महिला पत्रिकाओं को उठाओ उसमे भी अधनंगी औरतों की तस्वीरें चस्पा हैं अर्थात औरत केवल देह है और कुछ नहीं जिसको सजाना है जिसे लुभाने के लिए तैयार करना है औरत का दूसरा काम है और न होगा टी.वी के पोस्टरों मैं सब जगह औरत की देह का प्रदर्शन रहता है ाहर जगह व्यक्तिगत कमरे के अंदर अंदर के जीवन को सार्वजनिक कराती नग्न चित्र चाँद पैसों के लिए खिचती और पत्रिका पुरुष वर्ग के लिए महिलाओं कोको तरह तरहसे पेश करती हैं अफ़सोस यह हैं इन बेहद भद्देपन को दिखने वाली पत्रिकाओं की संपादक महिला स्वयं शालीन कपडे पहने रहती हैं शालीन सम्पादकीय लिखती हैं जो दिल को छुए तब क्यों नहीं अपनी पत्रिकाओं मैं नारी देह के प्रदर्शन का बहिष्कार करती
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