Friday 15 August 2014

live in relation ship

लिव इन रिलेशन शिप  अपने को  अत्याधुनिक सोच कहनेवाले व्यक्ति दूसरे को उदार होने की सलाह देकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का  स्वागत कर रहे हैं कि औरतों  को दूसरी औरत को स्वीकार कर लेना चाहिए  लेकिन इस सोच को केवल औरतों तक ही क्यों सीमित किया गया कि सपत्नी रह सकती है तो तो सपति भी रह सकता है. संभवत: कोर्ट का यह भी आदेश होगा होगा की पत्नी भी दुसरे व्यक्ति को घर मैं रख सकेगी दूसरे व्यक्ति को पति सहन करना होगा और दनो से उत्पन्न बच्चों का पालन कौन सा  व्यक्ति करेगा करेगा जो रजिस्टर्ड पति पत्नी होंगे या  जो केवल रहने के लिए रह रहे हैं वे पल्ला झाड़   बच्चों को उनके मत्थे मढ़  गायब हो जायेंगे  इसका मतलब जीवन जिम्मेदारी  नहीं  घर गृहस्थी नहीं एक व्यभिचार का या कहना है सेक्स का अड्डा है क्योकि लिव इन रिलेशन शिप मैं दूसरे व्यक्ति की दरकार या तो पैसा होगा या सेक्स। महिलाएं रईस व्यक्ति को  फसाएंगी और उस व्यक्ति से जायदाद पैसा हासिल करेंगी फिर दूसरे व्यक्ति को तलाशेंगी पति दूसरी औरत लाएगा बहुत अच्छी सामाजिक स्थिति होगी जीवन बंधन मुक्त होगा वृद्धाश्रम का चलन बढ़ ही रहा है बाल घर अनाथालय तो हैं ही और बन जायेंगे माँ बाप को वृद्धाश्रम  भेजो  खुलकर आनंद ही आनंद लो एक उन्मुक्त जीवन।  और जब मन भर जाये तब खुद किसी आश्रम की तलाश करलो। जय हो भारतीय सभ्यता और संस्कृति की। सारे सम्बन्ध सारे  रिश्ते नाते गठरी मैं बांध कर रख लो अपनी औलाद अभी नकार रही है तब तो पहचानने से भी इंकार कर देगी

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