Tuesday 14 May 2024

Adhunik robinhood

 2

इसरायली पुलिस उसके पीछे थी पर वह बच निकलता था। बिजली की तेजी में आता और चला जाता। एक न एक कार उसकी प्रतीक्षा में खड़ी रहती थी। और जहाँ कहीं भी नोटों से भरा थैला लेकर रुकता नोट बाँटना शुरू कर देता। यद्यपि पुलिस का हर सड़क चौराहो पर पहरा रहता लेकिन जब तक पुलिस प्रकट स्थल पर पहुँचती वह दूसरे शिविर में पहुँच जाता। 

कुछ ही दिन में अपनी दानवीरता के कारण वह प्रसिद्ध हो गया। कहना नहीं चाहिये किंवदन्ती बन गया। लोग सौगन्ध खाकर कहते कि वह हवा मै गायब हो सकता है। लोग कहते वह खुदा का भेजा फरिश्ता है । उसे खुदा ने गरीबों की मदद के लिये बहिश्त से भेजा है। कुछ शरणार्थी ऐसे भी थे जिन्हें शिविरों में स्थान नही मिला था वे झोपड़ियों में रहते थे। झोपड़ी तेज धूप से बचाव नही कर पाती थी वहाँ गंदगी भी बहुत रहती थी । ऐसे पीड़ित और जरूरतमंद लोगों के लिये पैरी का आना किस देवदूत के आने से कम नही था इसमें आश्चर्य नहीं। 

बाद में ज्ञात हुआ कि यह दानवीर जूड़िया की पर्वतमालाओं का सबसे बड़ा चोर और बैंक में डाका डालने वाला डकैत है। उसका चोरी करने का तरीका भी उतना ही अनोखा और तीव्रता भरा था जितनी तेजी से वह आता जाता और उदारता से धन बाँटता था। 

वह तेल अबीब की एक बैक का प्रधान खंजाची था। उसका स्वास्थ कुछ गिरा था इसलिये अपने बैक के प्रैसीडेंट फ्यूचैवागर की सलाह पर छुट्टी लेकर गलिली झील के तट पर अच्छे होटल मंे छुट्टियाँ बिताने चला गया था। वहाँ के शांत वातावरण में उसके दिमाग में योजना जन्मी थी। 

शाबाश के त्यौहार का दिन था तेल अबीब के सभी उद्योग कारखाने बंद थे। सब जगह छुट्टी थी। यहाँ तक कि बसें भी बंद थी। पैरी को एक ड्राइवर मिल गया उसने ड्राईवर को असिस्टेंट खंजाची के घर छोड़ दिया। 

पैरी प्रसन्न मुद्रा मे असिस्टेंट डेविड के घर पहुँचा। डेविड ने उसे संतरे का रस पिलाया उसने डेविड से कहा कि मिस्टर फ्यूचेवांगार ने तिजोरी की चाबी मंगाई है क्योंकि बैकों की तमाम रकम सरकारी आदेश में कब्जे में ली जा रही हैं और मिस्टर फ्यूचेंवागार ने आर्डर दिया है कि तमाम रोकड़ तिजोरी में से निकाल ली जाये। 

डेविड सहज ही कहानी पर विश्वास करने वाला व्यक्ति नही था। उसने बैंक के प्रैसीडेन्ट से फोन पर निर्देश पाये बिना चाबियाँ सौंपने से इंकार कर दिया। अपनी योजना का इस प्रकार विरोध होते देखकर पैरी आपे से बाहर हो गया। और भयभीत डेविड को कुर्सी पर बैठे रहने को मजबूर कर दिया। 

डेविड को कटार दिखाते धमकाया अगर फौरन चाबियाँ नहीं दी तो मै तुम्हें मार डालंूगा । डेबिड समझ गया कि पैरी अपने आपे में नहीं है उसने चाबियों का स्थान बता दिया। पेरी ने चाबियाँ अपने जेब के हवाले की और फिर अपने असिस्टेंट को कुर्सी से बाँध दिया। उसे चेतावनी दी अगर तुमने टेलीफोन किया या इसकी किसी को खबर दी, तो मैं तुम्हारी बोटी बोटी काट दूगा। यह कहकर उसने बाहर से ताला लगाया और चल दिया। 

shesh fir

Monday 13 May 2024

Adhunik Robinhood

 आधुनिक राबिनहुड

‘एक आईडिया दिमाग में आया है कि किस प्रकार हम पैरी के छिपाये खजाने का पता लगा सकते है ?’एक युवा अफसर बोला ,‘यह पैरी भी बड़ा अजीब आदमी है ,उसके जीवन का लक्ष्य सरकार के खिलाफ बगावत है। किन बजह से वह ऐसा सोचता है यह तो खुदा जाने। मेरी समझ में आया है कि हममंे से एक उसका सहायक बन जाय यह दिखाये कि वह भी बागी है, उसके विचारों से सहमत है । उसकी सरकार के विरुद्व योजना में सहायक होगा। उसके साथ ही जेल से भाग लेंगे तो उसके साथ रहने से यह पता लग जायेगा कि उसने धन कहाँ छिपाया है, जिसने उसे इजरायल का राबिनहुड बना दिया है।’ 

इजरायल पुलिस महकमें के प्रधान येहेजकाल कुछ देर कहने वाले की ओर देखता रहा फिर बोला,‘ तुम्हारा मतलब है कि तुम चाहते हो कि पैरी को जेल से भगाने की व्यवस्था की जाये।’ 

‘जी ! सर, यही बात,’ अफसर बोला,‘ मेरे ख्याल से यही तरीका है कि हम उसके द्वारा छिपाये धन का पता लगा लें। वह उगलकर तो कुछ दे नहीं रहा है, कितने प्रयत्न कर लिये। यह सच है कि उसके पास बहुत धन है ।जब वह जेल से बाहर था तो देश भर में घूमकर उसे लुटाता फिरता था।’ 

