गिरने का दौर जारी है रोज रिकॉर्ड टूट रहे हैं गिरने के ऱेकार्ड तो होते ही हैं टूटने के लिए अब चिंता रोज रोज रिकॉर्ड टूटने की है तो रिकॉर्ड बनाओ ही नहीं उसे बिलकुल शून्य पर पहुंचा दो। अब लो कर लो बात रुपये को गिरा हुआ क्यों बता रहे हो यहाँ तो हर बात मर्जी पर चलती है बोलने पर चलती है अगर नेता कह रहे हैं महंगाई गिर रही है तो गिर रही है उसे उठी कैसे मान लोगे। रही रुपये की बात तो गिर कहाँ रहा है ऊपर उठ रहा है गिर तो डालर रहा है अपन तो ऊपर जा रहें है जनता को समझना चाहिए हम रिकॉर्ड स्टार पर चमक रहे हैं ६४ ६५ बढ़ रहे हैं अब नेता समझायेंगे पर्यटन बढ़ रहा है विदेशियों को भारत अब सस्ता लग रहा है न बल्ले बल्ले तो उठाना हुआ न . नेता संसद मैं उठ रहे हैं मुक्के लहराते हैं तो कितनी टी आर पी टीवी की बढ़ रही है मुफ्त का तमाशा देश विदेश को मिल रहा है कितना उठ गए हैं हम नई नई गालियाँ आरोप प्रत्यारोप लगा कर बोलने की क्षमता उठ रही है। पहले अखबार मैं ,फिल्मों मैं हम आदर्श पाते थे और अपने गिरने का दुख होता था हम भी ऐसे बनेंगे अब हमारा कितना मनोबल उठ गया है की नित्य गालियाँ सुनते हैं और सुनाने वाला अपना कॉलर ऊँचा करता है वह देश का हीरो है। महिलाएं कितना उठ गई हैं दुर्गाबाई लक्ष्मीबाई अहल्या बाई से मुन्नीबाई चमेलीबाई बन गई हैं छम्मक छल्लो कहलवाने पर खुश हैं छल्ले सी ड्रेस पहन कर इठलाती हैं हैं और हम कह रहे हैं गिर रहा है सब कुछ उठ रहा हमारी बेईमानी का स्तर उठ रहा है गिर रहा है तो देश गिर रहा है हमारी संस्कृति गिर रही है हमारा ईमान हमारा चरित्र गिर रहा है पर इससे कुछ जोटा नहीं हैं इसे गिर कर हमारा बैंक बैलेंस उठ रहा है अब बस इंतजार है तो
तुमने कुचले हैं मिटटी के घरोंदे
कितने सपनों को उसके नीचे दबाया होगा
कोई कथित कीड़ा ही दफ़न मिटटी से
पाके मिटटी की ताकत सरमाया होगा
तुमने कुचले हैं मिटटी के घरोंदे
कितने सपनों को उसके नीचे दबाया होगा
कोई कथित कीड़ा ही दफ़न मिटटी से
पाके मिटटी की ताकत सरमाया होगा
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