है। १० प्रतिशत महिलाओं के लिए प्रकाशित ९० प्रतिशत महिलाओं को हीं भावना से ग्रस्त कर देती है। वे भारी भारी  कुंदन और बड़े बड़े हीरों के गहने देखती हैं तो सोच कर रह जाती हैं शायद एक हार  की कीमत पूरी जिंदगी की कमाई होगी 

Thursday, 16 June 2016

woman also

स्त्रिया  कब तक अपना अपमान खुद कराती रहेंगी  अपने को समर्थ कहती हैं  फिर पुरुषों से सहायता मांगती हैं आरक्षण  मांगती हैं क्या वे स्वयं नहीं ले सकती इसलिए पुरुषों से मांगती हैं कि आप हमें आरक्षण दो कि हम बढ़ सके आप हम पर कृपा करेंगे तभी हम कुछ कर पाएंगे  नहीं तो हम बेबस हैं
अपने लिए घरेलू कामों का मूल्य मांगती है  स्वयं अपने को  दोयम दर्जे का कर्मचारी  मान लिया कि हम घर मैं खरीद कर गुलाम बन कर लाए गए हैं काम करने के लिए इसलिए हमारी तनखाह सुनिश्चित कर दो और हम तभी अपनी सेवाएं देंगे जैसे किसी एजेंसी के द्वारा नौकरानी बुलाई गई हो क्यों नहीं मालकिन बन कर रह सकते यदि स्वयं महिलाएं यह निश्चित कर लेँ। 

Tuesday, 14 June 2016

mere papa antim bhag

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continue mere papa

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mere papa

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Sunday, 12 June 2016

mere papa kitne acche (kahani)

esjs ikik lcls vPNs

      vNwr dq¡vkjh dU;k lk fny yfrdk dk pkSFkh ckj /kM+d mBk ysfdu bl ckj fny /kM+dk gS rks og vB~Bkbl lky dh gSA nks NksVs cPps nl lky dh yM+dh vkSj lkr lky ds yM+ds dh ek¡ gSA Njgjk 'kjhj f[kyrk jax  rh[kk ukd uD'k ]xtc dk vkd"kZ.k psgjs ij lcls T;knk vkd"kZ.k mldh vk¡[kksa esa Fkk A,dne pednkj cM+h&cM+h dfo dYiuk dks mdsjrh vk¡[ksaA ,d ckj lcls igys tc fny /kM+dk Fkk rc og ek= nl lky dh Fkh rc u og I;kj dk eryc tkurh Fkh u fny /kM+dus dk eryc ysfdu irk ugha D;ksa iM+ksl esa xehZ dh Nqfê;k¡s esa vesfjdk esa jgus okyh fcfV;k vkbZ Fkh ftldk ckjg lky dk yM+dk Fkk A xksjk yky HkHkwdk A yky 'kVZ vkSj uhyk usdj igus tc ek¡ ds ikl viuh ek¡ ds lkFk vk;k rks mls og yM+dk cgqr vPNk yxk cl mls og ek¡ ds ihNs fNih ns[krh jgh FkhA
      ^vjs vkaVh ls ueLrs oxSjg dqN ugha ]* vkaVh us mls [khapk rks tSls mldh tku gh fudy xbZA fdrus fnu rd mldh vk¡[kksa ds lkeus vkrk jgk FkkA ek¡ ls cgqr ckj dgk Fkk ]^eEeh og vka'kw fdruk xksjk gS gS u*
      ^gk¡ csVk ogk¡ dk DYkkbesV BaMk gS u rks vf/kdrj lc xksjs gksrs gSa*A
      ^lc xksjs gksrs gS ;gk¡ Hkh rks lnhZ iM+rh gS eSa bÙkh xksjh D;ksa ugha* yfrdk us ml le; gh vius gkFk vkSj vka'kw dk gkFk dh rqyuk dh Fkh f[kyk jax Hkh mlds lkeus dkyk yx jgk FkkA
      ^cgqr vPNk yxk vka'kw]* ek¡ f[kyf[kykbZ Fkh ^'kknh djnw¡ mllsA*
      'kknh dk vFkZ u tkurs Hkh og 'kjek xbZ Fkh vkSj dYiuk esa vius dks LVst ij mlds lkFk cSBs ns[kus yxh Fkh D;ksafd 'kknh dk bruk gh vFkZ tkurh Fkh fd [kwc lt dj LVst ij cSBk tkrk gS ysfdu fp= cgqr tYnh /kq¡/kyk iM+ x;kA