सचर सेाचने लगा। उसे चुप देखकर अफसर आगे बोला,‘ निंसदेह यह धन उसका तो है नही उसका विश्वास है कि वह देश का भाग्य विधाता है। वही एक ऐसा व्यक्ति है जो कि इसरायल से विद्रोह नेतृत्व करेगा। अगर कोई विश्वास पात्र बन जाये तो बाकी काम आसान हो जायेगा। ’

पैरी शरणार्थी शिविरों में एकाएक पहुँचता, गरीबों को धन बाँटता और जिस तेजी से आता उसी प्रकार गायब हो जाता । एक गरीब बुढ़िया को 20 पौण्ड का नोट देते हुए उसने कहा था,‘ लो इसे ले जाओ, खाने का सामान खरीद लेना तुम्हें लग रहा है बहुत जरूरत है।’ 

कुछ लोगों के जमघट के बीच पहुँचकर उसने नोटों का बंडल निकाला और चिल्लाया ,‘यह तो अभी शुरूआत है। तुम सभी के अच्छे दिन आने वाले हैं। अपने लिये कुछ सिगरेट खरीद लेना। तुम्हें अच्छे तंबाकू का स्वाद लिये काफी अर्सा गुजर गया होगा। ’

उत्सुक बच्चों की भीड़ ने सुना कि उनके बीच में एक दाता आया है तो भाैंरे की तरह उसके इर्दगिर्द जमा हो गये। उस दुबले पतले व्यक्ति ने अपने लम्बें थैले में हाथ डाला और नोटों का एक बंडल निकाला फिर सावधानी के साथ एक एक बच्चे को एक एक नोट थमा दिया फिर अपने कूल्हों पर हाथ रख पीछे हटा और संतोष के साथ उसकी ओर अचम्भे  से देखने वाली आँखों के घेरे को देखने लगा। 

‘अब भागो, बच्चो, इनसे खिलौने खरीदना ढेर से खिलौने ,चाहो तो मिठाईयाँ भी ले लेना और जैसे तेजी से आता गायब हो जाता। 

इसरायल में हर बच्चा बच्चा पैरी के नाम से परिचित हो गया। अखबारों में उसके बारे में कहानियाँ  छपने लगी। अपने साथ वह नोटों से भरा थैला लेकर चलता अधिकतर टैक्सी ड्राईवर को 10 पौण्ड का नोट वख्शीश में देता था। जिस शिविर मेें जाता सरकार के खिलाफ बोलता और भविष्य में अच्छे दिन आने का वायदा करता । वह शरणार्थियों के लिये घर काम और बच्चों के लिये स्कूल खोलने के इरादे की बात करता । यह अवश्य कहता था जैसे ही वह संगठन तैयार कर लेगा वह कर दिखायेगा । वह दया और सद्भावना का पुतला था। दौलत  जैसे कारूॅ का खजाना थी।

 shesh fir


prerak prasang

 

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kirch kirch batene

 ☺झूम झूम कर नृत्य कर गीत गा रहा था भगवान् तेरे

नीचे गड्ढ़ा आ गया तो मुॅह से निकल हत तेरे।


☺भूखे पेट में अग्नि इस कदर घधकती है कि

कड़कड़ाते जाड़े में भी आसमान की चादर ओढ़ कर सो जाते हैं

☺अर्न्तघ्वनि

सिलैंडर से लगी आग पन्द्रह बचे ( मरे नहीं बच गये यह भी कोई बात हुई सब मरते )


☺हर व्यक्ति वर्तमान व्यवस्था से व्यथित है उसे बदलना चाहता है इसलिए सत्ता मैं आना चाहता है और सत्ता मैं आते ही वह बदल जाता है उसके हालात बदल जाते हैं

☺मंा की सबको फिक्र है क्योंकि मां चौकी दार है रसोई दारिन है नर्स है और खुद के लिये कुछ नहीं हैे

☺मंा वह चीज है जिसका मूल्यांकन मरने के बाद भी नहीं होता ।


Saturday 11 May 2024

maa ka janm din

 मॉं का जन्मदिन

विदेश में बसे बच्चों ने  मां का जन्मदिन मनाया । बड़ा सा केक काटा और स्वदेश में अकेली बैठी मां को फोन किया ,‘मां, हम तुम्हारा जन्मदिन मना रहे हैं,  मॉं आप टैब चलाना जानतीं तो दिखाते।’ फोन पर माँ को सुनाया ,‘माँ हैप्पी वर्थ डे टू यू ’सबने मिल कर गाया । सुन सुन कर कल्पना कर रही माँ प्रसन्न थी , आर्शीवाद दे रही थी ,कितना ख्याल रखते हैं बच्चे, और बच्चे केक के साथ स्वादिष्ट खाना खाते कह रहे थे ,‘माँ बहुत बढ़िया खाना है ’ बच्चे तृप्ति से खा रहे  हैं ,मॉं प्रसन्न थी , और माँ सुबह की सब्जी से रोटी  खा, आशीष देती अकेली सो गई।


Friday 10 May 2024

Mothers'day par maa kavitayen

 मॉं   

   माँ 

   मैं रोता सुबकता

   छिप जाताा था तेरे आंचल के साये में

   सो जाता था निश्चिन्त

   विलय हो जाता था मेरा आस्तित्व

   तेरी गोद के आश्रय में

   लगता है नितांत एकाकी हो गया हूँ

   उस साये के हट जाने के बाद


    द्वार पर बैठी ताकती रहती थी

    दो आंखंे मेरे आने की राह

    सुई का सरकता कांटा

    टिकटिका देता  था उसकी धड़कन

    आकुल प्राणों को मिल जाती थी राहत

    मेरी झलक मात्र से

    अब उन आंखों को ढूढ़ता हूँ

    उन आंखों के बंद हो जाने के बाद


    कितने साये चलते फिरते

    सरकते थे चारो ओर

    एक ही छत के नीचे

    हमारे दुःखों में खड़ी रहती थी

    एक स्तभ्म की तरह

    ठंडी छत का एहसास रहता था

    तपती  धुप में खड़े हैं

    उस छत के हट जाने के बाद  

   

