प्रातः आठ बजे हम हांगकांग जाने के लिये तैयार थे। दोपहर 12.5 की हमारी उड़ान थी। बीजिंग हवाई अड्डा, विश्व का सबसे बड़ा अड्डा देखा।बीजिंग एअरपोर्ट दूर से देखने पर डैªगन आकृति में डिजाइन किया गया है। उस समय उसकी विशेषता ज्ञात नहीं थी नहीं तो आकृति को देखने का प्रयास करते और विशाल आकृति अंदर से नहीं देखी जा सकती यह हवाई जहाज से ही देखी जा सकती थी हवाई जहाज उड़ा तब हमने बीजिंग हवाई अड्डा देखा अवश्य पर इसकी विशेषता पर ध्यान नहीं गया ।दस लाख, वर्ग मीटर क्षेत्र में बना यह एअरपोर्ट दुनिया का सबसे बड़ा एअरपोर्ट टर्मिनल है। उड़ान
स्थल के लिये मैट्रो ट्रेन जैसी ट्रेन से ले जाया गया।ट्रेन पन्द्रह मिनट तक तीव्र गति से चलती रही इससे एअर पोर्ट की लंबाई का अंदाज लगाया जा सकता है । सामान तो हवाई अड्डे पर पहुँचते ही चैक इन हो गया था। हमारे पास बस हमारे हैण्ड बैग थे। ट्रेन बीस मिनट तक पूरी रफ्तार से एअरपोर्ट की टनल में चलती रही, तब जाकर हम गंतव्य तक पहुँच एक्सेलेटर से प्रथम तल पर गये वहाँ पर बड़े-बड़े शोरूम थे। वहीं हैण्डबैग आदि चैक किया गया। विशाल लांउज में कुरसियाँ पड़ी थी यात्रा में अभी समय था बैगों में पड़ी नमकीन आदि निकल कर खिलानी प्रारम्भ हुई। साफ सुथरे फर्श पर नमकीन गिर जाती तो अपने आप ही आत्मग्लानि सी महसूस होती इसलिये बाद में सबने कोशिश की जो गिराई है उसे बीन लें।
चार घंटे की हवाई यात्रा के पश्चात् हम एक बार फिर हांगकांग हवाई अड्डे पर थे पहले दिल्ली से हांगकांग फिर हांगकांग से शंघाई की यात्रा की थी। अब फिर बीजिंग से हांगकांग पहुँचे थे। इस बार हांगकांग एअरपोर्ट अच्छी तरह से देखा हांगकांग हवाई अड्डे पर से निकलते-निकलते एक घंटा लग गया। वहाँ बड़े-बड़े शोरूम थे खाने के शोरूम पर खाना सामने बन रहा था। जो डिश खानी हो वह आपके सामने बनेगी।हर प्रकार का सामान मिल रहा था ।
यहाँ पर हमें गाइड वैंडी को मिलना था। परंतु वह पहुँची नहीं काफी समय उसे देखने में लग गया। नीचे लाउंज में एक ओर हम सब सामान लेकर बैठ गये थे और बार-बार तख्तियाँ देख रहे थे पर हमारे गु्रप के लिये कोई भी तख्ती लिये नहीं दिखी। अरस्तू प्रभाकर व शशांक प्रभाकर बार-बार इधर-उधर देख रहे थे। अंत में जब वैंडी प्रगट हुई तब जान में जान आई। बस जिस पुल को पार कर होटल की ओर रवाना हुई वह नया ही बना था। जैसे एक परीलोक के रास्ते पर चल रहे हो। बड़ी-बड़ी मोटी लोहे की लचीली रस्सियों से बंधा पुल डगमग रोशनी से नहाया अद्भुत लग रहा था।
हांगकांग दो हिस्सों में बंटा है। एक तरफ हांग और दूसरी तरफ कांग है। यह चीन के दक्षिण पठार के दक्षिण चायना सागर तथा पर्ल नदी के डेल्टा के निकट है। यह अपने प्राकृतिक गहरे बंदरगाह के लिये प्रसि( है। यह 1100 कि.मी. के क्षेत्र में फैला है इसकी जनसंख्या 7 करोड़ है। विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक केन्द्रांे में अग्रिम है।
मुझे तो बहुत कुछ मुंबई सा ही लगा समुद्र के किनारे-किनारे बसा। हांग कांग में ऊँची ऊँची अट्टालिकाएँ है। लेकिन इनमें चौथी मंजिल कहीं नहीं मिलेगी। एक दो तीन और फिर पाँचवीं मंजिल होगी फ्लैटांे के निर्माण में फेगशुई का बहुत
ध्यान रखा जाता है। बागुआ दर्पण का प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है यहाँ फ्लैट इतने पास-पास है कि खिड़की खोल कर पड़ोसी से हाथ मिला लें जैकी चेन यहीं हांगकांग का निवासी था। यहाँ पर मार्शल आर्ट बहुत लोकप्रिय है बु्रशली, चाउमन फैट एवं यूओन ओ पिंग बहुत लोकप्रिय हैं। यहाँ के हैगहोम शहर की सभी बिल्डिंग लाल ईंटों की बनी है। यहाँ की रातें बहुत खूबसूरत होती है। गोल्डन बाथ बहुत प्रसि( है।
