सरकारी योजनाओ में पलीते लगाते लोग सरकार की तरफ से कोई भी योजना लागू होती है उससे सम्बन्धित अधिकारियों की बल्ले बल्ले हो जाती है और जनता त्रस्त होती है चाहे वह उनके हित में हो पर वह अहितकर होकर रह जाती है और विपक्ष को कुछ दिन गाने का अवसर मिल जाता है।
नोटबंदी काले धन को बाहर लाने के लिये की गई अभी भी अनेको नेताओं और सरकारी अधिकारियों को टटोला जायेगा तो स्विस बैंक से अधिक धन इनके फटे कुर्तो की जेबों से निकल आयेगा। उधर बैंक कर्मियों ने खूब काला धन कमाया उनके घर अंदर से सज गये बैंक बैलेंस बढ़ गया और जनता बेरोजगार हुई।
कन्याधन, विधवा पेशन, वृद्धजन पेंशन बंधी लेकिन सब सरकारी अधिकारियों के रिश्तेदारों को मिली ओर अच्छी भली सधवा औरतें विधवा हो गई चालीस साल के आदमी 65 साल के हो गये असली वृद्धाऐं विधवाऐं चक्कर लगाती रह गई।
विकलांग धन योजना के तहज पट्टी पैर में बाँधकर लोग विकलांग हो गये और सही विकलांग बाहर ही भीख माँग रहे हैं। क्योंकि दूर जा ही नही सकते। भिखारी गाड़ियों में चल रहे हैं। शौचालय के नाम पर अधिकारियों के घर बने गये और शौचालय जगह जगह बने हैं पर उन पर ताले जड़े या पानी नहीं है।