    तेरा थाली लेकर बैठना, 

    उबा देता था मुझको 

    क्यों जागती है मेरे लिये

    झंुुझला देता था मुझको,         

    अपराध से भर उठता था मन 

    जब रात में सेकती गर्म रोटियाँ

    बहुत याद आती है वे 

    ममता भरी रोटियॉं, 

    उन रोटियों के ठंडी हो जाने के बाद।


   पहचान लेती थी, 

   मेरे हर कदम की चाप से

   कैसा हूँ मै  कैसा बीता है दिन

   झिझकते हुए सहला देती थी 

   चुपचाप धीरे से सिर 

   आंखें मेरी चिंता से जाती थी घिर

   बहुत याद आते हैं वे नरम गरम हाथ  

   उन हाथों के ठंडे हो जाने के बाद























2

मुझे मालुम है मां


मुझे मालुम है माँ तू बहुत रोई होगी

मेरे घर से चले जाने के बाद

मुझे मालुम हैं माँ काँप जाते होंगे तेरे हाथ

मेरे मन की चीज बनाने के बाद

नही चल पाता होगा कौर तेरे मुख में

खिसका देती होगी थाली आंसुओं के बहने के बाद


रोशनदान पर जब चिड़िया ने तिनके सजाये होंगे

छोटे छोटे से कोमल बच्चों को देखा होगा

मुँह में दाना लाकर डालती होगी दाना

उड़ना सिखाते ही हो गया होगा घांेसला खाली

मैं जानता हूँ माँ तू बहुत रोई होगी उनके उड़ जाने के बाद


मैंने देखी है तस्वीर के पीछे दो छोटे हाथो की छाप

सफाई के बाद भी तूने वह तस्वीर नहीं उतारी

मैंने चूमते देखा है उन नन्हीं छापों को

मेरे बड़े हो जाने के बाद

मुझे मालुम है तू बहुत रोई होगी छूकर उन छापों को 

मेरे जाने के बाद














3


माँ तू चली गई


सूना घर आंगन है अब

ममता चली गई


तेरी गोद़ी में सर रख

कभी कभी सो जाता था

जैसे दुनिया के सब दुःख से

दूर बहुत हो जाता था।


वर्षा की बूंदों की टपटप

सुनकर बाहर जाता था

भीग न जाऊँ इस डर आंचल

बनता सिर पर छाता था


देर अगर हो जाये जरा भी

दरवाजे पर आ जाती थी

सारे देवी देव मनाकर

मेरी खैर मनाती थी


बस मैं खा लू सारी दुनिया

तब खाना खा लेती थी

कितनी भी खालूं मैं तब भी

थाली भरती जाती थी


जाने कैसे सुन लेती थी

हल्की सी मेरी आहट

जाने कैसे पढ़ लेती थी

मेरे मन की हर चाहत


छींक अगर आ जाये जरा भी

उसका दिल घक धक करता था

नजर लगाई किसी बला ने

राई नॉन उतरता था।



4


माँ बड़ी प्यारी है


कहने को माँ बड़ी प्यारी है

ईश्वर का रूप दुनिया में न्यारी है


बूढ़ी होने पर माँ नहीं सुहाती

पत्नी ही अच्छी जब घर में आ जाती

उसकी ही आवाज अच्छी लगती है

माँ तो करेले का साग लगती है

सुबह दिख जाये तो दिन भारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


घर को सबने बाँट लिया

अच्छा अच्छा छाँट लिया

माँ केा सबने छोड़ दिया

उससे मुँह को मोड़ लिया

बूढ़ी माँ केवल जिम्मेदारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


माँ  बस तभी याद आती है

तस्वीर पर माला चढ़ जाती है

जब तक माँ प्यार से पकाती रही

तब तक घर में सुहाती रही

बूढ़ी माँ की एक रोटी भी भारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


जिस बेटे का मुँह देख जीती थी माँ

जो था उसकी आंख का तारा

सारी दुनिया में केवल वही था वही

बुढ़ापे में उसने माँ को दुतकारा

माँ दुनिया में बस बेटे से हारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।







