Wednesday, 21 September 2011

shishu geet

चंदामामा रोज सवेरे चले कहाँ तुम जाते हो 
दिन मैं तुम्हे ढूढता रहता मुझे नहीं मिल पाते  हो  .
दिन मैं आओ चंदा मामा  हम तुम दोनों खेलेंगे 
कुछ तारे भी संग मैं लाना  आंख मिचोली खेलेंगे 

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यह देखो यह मोटा चूहा कैसे झांक रहा  है 
मुन्ने की थाली  को कैसे तुक तुक तक रहा है .
छोटा मुंह और लम्बी मूंछ छोटा कद और लम्बी पूँछ 
अब देखो यह भूरा चूहा सरपट भाग रहा है .

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बाबूजी का जूता मेरे रहता बड़ा बड़ा  है
छोटे भैया का जूता रहता अड़ा अड़ा  है .
अम्मा की चप्पल तो बहार निकल निकल जाती है 
मेरी ही चप्पल बस मेरे पैरों  मई अति है