Sunday, 31 August 2014

samaj seva ya sv seva




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Saturday, 23 August 2014

ab bolenge

जब कांग्रेस सत्ता मैं थी तब अपने को सर्वोपरि समझती थी  हर मसाले मैं चुप अब कांग्रेस बोल रही है की सरकार को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए क्या पाकिस्तान द्वारा गोलीबारी नई बात है उन्होंने क्या कर लिया अब तक उन पर विश्वास किया  है लेकिन उनका बस चले तो वे जो पलने मैं होगा उसके पैरों मैं माथा रख कर चाहेंगे  जनता उनकी ही उगली पकड़ कर चलती रहे। सुरंग क्या  दो महीने मैं बन गयी होगो अब तक  क्या देख रहे थे

amitaabh ka tweet

अमिताभ वच्चन का ट्वीट पढ़ा " सूंघ कर कोई मसल डाले यह है गुल की जीस्त (जीवन)
                                                मौत उसके वास्ते टहनी पर मुरझाने मैं हैं "
मेरी समझ मैं नहीं आया इसके द्वारा  श्री श्री श्री महान~ क्या कहना चाहते हैं  म्रेरी समझदानी  बहुत छोटी है  पर समझ नहीं आया क्या फूल की यही नियति है  पल भर के उन्मादियों को खूशबू देकर कुचल जाये  उसे पूर्ण रूप से महकते हुए पूरा जीवन जीने का अधिकार नहीं है अ पुरुष गरिमा का ढोंग कितना भी कर ले पर अंदर की विकृत मानसिकता निकल ही पड़ती है इन पंक्तियों के माध्यम से क्या तो लिखनेवाला कह रहा है और क्या  समझने का प्रयास किया जा रहा है  मेरे तो गले नहीं उतरीं आप सब को अच्छी लगीं  क्या?

Friday, 15 August 2014

live in relation ship

लिव इन रिलेशन शिप  अपने को  अत्याधुनिक सोच कहनेवाले व्यक्ति दूसरे को उदार होने की सलाह देकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का  स्वागत कर रहे हैं कि औरतों  को दूसरी औरत को स्वीकार कर लेना चाहिए  लेकिन इस सोच को केवल औरतों तक ही क्यों सीमित किया गया कि सपत्नी रह सकती है तो तो सपति भी रह सकता है. संभवत: कोर्ट का यह भी आदेश होगा होगा की पत्नी भी दुसरे व्यक्ति को घर मैं रख सकेगी दूसरे व्यक्ति को पति सहन करना होगा और दनो से उत्पन्न बच्चों का पालन कौन सा  व्यक्ति करेगा करेगा जो रजिस्टर्ड पति पत्नी होंगे या  जो केवल रहने के लिए रह रहे हैं वे पल्ला झाड़   बच्चों को उनके मत्थे मढ़  गायब हो जायेंगे  इसका मतलब जीवन जिम्मेदारी  नहीं  घर गृहस्थी नहीं एक व्यभिचार का या कहना है सेक्स का अड्डा है क्योकि लिव इन रिलेशन शिप मैं दूसरे व्यक्ति की दरकार या तो पैसा होगा या सेक्स। महिलाएं रईस व्यक्ति को  फसाएंगी और उस व्यक्ति से जायदाद पैसा हासिल करेंगी फिर दूसरे व्यक्ति को तलाशेंगी पति दूसरी औरत लाएगा बहुत अच्छी सामाजिक स्थिति होगी जीवन बंधन मुक्त होगा वृद्धाश्रम का चलन बढ़ ही रहा है बाल घर अनाथालय तो हैं ही और बन जायेंगे माँ बाप को वृद्धाश्रम  भेजो  खुलकर आनंद ही आनंद लो एक उन्मुक्त जीवन।  और जब मन भर जाये तब खुद किसी आश्रम की तलाश करलो। जय हो भारतीय सभ्यता और संस्कृति की। सारे सम्बन्ध सारे  रिश्ते नाते गठरी मैं बांध कर रख लो अपनी औलाद अभी नकार रही है तब तो पहचानने से भी इंकार कर देगी