5


माँ तो चली गई



माँ तो चली गई दुनिया से

छोड़ गई सब कपड़े गहने

एक एक ईटों को बांटा

बांट लिये आभूषण सबने

प्यार दुलार नेह ममता की

साथ ले गई छाया अपने

हम बच्चों के हित में बांधे

पुड़िया पुड़िया कितने सपने

सारा तम आंचल में बांधा

चाँद सितारे टांगे कितने

माँ का आंचल ठंडक देता

धूप दुपहरी लगती तपने

माँ की गोदी गरमी देती

शीत लहर से लगते कपने

हाड़ कांपते माँ के अपने

लेकिन गोद गर्म होती है

बालक को गोदी में लेकर

माँ कपती कपती सोती है।

माँ तो इक बहती नदिया है

दर्द बहा ले जाती है

ममता की लहरों के संग संग

भीगा तन मन दे जाती है

माँ का एक शब्द ही केवल

धर्मग्रन्थ बन जाता है

आशीष भरा हाथ हो सर पर

सारा जीवन तर जाता है

माँ का जीवन गहरा सागर

दर्द तहों में दब जाता है

केवल प्यार झलकता चेहरा

लहरों के संग आ जाता है

माँ की पहनी धोती छटकर

मेरे हिस्से आई

माँ के तन की खुशबू सारी

मैंने उनमें पाई

भीग गई आंखे पा माँ को

तन से उन्हें लगाई

इसी रूप में माँ तू मेरे

पास सदा को आई

आंचल का सा साया लगता

मेरे सिर पर छाया

माँ की ममता नेह प्यार सब

मुझमें आ के समाया।
















डा॰ शशि गोयल

सप्तऋषि अपार्टमेंट

जी -9 ब्लॉक -3  सैक्टर 16 बी

आवास विकास योजना, सिकन्दरा

आगरा 282010 ॰9319943446

म्उंपस दृ ेींेीपहवलंस3/हउंपसण्बवउ








मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार

दुः.ख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार

 इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है 

मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है

अभी जिन्दा है मां मुझे कुद नहीं होगा

मैं घर से चलता हूं दुआ साथ चलती है

सारे रिष्ते जेठ दुपहरी गर्म हवा आतिष अंगारे 

झरना दरिया झील समंदर झीनी सी पुरवाई अम्मा

घर के झीने रिष्ते मैंने लाखों बार उघड़ते देचो 

चुपके चुपें कर देती जाने कब तुरपाई अम्मा










cheen ke ve das din

 जीवन ही अनवरत यात्रा हैण् कहते है चौसठ लाख योनियों के बाद मनुष्य जन्म मिलता है जन्मसे जन्म की यात्रा बचपन से बुढ़ापे की यात्राए अर्न्तयात्रा यह चलती रहती हैं निरंतर चलती है इस यात्रा में कही भी पलभर रुकने कीए ठहरने की गुंजाइश नही है इस यात्रा के पलों को और यादों से सजा दे। धरती के अनेक रूप उसके रूपों को देखना जैसे ईश्वर के स्वरूप को देखना कैसी अदभुत रचना है कहीं समुंदर है तो कहीं ऊँचे पहाड़ कहने को समुंदर समुंदर है पर एक रंग रूप प्रकृति नहींए उसके भी अपने रूप हैं पहाड़ों पर कहीं सूरज पल पर ठहरा है तो कहीं उसकी चोटी पर बैठा चकित सा देख रहा है कि किधर जाऊँ कहीं हरियाली तो कहीं झरनेए नदी उनके साथ.साथ अपने पॉव जो छाप छोड़ते जाते हैं और यात्रियों के लिये प्रकृति से तादात्म्य होगी उसकी मनोहारी छटा के रस से सराबोर होंगे वे चलते.चलते जीवन के दर्शन का साकार करेंगे कुछ छुटेगा तो आगे नया मिलेगा कभी ऊँचे किले जो अब वीरान हैं तो कहीं बड़े बड़े महल जिनमें आज भी पुराने स्मृति चित्र शेष हैं। उनके साथ उस समय को जीवन में लौट जाते हैं कैसी थी उस समय की संस्कृति सभ्यता। यात्रा संस्कृति की यात्रा बन जाती है।

यात्रा के साथ जीवन के अनेक रूप साथ चलते है अनेक जीवन साथ चलते हैं या दिन जीवन यात्रा के पड़ाव होते है।

हम चौदह यात्री चौदह रंग सबका अलग स्वभाव अलग पसंद पर उस समय सब एक थे एक स्वर सबकी बातों में झलक रहा था।

स्व॰डॉ॰ मनोरमा शर्मा के नेतृत्व में हम बिना किसी भय के घूम रहे थे जैसे अपने शहर में घूम रहे हो वतन से दूर अपने.अपने घर से अकेले आये हैं यह ऐहसास ही नहीं था लग रहा हैं सभा से उठकर सब चल दिये हों साथ में अरस्तू और शशांक प्रभाकर थे ही अगर कुछ भागदौड़ करनी हुई तो है हमें क्या करना है हम सबको तो बस पीछे.पीछे चलना है कहां जाना है कहां ठहरना है क्या लेना है क्या देना है इससे हमें कोई मतलब नहीं सब कुछ हाजिर। श्रीमती किरन महाजनए डॉ॰शैलबालाए डॉ॰ राजकुमारी शर्मा जैसे मित्र। शायद जिंदगी में इतना कभी नहीं हंसे होंगे जो चारों मिलकर हंसते रहते विशेष एक दूसरे की टांग ही खींचते रहते। संभवतः चाय की केतली का बटन दबाने में एक प्रतिशत कष्ट होात नब्बे प्रतिशत कष्ट इस बात के लिए कर लेते कहां है किरन भाभी चाय का मन है ढूँढ़ कर लाओ। सबसे अधिक मजा सबके खाने के समान के डिब्बों को खाली करने में आता था। डॉ॰ चित्रलेखा सिंहए डॉ॰ सरोज भार्गवए वंदना सकारिया झुककर आगे हो पीछे हो फोटोग्राफी ही करती चल रही थी शायद चीन का हर फूल हर कलात्मक वस्तु उनके कैमरे में कैद हो गई थी। उनका कैमरा पूरा चीन कैद कर लाया था। योग प्रशिक्षक नंदनी ने इतने दिन में सबको योग कौशल सिखा दिया उस समय तो सब यही सोच रहे थे कि अब प्रतिदिन योग करके अपने शरीर में फुर्तीला चुस्त बनायेंगे अब कितने संकल्प पूरे होते है कितने करते हैं यह तो दूध का ऊफान है घर पहुँचते ही ठंडा सब वहीं का वहीं ओशो तो सबका बच्चा था  सबका मातृत्व तृप्ति पा रहा था सबसे पहले उसे ही देखा जाता कहाँ है क्या खाया क्या पिया ठीक है अच्छा लग रहा है। रजनी जी मस्त मस्त सबके साथ थीं ही ऐसी यात्रा भुलाई नहीं जाती हो सकता है चीन का चमकदार रंग फीका पड़ जाय पर सहयात्रियों के साथ बिताये पल कभी नहीं स्मृति पटल से जायेंगे।

naya jeevan purtgali kahani

 पुर्तगाली कहानी

नया जीवन

एक धनी किसान के दो पुत्र थे। छोटा पुत्र पिता के कठोर अनुशासन से घबड़ाता था। उसे हाथ खोलकर खर्च करने का शौक था। वह समझता पिता उस के पास इतना धन है पर वो हम पर खर्च करना नहीं चाहते। वह प्रतिदिन पिता से झगड़ा करता। एक दिन उसने पिता से कहा, पिता् मुझे मेरा हिस्सा दे दो। मैं अपना जीवन अपने ढंग से निर्वाह करूँगा।

