Saturday, 23 March 2013

bhades

महिलाओं के लिए अभद्रता से बोलना उनका मजाक उड़ाना  पुरुषों का शौक  बन  गया है  क्योंकि गैंग रेप  हो  या रेप  यह पुरुषों से सम्बंधित  है उन्हें यह कहते शर्म महसूस नहीं होती कि बीबी पुरानी है या एक एसएसपी यह कहते नहीं डूबता की इतनी पुरानी  से कौन रेप करेगा जब छह  महीने की बच्ची से बलात्कार होता है तो वह बहुत नई होती है वह बहुत अच्छी बात है.पुरुशोन का बचाव करते  रहते हैं उनके अपराध को कम करने के लिए अपनी जुवान को हल्का करने मैं संकोच नहीं है .महिलाओं को रेप के बाद मरने के लिए प्रेरित किया जाता  है या उसे यूज़ एंड थ्रो  के सामान मार दिया जाता है उसकी  कोई कीमत नहीं है पुरुष वर्ग अपनी मर्दानगी पर मूँछ मरोड़ता घूमता है  जब की शर्म से उसे डूब मरना चाहिए  एस बोलने वालों को अपनी जुवान  कट कर  फैक  देना चाहिए  कम से  कम खुद देखे  अपने घर की महिलाओं को देखे अपनी जेड सुरक्षा  हटा  कर अपनी बेटी को सड़क पर भेज कर देखें जिन्हें फ़ोकट का  खाने को मिल रहा है वह क्या जाने  की अस्मत क्या होती है  जिस डेट पेंट  की बात करते है पुरुष अपने ऊपर लगाने वाले समय को देख ले सुबह ही सुबह पुरुष अधिक  समय लगता है तैयार होने मैं  ब्यूटी पार्लर पुरुषों के भी उतने ही चल रहें हैं  इनमे पुरुष  मालिश करते दिख  जायेंगे .अपने अपने घरों मैं झांक कर बोले  यदि अभद्रता से बोलना  उनकी शान है बड़प्पन  है तो जीने के बहाने तो बहुत है 

Wednesday, 6 March 2013

mahila divas

फिर  आ गया  आठ  मार्च ,प्रसन्न हैं हम महिलाऐं .हमारा दिवस आ  गया  .आधी आबादी का दिन पर हिम्मत भी अभी आधी  है  हमें बचाओ ] हमारी बेटियों को बचाओ ,हम चीख रहें हैं पुकार रहे हैं  तुम हमारे रहनुमा हो  हमे बचाओ ,हम तुम्हारी सत्ता स्वीकारते हैं  हमे कृतार्थ किया जो हमारा दिवस मनाने दिया हमे हाड़  मांस का  समझो रबर की गुडिया नहीं .पीड़ित होने पर न जाने कितने नाम अपना मन समझाने को रख लेंगे पर असली नाम उजागर करने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं .उसके नाम पर सुविधाएँ पाने मैं हमें शर्म नहीं है उसकी शख्सियत उजागर करने मैं शर्म है क्योकि बदनामी हो जाएगी परिवार शर्म से गड़ गया जैसे लड़की ने पाप किया हो .सरकारी उम्र से पहले जवान होकर वह अपनी क्रूरता पर, उग आइ मूंछो पर ताव  देगा  और हम  महिलाये अपने को दोषी मानती रहेंगी ,हर पुरुष द्वारा किये कुकर्म के लिए दोषी हम खुद को मानते है ,नन्ही नन्ही बच्चियों से दुष्कर्म होता है उनकी हत्या होती है हम दोषी हैं क्योकि  वह हमारी बेटी है ,इस संसार की जन्मदात्री है ,पुरुष तो पुरुष है उसके न माँ होती है न बहन न बेटी ,क्या इन हत्यारों का दिल अपनी बहन बेटी को देख कर कापेगा नहीं ,इस हालत मैं अपनी बेटी को देख कर क्या इतना ही प्रसन्न होगा ,क्या सहज जिंदगी जी पायेगा इस हालत मैं इनकी माँ बहन बेटी का चेहरा लगा कर दिखाया जाये क्या अपनी विजय गाथा गा पाएंगे .संसार मैं से आधी आबादी को हटा दो दूसरी शताब्दी नहीं आयेगी दुनिया समाप्त हो जाएगी  न प्रलय की जरूरत  न हिम युग की .
हम अपने लिए न जाने कितने उपमान लगा लेते हैं  हमसे सूरज रोशन है ,इसमें कोई शक नहीं भारत ही नहीं  विश्व मैं स्त्री ही शक्ति है  वह हर देश को दशा और दिशा देकर उसे सम्रद्ध कर  रही है  क्योंकि वह अपने कर्णधारों को  आधार  दे रही है स्वकर्म के साथ स्वधर्म मैं भी जी जान से जुटी है .लेकिन उसके बलिदान को नाम  क्या एक दिन महिला दिवस मनाने से मिल जायेगा .घर बहार सब देख रही है उसकी कर्मठता को क्या इ नाम मिल  जायेगा .
स्त्री के माथे का  दिपदिपाता  सिन्दूर उसके चेहरे  को देदीप्यमान बनाता है यह उज्वलता स्त्री के सुहागन होने की वजह से नहीं  यह है अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने का गॊरव .उसने समाज को सम्पूर्णता प्रदान की है  देश्देश को सक्षम कर्णधार दिए है जिससे देश विश्व मैं परचम लहराए  चूड़ी  की झंकार उसके ह्रदय का संगीत है  जिससे जन जीवन गुनगुनाता है ,हँसता मुस्कराता है .
एक नई  मांग उठी है घरेलू काम  कने का वेतन  अर्थात वह घर का कम करने के लिए ही ली गई है वह घरेलू कर्मचारी है यह पट्टा  अपने गले मैं लटकाने को महिलाए तैयार है वह घर की मालकिन नहीं है  कर्मचारी है जिसे पूर्ण आमदनी को पाने का हक़ है  वह और गिरने को तैयार है  अभी दोयम दर्ज है तब चतुर्थ श्रेणी  का कर्मचारी नियुक्त होने को तैयार है जब चाहो कम पसंद न ए निकल दो  अपने स्वाभिमान को उठाना नहीं और कुचले जाने को तैयार है