Friday, 6 September 2013

hindi meri hindi

हिंदी तो घर वाली  है सबको लगती बहुत सयानी
पत्नी बाहरवाली है हिंदी तो घरवाली है
फूलों की सी डाली है
 मर्यादा मैं बंधी हुई' करती घर  की रखवाली है
चन्द्र बिंदु सम सजी हुई 'वह सुहाग की लाली है
घर की  सुन्दर शोभा है ,बगिया की हरियाली है
 सबको प्यारी प्यारी लगती,अपनी अपनी साली है
अंग्रेजी  बाहरवाली है ,भरी हुई रस प्याली है
संग साथ अच्छा लगता,उसकी शान निराली है
मस्त मस्त सबका मन हरती काले चश्मे वाली है
जींस टॉप मैं छम्मक छल्लो  ऊँची सैंडल वाली है
हिंदी साड़ी  सूट  बांधती ,लगती ढीली ढाली  है  
लगती सबको  प्यारी प्यारी गोरे गालों वाली है
हिंदी शांत सोम्य निर्झरणी ,अंग्रेजी हंटर वाली है
बहार से है टी न टपेरा   अन्दर बोतल  खाली  है
केक पेस्ट्री ललचाती है ,मगर पेट रहता खाली है
हिंदी करती तृप्त भूख  को  वह रोटी की थाली है
हिंदी तो है मधुर तान  कूके कोयलिया काली  है
गिटिर पिटिर अंग्रेजी करती ,हडिया  कंकड़ वाली है
सबको लगाती बहुत सुहानी बीबी बाहर  वाली है           

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