ऽ रात दिन अदानी अंबानी का रोना रोने वाले ,चिल्लाने वाले अपने गरेबां में झांक कर देखें वे समाज के लिये क्या कर रहे हैंकेवल नौकरियों का रोना रोते हैं सबको सरकारी नौकरी चाहिये वह भी इसलिये कि काम न करना पड़े हराम की खाना चाहते है। ।हराम की खाने के लिये सरकार की नौकरी चाहिये जो लाखों लोगों को नौकरी देरहे हैं उन्हें ठलुए लोग सरकारी माल हजम करने वाले गाली दे रहे हैं। उनका स्तर उतना ही है कि वे बस गाली देलें ं उन्हें देष का समाज का कुछ पता नहीं बस बाबूगिरी करले बस हो जायेगा। अगर अंबानी अदानी जैसे लोग नहीं होंगे तो देष की अर्थ व्यवस्था चैपट हो जायेगी। छोटे से छोटा व्यपारी यहां तक कि ठेले वाला भी एक को तो नौकरी दे ही रहा है और सरकारी नौकरी करने वाला केवल उन्ही व्यपारियों के टैक्स के पैसे से हराम की खा रहे हैं । कुर्सी तोड़ते हैं और चले जाते हैं। निठल्ले लोगों को बड़े व्यपारियों को देख कर जलन होती हैंयदि वे हवाई जहाज में चल रहे हैं तो अपनी मेहनत के पैसे से सरकारी पैसे से नहीं । उनके सिर पर रात दिन तलवार लटकी रहती है। व्यापारियों को गाली देने वाले सोच कर गाली दें सोचलें कि वे किसकी दी हुई रोटी ख रहे हो । सरकार भी नौकरी उन्हीं के दम पर देगी
केवल गाली देना अकर्मण्य लोगों का काम हैया विपक्षी नेताओंका क्यों कि उन्हें गद्दी जो नहीं मिली इसलिये रोत रहो। 70 साल से केवल यही सुना जा रहा है कि नौकरी नहीं नौकरी नहीं सबको नौकर बना दो मालिक मत बनने दो मालिक बन गये तो सिर उठायेंगे।