बस ट्रक के पीछे लिखा रहता है हाथ दो हाथ दो अरे तुम्हे हाथ दे देंगे तो तुम्हारा दूसरा आदेश कैसे पालन करेंगे, लिखा रहता है हॉर्न दो अब हॉर्न देदेंगे हम क्या बजायेंगे वैसे ही यहाँ सड़क सबके बाप की है जैसे संसदबाप की फिर बाप के बाप की है कोई हटना ही नहीं चाहता है। हॉर्न चाहिए तो अपना खरीदो खरीदो और बजाते रहो वैसे बजने से फरक नहीं पड़ेगा क्योकि कोई सुनेगा भी नहीं सुब बोलना चाहते हैं।
टीवी पर परिचर्चा सुनो पञ्च हो या छ सुब बोलते जायेंगे कोई किसी की नहीं सुनता है लगता है काक सम्मेलन हो रहा है कोवे कांय कांय कर रहे हो जनता भी नहीं समझ पाती और फैसला हो जाता है बेचारा संयोजक चीखता रहता है गले साफ़ की दवाई खाता होगा विज्ञापन का ज़माना है पता नहीं करोड़ों देकर कम्पनियाँ अपना ब्रांड अम्बेसडर बड़े बड़े स्टारों को क्यों बनाती है जो उद्घाटन के दिन दीखते है फिर पहेलियों मैं या दिमागी उलझनों मैं मिलते है की फलां कंपनी का ब्रांड एम्बेसडर कोन है नेता तो चेहरा चमकाने के लिए बोलते हैं कुछ न कुछ तो बोलना है बोल दो दो कुछ भी बोल दो दुसरे दिन फिर चेहरा चमका देंगे की हम यह नहीं यह कह रहे थे जनता गलत समझ रही है। जनता बेचारी उसमे अकाल ही होती तो क्या बात थी उनका दोहरा फायदा ,चर्चा मैं बने रहने का अच्छा तरीका है। एक तरीका और है दुनिया ऊपर से नीचे हो जाये चुप रहो एक चुप सो को हरावे बोल बोल कर रह जायेंगे इसके लिए कुछ नहीं कहा उसके लिए कुछ नहीं कहा। आदमी की याददाश्त बहुत खराब है हल भूल जाते है। कहा तो चर्चा मैं न कहा तो चर्चा मैं। लड्डू तो दोनों हाथ मैं हैं
टीवी पर परिचर्चा सुनो पञ्च हो या छ सुब बोलते जायेंगे कोई किसी की नहीं सुनता है लगता है काक सम्मेलन हो रहा है कोवे कांय कांय कर रहे हो जनता भी नहीं समझ पाती और फैसला हो जाता है बेचारा संयोजक चीखता रहता है गले साफ़ की दवाई खाता होगा विज्ञापन का ज़माना है पता नहीं करोड़ों देकर कम्पनियाँ अपना ब्रांड अम्बेसडर बड़े बड़े स्टारों को क्यों बनाती है जो उद्घाटन के दिन दीखते है फिर पहेलियों मैं या दिमागी उलझनों मैं मिलते है की फलां कंपनी का ब्रांड एम्बेसडर कोन है नेता तो चेहरा चमकाने के लिए बोलते हैं कुछ न कुछ तो बोलना है बोल दो दो कुछ भी बोल दो दुसरे दिन फिर चेहरा चमका देंगे की हम यह नहीं यह कह रहे थे जनता गलत समझ रही है। जनता बेचारी उसमे अकाल ही होती तो क्या बात थी उनका दोहरा फायदा ,चर्चा मैं बने रहने का अच्छा तरीका है। एक तरीका और है दुनिया ऊपर से नीचे हो जाये चुप रहो एक चुप सो को हरावे बोल बोल कर रह जायेंगे इसके लिए कुछ नहीं कहा उसके लिए कुछ नहीं कहा। आदमी की याददाश्त बहुत खराब है हल भूल जाते है। कहा तो चर्चा मैं न कहा तो चर्चा मैं। लड्डू तो दोनों हाथ मैं हैं
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