Wednesday, 6 July 2011

ujala ho jayga

एक बूँद उगलियों की पोर पर रोक लो , आइने सा बूँद मैं चेहरा मुस्कराएगा ,
रात का कितना भी हो अँधेरा घना ,भोर होने से न कोई रोक पायेगा ,
बंद कितना भी करें अँधेरा  कोठारी मैं मगर,एक झिरी   से ही उजाला हो जायेगा,
ओढ़ी है चुनरिया उदासियों की अगर,मुस्करा के जिंदगी का रंग सुनहरा हो जायेगा 
फिर कदम न रुकेंगे  तुम्हारे कभी,काफिला तेरा बढ़ता चला जायेगा.

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