पिता ने सारा धन दो हिस्सें में बाँट दिया। छोटा पुत्र अपने हिस्से का धन लेकर विदेश चला गया। धनी व्यक्ति को देखकर अनेकों चापलूस उसके साथ मिल गये और सारा धन शौक मौज में खत्म कर दिया। शीघ्र ही वह बहुत गरीब हो गया। यहाँ तक कि उसे नौकरी करके पेट पालना पड रहा था। उसने सूअर चराने की नौकरी की। कभी कभी भूख से व्याकुल वह सूअरों के लिये बनाया खाना भी खा जाता था।

जब बहुत परेशान और दुःखी हो गया तो उसने सोचा मेरे पिता के यहाँ तो बहुत से नौकर हैं और बहुत अच्छा खाते पीते हैं। मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ क्यों न पिता के घर जाकर नौकरी कर लूँ। जाकर पिता से कहूँगा मैंने आपके और भगवान के प्रति गुनाह किया है ,मुझे माफ कर दीजिये तो अवश्य पिता मुझे माफ कर देंगे और मैं कहूँगा कि मुझे अपने नौकरों की तरह ही रख लीजिये।

वह वापस पिता के घर पहुँचा। लेकिन जब उसके पिता ने उसे देखा तो दूर से ही दौड़ कर उससे गले मिले। पुत्र ने पिता के गले में बांहें डाल दी और रोते हुए बोला, पिता मैंने पाप किया है, मैं आपका पुत्र कहलाने लायक नहीं हूँ। आप मुझे अपने यहाँ नौकर बना कर रख लीजिये।

लेकिन पिता ने नौकरों को बुलाकर अच्छे वस्त्र मंगाये," मेरे पुत्र के लिये सर्वोत्तम वस्त्र लाकर पहनाओं। उसके हाथों में अंगूठियाँ पहनाओ और पैरों में कीमती जूते। आज हम अपने पुत्र की वापसी का जश्न मनायेंगे क्योंकि अब तक वह मृत था अब जीवित हो गया है वह खो गया था ,अब फिर से मिल गया है।

पुत्र पश्चाताप की अग्नि में जलता पिता के पैरों पर गिर पड़ा।


Wednesday 8 May 2024

paheliyan

 

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       Qwadks dku rHkh og cksys                                                      µckalqjh

 

 

 

        

              1    xksy xksy dkyh esa jkuh

             igu dku esa ckyk

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             lnk f[kykÅ¡ ykyk

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             ryrh gw¡ Hkj Bsyk

             uke crkvks esjk I;kjs

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       2   cpiu gjk cq<+kik yky

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           uke crkvks ckcw yky

           gks tkvksxs ekykeky                                                               

 

       3   fcuk iSj ds vkrh

           lq[k dh [kcj lqukrh

           dHkh dHkh nq%[k Hkh ns nsrh

           nke u dksbZ ysrh                                                            

 

 

       4   cj[kk lnhZ /kwi iM+h gks

           iFk esa iRFkj dhy xM+h gks

           bu lcls esa rqEgsa cpkÅ¡

           fQj Hkh gj fnu jxM+k tkÅ¡                                                         

 

       5   Å¡V tSlh cSBd

           e`x tSlh pky

           ,d tkuoj ,slk

           iwaN u ckds cky  

                                                         

       6      ,d uxj esa pkyhl pksj

              lcdk gS flj dkyk

              dku idM+ dj jxM+ fn;k

               rks gks x;k mtkyk                                                              

 

1 d<+kgh   2 fepZ 3 fpB~Bh4  twr  k5 esa<d6 ekfpl

 

 

 

 

 

Station mahila shochalay

 स्टेशन महिला शौचालय

मैं आगरा से भोपाल झेलम एक्सप्रेस से जा रही थी। साथ में कुछ छात्र केन्द्रीय हिंदी संस्थान के विदेशी छात्र झांसी घूमने जा रहे थे। एसी कोच के साथ समस्या रहती है झांक कर शीशे में से स्थान देखना पड़ता है। छात्रों के साथ दो शिक्षक भी थे। टेªन दस दस मिनट कर काफी देरी से चल रही थी इसलिये स्टेशन नियत समय पर ही आ रहे थें शिक्षक हर स्टेशन झांक कर देख लेते थे। ग्वालियर पर गाड़ी रुकी तो शिक्षक ने एक छात्र से कहा देखों। कौन सा स्टेशन है। छात्रा ने शीशे में से झांका। सामने लिखे को पड़ा और बोली, सर महिला शौचालय आया है। 

मैंने खिड़की से देखा सामने ही महिला शौचालय था हंसते हंसते दम निकलने लगा जब तक वह लड़के दिखते हंसी छूट जाती।

वे हिंदी सीखने आये थे अभी वर्णमाला और जोड़ जोड़ कर पढ़ना ही सीखा था। अटक अटक कर विदेशी उच्चारण से हिंदी बोलने की कोशिश कर रहे थे।

डॉ॰ शशि गोयल


Thursday 25 April 2024

भजन का सत्यनाश

 जैसे जैसे  यू ट्यूब  की लोकप्रियता बढ़ रही है लोग तरह तरह के वीडियो ऑडियो बना बना कर डाल रहे हैं कुछ  सनातन धर्म की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है और जरा भी गला अच्छा है तो भजन की  बाढ़ सी आ गई है ,अब भजन जो लोकप्रिय हो जाता है वह हर गायक गाकर अपलोड करता है , हम देवी देवता भी कई मानते हैं और उनके विशेष त्यौहार मानते हैं   विडिओ आडियो बनाने वालों को उससे कमी भी करनी होती है  तो विज्ञापन देना भी जरूरी है परन्तु जब मन और भजन की गंभीरता को न जानने वाले अनाडी लोग   आडियो बनाते हैं वो ये नहीं जानते जब आस्था के साथ भजन सुनता हुआ गायेगा वह व्यक्ति भजन के बीच में व्यवधान कभी पसंद नहीं करेगा वह इश्वर  की ओरे ध्यान लगाने का प्रयास भजन के माध्यम से करता है लय्  टूटती है तो फिर भजन भजन नहीं रहता .भजन का अपना महत्त्व है भजन साधना का माध्यम है .

