Thursday, 23 June 2016

yojnayen

सरकार योजनाएं बनती हैं हम गरीबों के लिए यह करेंगे जो भी करेंगे गरीबों के हिट मैं करेंगे पर न सरकार के आका सोचते हैं कि गरीबों का हिट कैसे होगा और जो योजना बन रहे हैं उससे अहित कितना होगा और  असली लाभ किसको मिलेगा  सरकार योजनाए बनती है और मोठे पेट वालों का पेट और मोटा हो जाता है गररब की तो परेशानी बढ़ जाती है जिस पर सरकार का ठप्पा लग जाये वह इकाई बिलकुल बेकार हो जाती है काम करने वाले भी निकम्मे हो जाते हैं क्योकि सरकारी निति की एक बार नौकरी मिल जाये बस काम से छुट्टी मिल जाती है न कोई काम करा सकता है न नौकरी से निकाल सकता है फिर कोई क्यों काम करे  क्या कारण  है सरकारी स्वायतवता वाले सभी संसथान खली होते हैं अधिकारियो के नाम की तख्ती बंद दरवाजे और कर्मचारियों की लम्बी सूची लेकिन सूने संस्थान धुल जलों से एते पड़े होंगे उन पर सरकार का रपया लांखो हर माह खर्च हो रहा होगा जबकिुसि प्रकार संस्थानों मैं प्रवेश की भी परेशानी होगी जब कि स्वपोषित संस्थानों मैं कर्मचारी और अधिकारीयों को अधि भी सुबिधाये नहीं हैं पर सब कुछ सुचारू चलता हैहै क्योकि वह उन्नति आरक्षण के बल नहीं काम पर मिलती है ये तो सरक सरक कर चल यर ुाहि है सरकार और बस दुसरे को सरका यर और रख दे नेता के सर कार 

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