इतिहास गवाह है सबसे अधिक युद्ध धर्म के नाम पर हुए हैं मानव ने अपने को बाँट तो अनेक धर्म मैं है लेकिन सब धर्मों का स्वरुप एक है कहीं भी विनष्टि की शिक्षा नहीं दी जाती है पर मानव ने हर धर्म का अंत विनाश मान लिया है हम देवी देवताओं को प्यार से घर लाते उनकी पूजा करते हैं फिर विसर्जन कर देते हैं अब भगवन बहुत हुआ अब अप मिलो मिटटी मैं हमे मुक्त करो अब पूरे साल हम मनमानी कर फिर आप को मन लेंगे आप हमारे को माफ़ कर देना साथ ही विनाश की ओर एक कदम और बढ़ा देते है नदियों को प्रदूषित करके मेरे गणपति तुझसे छोटे नहीं हो सकते तरह तरह के चमकदार रंगों से रंग कर अपने पीने वाले मैं मिला देते हैं जिसकी हमने पूजा की है उसे पानी मैं विसर्जन कैसे किया जा सकता है हर कदम हमारा विसश की ओर ही है स्वयं अपने विनाश की ओर.बृज मैं बहुत उत्सव हैं देवी देवता भी रखे जाते थे लेकिन केवल छोटी सी मति की डली के रूप मैं और उसे घर मैं तुलसी के पोधे से उठाया जाता और वहीँ मिला दिया जाता था यमुना मैं जहर नहीं घोला जाता था
रहती थी मैं मस्त गगन मैं खेल कराती थी पेड़ों से
अब तो एसी की गर्मी मैं जलाता रहता है मेरा तन
जब तक बह पाऊँगी बह लूंगी जीलो जीलो जीलो
कालिदी थी स्याम रंग की मन से रंगी हुई थी
देख देख कर अपने जल को दुःख से भरी हुई थी
कहती है जब तक मुझमें जल पीलो पीलो पीलो
गंगा जल तो बात दूर की अब पानी भी भूलो
फिर तो है बस काली कीचड पीलो पीलो पीलो
रहती थी मैं मस्त गगन मैं खेल कराती थी पेड़ों से
अब तो एसी की गर्मी मैं जलाता रहता है मेरा तन
जब तक बह पाऊँगी बह लूंगी जीलो जीलो जीलो
कालिदी थी स्याम रंग की मन से रंगी हुई थी
देख देख कर अपने जल को दुःख से भरी हुई थी
कहती है जब तक मुझमें जल पीलो पीलो पीलो
गंगा जल तो बात दूर की अब पानी भी भूलो
फिर तो है बस काली कीचड पीलो पीलो पीलो
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