भजन के साथ दूसरी मुश्किल यह है कि फ़िल्मी प्रसिद्ध गानों की धुन पर भजन बना लिए जाते हैं उनवे भजन भी भजन नहीं रहते  आब चोली के नीचे क्या है जैसे प्रसिद्ध गाने मैं  क्या देवी जी का चेहरा देखा जा सकता है जब कि हर प्रदेश के लोकगायकों द्वारा गए जाने वाले भजन या गीतों की धुन अधिक अच्छी होती है तब ही तो फ़िल्मी संगीतकार जगह जगह के स्थानीय लोकगीतों को सुनकर उसे अपने नाम से दे देते है  वे अधिक लोक प्रिय होते हैं  भजनों की भी अपनी धुन होती है 

भजन के साथ एक मुश्किल और है जो भजन लोकप्रिय अधिक हो गया उसको हर देवी देवता के लिए उसका नाम बदल कर गाने लगते हैं  चाहे उसमें दिया गया चित्रण उस देवता के लिए बैठे या न बैठे 

 उदहारण के लिए  मेरी झोपड़ी के भाग शबरी द्वारा गाया राम भजन है  अब उसमें स्याम लगा देने से वह बात तो नहीं अजाएगी  राम का चरित्र  और श्याम का चरित्र  दोनों अलग हैं खाटूश्याम भी अलग हैं अब सब के  भजन में एक सा वर्णन  करने से क्या वही स्वरूप हो जायेगा यदि आप राम को गुजा माला  पहना कर पग मैं पायल पहना देंगे तो क्या राम राम रह पाएंगे 

कहाँ का युवराज

 राहुल गाँधी को पता नहीं क्यों लोग शहजादा  युवराज कहते हैं वह क्या है ? एक आम व्यक्ति उसके नाना यदि प्रधानमंत्री थे या पिता प्रधान मंत्री  रहे तो क्या वे राजा हो गए यह तो  अब क्या है ? उसे क्यों इतनी तबज्जो दी जाती है  .

Saturday 20 April 2024

ladkiyon ki jaan

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Friday 19 April 2024

bhrshtachar mukt

 चुनाव की तैयारियों के साथ ही सत्तारूढ पार्टी की कमिया निकालना प्रारम्भ हो जाता है। बिषेश रूप से ऐसे मुद्दे उठाये जाते हैं जो जनता से जुड़े होते हैं लेकिन उन मुद्दों को उठाना और वायदा करना एक बात है उनको पूरा करना बिलकुल अलग है ।

सबसे पहले सवाल नौकरियों का उठता है । युवाओं की बेकारी का उठता है और कहा जाता है सरकार नौकरी दे ।हर व्यक्ति सरकारी नौकरी लेना चाहता है कारण पैसा अंत तक मिलता रहता हे ,दूसरी सबसे बड़ा कारण है काम नहीं करना पड़ेगा । सरकारी नौकरी का मतलब हरामखोरी होगया है । कितना भी भ्रष्टाचार मुक्त कहलें पर बिना लिये दिये तो मृत्यु सार्टीफिकेट भी नहीं बनता है । अब सरकारी नौकरी ऐसे ही तो मिल नहीं गई पूरा पैसा खर्च किया गया था उसे पाने के लिये तो वसूला तो जायेगा ही ।देष जाये गर्त में इसकी किसे चिंता है फिर दूसरी पार्टी कैसे खड़ी होगी वह कहेगी देष गर्त में जा रहा है विकास नहीं हो रहा है।क्योंकि सरकारी नौकर काम नहीं करना चाहते।


Thursday 18 April 2024

Jhoot ke panv nahin hote

 झूठ के पाँव नही होते

हर व्यक्ति अपने चारो और एक घेरे का निर्माण करता है कि वह कैसा होना चाहिये या कैसा है? यदि वह उसके अनुरूप नही होता है तो झूठ का सहारा लेता है। जिससे वह समाज में अपने अनुरूप स्थान ले सके। आजकल मोबाइल ने सबसे अधिक झूठ बोलना सिखाया है। वह घर में बैठा होगा और कहेगा मैं दूसरे शहर में हूँ। लैंड लाइन फोन से तो यह निश्चित हो जाता था कि वह घर पर ही है। बात नही करनी है मैं गाड़ी चला रहा हूँ बाद में बात करूँगा और वह बाद फिर नही आता। 

स्वंय की कमियों को छिपाना चाहता है श्रेष्ठ और श्रेष्ठ होना चाहता है अपनी कमियाँ होती हैं तो उसे झूठ के सहारे पूरी करता है। आमतौर पर यह सबसे अधिक डा॰ की डिग्री के लिये प्रयुक्त हो रहा है। किसी प्रसिद्ध डाक्टर के यहाँ नौकरी करके उसके यहाँ कम्पाउडरगिरी करने के बाद कुछ नाम सीख कर वह डाक्टर का बोर्ड लगा कर बस्तियों में दुकान खोल लेता है। ऐसे झोला छाप डाक्टर जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं।