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Saturday, 4 June 2016

Astha ke kuch chehrey

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       ,d fdukjs ls nwljs fdukjs rd jax fcjaxh lkfM;ksa dk Nksj cka/kdj ygjkrs ukoksa esa lokj J)kyw tequk eS;k ds tSdkjs ds lax pqujh tequk eS;k dks lefiZr djrs gSa ukfj;y iq’I vkSj lkFk gh lksus pkanh Hkkoh :I;s iSls vfiZr djrs J)kyw us=ksa ls ekj&ekj vkalw cg jgs gSaA eS;k rsjs dks ge D;k viZ.k djsxsa o rst fdjik ge ij cuh jgs rwus iq= fn;k mldh mez yEch djukA viZ.k ds lkFk gh Nikd Nikd vusd iMs cPps dwn iMs vkSj xksrk[kkaVh esa eafnj lksuk pkanh :I;k iSlk fudky dj ckn esa cMs iaMksa ls fgRlk caVck;k gksxkA ?kkV dh lhy xksVsnkj tjh ds BIiVs vks<s efgyk /kksrh dqjrs esa iq:’k vc iS.V “kV Hkh igus gksrs gSa MaMs ysdj dNq, gVkrs isMs tequk es;k xyh dVsxh ladYi djks ftteku rqEgkjs egy nqegys [kMs gksxsa eS;k ls tks ekaxksxs nsxh ladYi djksA J)k ur gS ifjokj vk;k gh gS rhu yksd ls U;kjh ifo= uxjh eFkqjk czt jFk dks ekFks yxkus ml ;equk ds rV ij tgkW d`’.k us dal dk ekjdj nq’V nyu fd;kA
       Ikje iq:’k iw.kZ iq:’k d`’.k dh uxjh ?k.Vk gks x;s blh unh ds ikj dj d`’.k vk;s Fks d`’.k dh fiz;k gS ;equk dkUgk dh yhyk LFkyh gS ladYi fcydqy ysxsa ur gSa J)kyqvksa ds flj dqN jke uke dh vkVs dh xksyh cukdj dNqvksa vkSj eNfy;ka dks f[kyk jgs gSa rks dksbZ Luku dj vius ikiksa dks /kksdj iq.; dk dke dj jgk gwWaA

       dal dks ekjdj ;gha foJke fd;k Fkk d`’.k us ifV;k ij ekFkk j[k fn;kA cPpk ladYi dj iUnzg lky dk Nksdjk lkB lky ds cqtqxZ ls dg jgk gS iUnzg dk gS rks D;k d`’.k ds ljc jgs Xoky okykas dk ca”kt gSA dqy xkst dk uke yks viuk uke rks edku Hkw Lo.kZ xkS ladYi djks eS;k dks viZ.k djks vpdpkrk gS ftteku Hkw edku ugha eb;k ;s yks iwjk :I;s ugha HkkbZ py 101 ls djks ladYi ugha ugha ;s 101 dkQh gS pyks 250 ij le>kSrk gqvk vkpeu djks cPpk ua=eafty yxkvks vkSj lhf<;ksa ij [kMk ftteku txwu esa cgrh dhpM xanxh ukd [kwQ jaxhu ikuh ls fgpfdpkrk >waBs dks ty rd gkFk ys tkdj [khap ysrk gSA txqu eS;k dh ewfrZ dks iz.kke djrk gS mlds pj.k Nwuk pkgrk gS ij nwj ls gkFk c<kdj gh fQj 101 nhiksa dh vkjrh ds fy;s uko esa tk cSBrk gSA feyfey vusdksa nhi tequk eS;k esa f>yfeyk mBrs gSaA lkFk gh vusdksa nhi ;k=h tykdj ckal dh fVdVh ij cgkrs nwjrd eS;k ij vusdksa pkan f>yfeyk mBrs gSaA