1 जुलाई यहाँ का स्वतंत्रता दिवस है। 1839-1842 के प्रथम अफीम यु( के बाद हांगकांग ब्रिटिश शासन की एक कॉलानी बन गया।1997 के बाद यहाँ आर्थिक मंदी का दौर आया लेकिन चीन की वजह से यह आर्थिक मंदी से उबरा। यहाँ का अधिकतर निर्माण व्हूम पी ग्रुप ने कराया ये मध्य चीन से आये थे इनका शापिंग माल शिप की आकृति का है।
हॉगकॉग द्वीप विक्टोरिया हार्बर के बाद दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है। रात्रि को यहाँ लेजर शो होता है।
हॉगकॉग में अंतरिक्ष म्यूजियम ,आर्ट म्यूजियम बहुत प्रसि( है। ब्रिटिश कॉलानी अलग से है। बहुत से व्यक्ति रोज ट्रेन से शाम को चीन जाते हैं 45 मिनट में ट्रेन पहुँचा देती है। वहाँ मसाज कराकर वापस आ जाते है।कहते हैं यहॉं स्वर्ण के टब में स्नाान कराया जाता है। सुनकर सबका मन कर रहा था कि यहॉं आकर मसाज का मजा तो लेना चाहिये परंतु फीस 10 हजार डालर । चलो भाई आगे बढ़ो सोचने में कुछ खर्च नहीं होता ।मन ही मन कल्पना करो कि सोने के टब में सुगंधित पानी में गले तक डूबे हैं नजाने कितने फिल्मी दृश्य ऑंखों के आगे घूम गये ।
हांगकांग में 9 साल तक की शिक्षा स्कूल में 3 साल जूनियर स्कूल में फ्री है। उसके बाद बच्चे अपने काम में लग जाते है। इंगलैण्ड की शिक्षा व्यवस्था ही यहाँ लागू है। यहाँ की संस्कृति पूर्व व पश्चिम का मेल है।कहा जाता हैं अक्टूबर में हांगकांग स्वर्ग की तरह हो जाता है। नीला आकाश हवा में तीखापन, सूर्य में चमक ,पहाड़ पर फैली हरीतिमा को नवीनता प्रदान करता नीला बंदरगाह जैसे प्रकृति सारी सुंदरता उड़ेलती खड़ी है।हॉगकॉंग का सबसे बड़ा द्वीप लैण्ड टॉवर है यहाँ का प्रमुख व्यवसाय मछली पालन है।इसमें 18 भौगोलिक जिले है। यहाँ करीब 28 कैसीनो है जिनमें 23 कैसीनो एक ही परिवार के हैं अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम की बिल्डिंग 88 स्टोरी की है।
हांगकांग में मुख्य रूप से न्यू ईयर डे स्पिं्रग फैस्टीवल क्विंगमैग फैस्टीवल, मिड औटम फेस्टीवल और राष्ट्रीय दिवस मनाये जाते है। स्प्रिंग फैस्टीवल और नेशनल होली डे ये दो सप्ताह सुनहरे सप्ताह के रूप में मनाये जाते है।हॉगकॉग में ड्रैगन वोट रेस बहुत प्रसि( है। प्रति वर्ष अनेक टीम पूरे देश में भाग लेेने आती है। उत्सव के दौरान लोग चावल का बनाया व्यंजन खाते हैं। यहॉं की प्रसिð कहावत है ‘अपने सर्दी के कपड़े तब तक उठाकर न रखें जब तक कि चावल के डम्पलिंग न खा लें अर्थात् गर्मी डैªगन वोट उत्सव के बाद पड़ना प्रारम्भ होती है।
दूर दूर से लोग उत्सव में भाग लेने आते हैं कहा जाता है उत्सव के समय तैरना सौभाग्य और स्वास्थ्य लाता है इसे टयूस्त्र उत्सव भी कहा जाता है इस उत्सव के साथ कथा जुड़ी है
400 ई॰ पूर्व वारिंग साम्राज्य के समय च्यू राज्य के राजा हुर्द के एक मंत्री क्यू युआन केा धोखबाज अधिकारियों ने फंसा दिया राजा ने क्यू युआन को निलंबित कर देश निकाला दे दिया क्यू युआन को बहुत दुःख हुआ और वह माइलो नदी में कूद कर डूब गया। जनता नाव लेकर क्यू युआन को ढूूंढ़ने लगी लेकिन नहीं ढूंढ़ पाई। सारी नदी को चप्पुओं से छान मारा, सारा समय ड्रम बजाते रहे और चावल के गोले बनाकर मछलियों से क्यू युआन को बचाने के लिये नदी में डालते रहे।
अब इसने धीरे धीरे सांस्कृतिक प्रथा का रूप ले लिया और स्थानीय त्यौहार बन गया। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि एक अन्तर्राष्ट्रीय वोट रेस प्रतियोगिता का रूप ले लिया और बहुत उत्साह से आयोजित की जाती है।