एक पी एच डी डिग्री प्राप्त डाक्टर होते हैं। अगर सहयोगी डाक्टर है तो वह क्यों नही है एकाएक वह डाक्टर लगाने लगता है। अब कोई डाक्टर की डिग्री देखने तो नही आ रहा है। एक लेख लिख कर उसे अपनी थीसिस बताकर डिग्री लगाने वाले उतने ही है जितने सड़क पर नीली बत्ती और हूटर लगाकर घूमने वाले आस पास अपने चारो ओर एक झूठ का वलय बनाकर आइ ए एस, पी सी एस अधिकारी के समकक्ष दिखाना। 

परिवार में यदि एक व्यक्ति उच्च अधिकारी है उस घर का हर सदस्य अपने को अधिकारी ही बतायेगा और उसी ठसके से चलेगा। एम्बुलेन्स में सवारी बैठाकर टौल टैक्स बचाता सब बाधायें पार करना कितना आसान है बस एम्बुलेंस शब्द ही तो लिखा है और अधिक क्या झूठ बोला है। एक शब्द बस एक शब्द झूठ। 

झूठ शादी विवाह में भी खूब चलता है चपरासी की नौकरी करने वाला अपने को उस कंपनी का मैनेजर बताकर लड़की फॉसता है। यह किस्सा सच है यद्यपि यह फिल्म कथाओं का विषय भी बन चुका है कि घर के नौकर ने अपने को मालिक बताकर एक अमीर लड़की फंसाई और एक नही अनेक केस ऐसे हुए है। शिक्षा नौकरी आदि सब में छोटा सा झूठ जिन्दगियो को बर्बाद कर देता है। 

कभी कभी झूठ भय के कारण भी बोला जाता है इसका आरम्भ स्कूल कॉलेज के समय से ही हो जाता है। पढ़ाई नही की तो अध्यापिका से माँ की बीमारी का बहाना बना दिया कि घर का सब काम करना पड़ा और जब इस प्रकार के झूठ पकड़ जाते हैं तब एक के बाद एक झूठ का निर्माण कर अपने को बचाने का प्रयास किया जाता है। 

झूठ सामाजिक व्यवस्थाओं की बजह से भी बोला जाता है अपने को समृद्ध परिवार का बताने के लिये महिलायें किटी पार्टी आदि में दिखावा करती हैं। पटरी से खरीदे वस्त्र को वे शहर की नामी दुकान का बताती हैं नकली आभूषण असली बताकर दिखावा करती हैं। कभी कभी इसके लिये उन्हें घर फूंक तमाशा भी करना पड़ता है। आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया। वह घर में क्लेश का कारण बनती है।

बच्चों के नम्बर में बारे में बहुत झूठ बोला जाता है। हर महिला का बच्चा क्लास का टॉपर होता है। अपने ऊपर हम झूठ के आवरण चढ़ा चढ़ाकर जिन्दगी को कठिन और कठिनतर बना लेते हैं। अगर सत्य न बता सके तो चुप रहें। 


Friday 29 March 2024

Pustak prem 3

 छटवीं शताब्दीके मनीषी और फारस के वजीर आज़म अब्दुल कासिम इस्माइल और 1,17,000 ग्रन्थों से भरे उनके पुस्तकालय का किस्सा बड़ा मनोहर हे। इतिहासकार बजाजे हैं कि यात्रा भ्रमण की बात ही छोड़ दें, वह युद्धकाल में भी अपनी प्रिय पुस्तकें साथ रखते,जहां जाते उनका पुसत्कालय चार सौ ऊंटों पर लद कर उनके साथ जाता और ऊट थे कि उन्हें वर्ण क्रम से  बंध कर चलने का प्रशिक्षण दिया जाता था। इस प्रकार किताबी कारवां के साथ सफर कर रहे पुस्तकाध्यक्ष अपने स्वमी का इशारा पाते ही उनकी मनचाही पुस्तक निकाल कर पेश कर देते थे ।

पुस्तकों का जन्मदाता चीन है चीन में 868 में सर्वप्रथम पुस्तक प्रकाशित हुई थी। हीरक पुत्र नामक पुस्तक आज भी ब्रिटिश संग्रहालय में सुरक्षित है। पुस्तक प्रेमियों ने पुस्तको को तरह तरह से सजाया बनाया। बर्मा में संगमरमर की प्लेटों से तैयार की गई एक ऐसी पुस्तक हैे जिसका वजन 728 टन लंबाई एक मील 1.6। यह पुस्तक पाली भाषा में लिखी गई है। इसे संत यूनाखान्नी ने लिखा है। 

आस्ट्रेलिया में खुदाई के दौरान सैंकड़ो ग्रन्थों से संबंधित लाखों ईटंे जिन पर अक्षर खोद कर लिखा गया  मिली है। अर्थात ईटों की किताबें लिखने वाले भी क्या करें किसी न किसी पर तो लिखना ही था। भारत में तो भोजपत्रों पर लिखा जाता था। कागज था ही नही। आस्ट्रेलिया में खोद कर लिख दिया। पुरातत्ववेत्ताआंे के अनुसार यह संग्रह करीब साढे़ चार हजार वर्ष पुराना है। उŸारी श्री लंका में अनुराधापुर गॉंव मे ख्ुादाई के समय पुरातत्व वेत्ताओं को दो किलोग्राम सोने की आठ पत्तियॉं प्राप्त हुई है। संस्कृत भाषा में अंकित आठ पत्तियों की कीमत 15 लाख रूपये ऑकी गई है। अफगानिस्तान के एक अमीर व्यक्ति ने फारस के शहंशाह को एक पुस्तक भेंट दी थी जिसमें 169 मोती, 133 लाल व 111 हीरे जड़े हुए थे। दुनियॉ की सबसे नन्ही किताब जापान में प्रकाशित हुई है। बंद किये जाने पर इस किताब का आकार दियासलाई की सींक के समान हो जाता है खोले जाने पर इस किताब के दो पन्नों की लंबाई और चौड़ाई साढे़ चार मिली मीटर होती है। इस किताब का नाम हाब्कनिन हरूशु है । 


Tuesday 26 March 2024

पुस्तक प्रेम

 परन्तु कैसे ..........एक प्रश्न चिन्ह सबके चेहरे पर उभर आया। वह छात्र बोला, भारतीय ज्ञान का प्रचार पूरे विश्व में हो इसकी ज्योति विश्व में जगमगाये उससे कीमती तो हमारा जीवन नहीं है यह कहकर वह उठा और उफनती नदी की लहरों में कूद कर उत्ताल तंरगों में वह लोप हो गया। और उसका अनुसरण उसके मित्र भी करने लगे। अथाह जल में कई शरीर विलुप्त हो गये। पता नहीं कुछ नदी पार कर पाये या  नहीं इतिहास उनके कूदने तक का गवाह है। हवेनसांग सिहर उठा उसके नेत्रों से उन अमर बलिदानियों के लिये झर झर ऑंसू बह उठे। 

भारतीय संस्कृति का सर्वोच्च उदाहरण उसके सामने था। वह सकुशल उन ग्रन्थों के साथ अपने देश पहुंच गया। लेकिन एक अमिट लकीर उसके जीवन पटल पर खिंच गई। पुस्तक पढ़ना लिखना यही मानव होने की विशिष्टता है। पुस्तकों से मानव को एक लगाव होता है। पेट की ख्ुाराक यदि रोटी है तो दिमाग की खुराक पुस्तक है। लेखक का लिखने के लिये मस्तिक को केन्द्रित करना आवश्यक है। उसे केन्द्रित करने के लिये अलग अलग तरीके अपनाये जाते है। आगे बढ़ने से पहले मैं स्पष्ट कर दूॅ। यहॉं उन पुस्तकों का उल्लेख है जो पुस्तक रूप में अन्य सामान्य पुस्तकों से भिन्न हैं। जो असाधारण है। इस लेख का संबंध उन पुस्तकों से कतई नहीं है जो अपने विषय के लिये सरकार द्धारा जब्त की गईं या सबसे अधिक बिक्री का इतिहास बनाया। 

शेष

Sunday 24 March 2024

pustsk prem

 पुस्तक प्रेम

प्राचीन समय में भारत अपनी सभ्यता संस्कृति एवम् समृद्धि के कारण पूरे विश्व में विख्यात था। भारत के विषय मंे एक कौतूहल जिज्ञासा हर उस व्यक्ति के मन में रहती थी जिसे जरा भी मन में सत्य व ज्ञान के प्रति ललक रहती थी। सम्राट हर्षवर्धन के समय भारतीय ज्ञान की खोज मे आये हवेनसांग इतिहास में बहुत प्रसिद्ध हैं। 1631 ई0 में होनान फू से अनेक बाधाओं को पार करके हवेन सांग भारत आया। युवा हवेनसांग भारत की धर्म संस्कृति से बहुत प्रभावित था, उसी की खोज में वह भारत आया था। यहॉं उसने स्थान स्थान पर ज्ञान पिपासा को शांत किया। दो वर्ष बिहार में रहा और एक वर्ष नालंदा विश्वविद्यालय में उसने ज्ञान प्राप्त किया। कई वर्ष भारत में व्यतीत करने के बाद उसने भारतीय साहित्य संस्कृति का अन्य देशांे में प्रचार प्रसार करने के लिये वापस स्वदेश जाने का निश्चय किया। अपने साथ उसने नालंदा विश्ववि़द्यालय के छात्र व धर्म ग्रन्थ आदि लिये और वापसी की यात्रा प्रारम्भ हो गई। 

इन लोगों को जल थल सभी मार्गो से यात्रा करनी थी। सिंधु नदी के पास तक यह यात्री दल आराम से पहूॅंच गया, आगे की यात्रा के लिये तब एक नाव में बैठ कर रवाना हुए। आधी नदी पार किया ही था कि घनघोर घटाऐं और तेज हवाऐं चलने लगी। नाव डगमग हिचकोने खाने लगी, लग रहा था अब डूबी कि तब डूबी। 

एक तरफ तो सबकी जान खतरें में थी ही पर सारे ग्रन्थ भी पानी में डूब जायेंगे यह चिंता अधिक थी। क्या किया जायें। इतने वर्षो की खोज इस प्रकार डूब जायेगी। हवेनसांग निराश हो उठा। सभी एक छात्र बोला यदि नाव में भार कम हो जाये ंतो शायद ग्रन्थों को नष्ट होने से बचाया जा सके। नाव हल्की हो जायेगी उलटने का खतरा कम हो जायेगा। 

शेष

Saturday 17 February 2024

chunav

 चुनाव की तैयारियों के साथ ही सत्तारूढ र्पाअी की कमिया निकालना प्रारम्भ हो जाता है। बिषेश

रूप से ऐसे मुद्दे उठाये जाते हैं जो जनता से जुड़े होते हैं लेकिन उन मुछ्ों को उठाना और वायदा करना एक बात है उनको पूरा करना बिलकुल अलग है ।

सबसे पहले सवाल नौकरियों का उठता है । युवाओं की बेकारी का उठता है और कहा जाता है सरकार नौकरी दे ।हर व्यक्ति सरकारी नौकरी लेना चाहता है कारण पैसा अंत तक मिलता रहता हे ,दूसरी सबसे बड़ा कारण हैकाम नहीं करना पड़ेगा । सरकारी नौकरी का मतलब हरामखोरी होगया है । कितना भी भ्रश्टाचार मुक्त कहलें पर बिना लिये दिये तो मृत्यु सार्टीफिकेट भी नहीं बनता है । अब सरकारी नौकरी ऐसे ही तो मिल नहीं गई पूरा पैसा खर्च किया गया था उसे पाने के लिये तो वसूला तो जायेगा ही ।देष जाये गर्त में इसकी किसे चिंता है फिर दूसरी पार्टी कैसे खड़ी होगी वह कहेगी देष गर्त में जा रहा है विकास नहीं हो रहा है।क्योंकि सरकारी नौकर काम नहीं करना चाहते।