वहाँ से हम यू-आन गार्डन चले यूआन गार्डन के रास्ते में ऊँचाई पर फ्लाई ओवर मिला उसके एक तरफ बराबर नहर चल रही थी जिसमें लोग मछली पकड़ रहे थे।पुल के एक तरफ पुरानी शैली के कुछ घर बने थे उसमें रहने वाले उन्हें बेच नहीं सकते हैं शंघाई सरकार उसे धरोहर के रूप में सुरक्षित कर रही है। वहाँ तक पहुँचते-पहुँचते बारिश शुरू हो गई समय रुकने का था नहीं यूआन गार्डन के लिये उतरते ही बरसात ने धार का रूप ले लिये बस करीब आधा किलो मीटर दूर रूक गयी।उतरते-उतरते एक दम तेज बारिश होगई थी काफी चलना था।बारिश का रुकने का इंतजार करते तो ट्रेन भी पकड़नी थी बस रुकते ही छाता बेचने वाली चीनी स्त्रियाँ आ गई जो भी मूल्य मांगे उस समय देकर सबने छाते लिये और भागते हुए आगे बढ़े। बाजार से रास्ता लंबा पड़ता इसलिये एक दूसरे गार्डन में से होकर हम निकले चारों ओर बजरी का रास्ता सड़क की तरफ बड़े वृक्ष और झाड़ियां । रास्ते के दूसरी तरफ धार दूर दूर तक गार्डन में जाने का मार्ग और हरियाली तालाब आदि
दिख रहे थे पर हम उस समय भागते बस चले जा रहे थे। छतरी नाम के लिये थी,वह उस समय ऊपर उड़ और रही थी तो उसे रोकना और पड़ रहा था।।देखने का उत्साह था एक दूसरे को देखते भागते चले जा रहे थे गार्डन पार कर थोड़ा सा बाजार फिर भी पार करना पड़ा फिर आया यू गार्डन का छोटा सा लाल पत्थर का दरवाजा।
यूआन गार्डन अवश्य कहलाता है लेकिन मिग व छिंग वंश के राजाओं का निवास स्थान था। उन्हीं के शासनकाल में इसका निर्माण हुआ। उस समय की कलात्मक शैली की छाप सब जगह है, गार्डन में जाने का मार्ग मेहराबदार लाल पत्थर का बना था। संभवतः यह शाही मार्ग था इधर-उधर बरामदे होंगे लेकिन अब यह बाजार में बदल गया है इसके दोनों ओर दुकानें थी। रास्ता करीब पाँच फुट चौड़ा था। रास्ता पार करके गार्डन का दरवाजा था। उस पर एक विशाल ड्रैगन बना था। चीन में डैªगन शुभ व शक्ति का प्रतीक माना जाात है।ड्रेगन लौकिक और अलौकिक शक्तियों का मालिक होता है वह स्वर्ग जाकर बादलों को और नमी को एकत्रित करता है और वर्षा को जीवन देता है। गार्डन में 9 कक्ष बने थे षटकोण्ीय थे । हर कक्ष पुल द्वारा एक दूसरे से जुड़े थे ।छोटे छोटे पुल, ये पुल लकड़ी के बने हुए थे। क्योंकि हर कक्ष के चारों ओर झील थी, झील करीब पाँच फुट गहरी थी उसमें कमल खिले थे उनका रंग अधिकतर पीला, नांरगी था। तरह-तरह की छोटी-बड़ी मछलियाँ स्वच्छ पानी में घूमती नजर आ रही थीं।विशेष रूप से नारंगी रंग की मछलियॉं । एक भी कागज आदि का टुकड़ा नजर नहीं आ रहा था हर कक्ष के बाहर हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी। गार्डन जिग जैग स्थिति में बना था , 1400 वर्ष पुराने इस गार्डन में सिदूरी रंग का अधिक प्रयोग किया गया है।लौटकर आये तो डा॰ सरोज भार्गव बस में बैठी नजर आईं बहुत क्रोध में थीं । एकदम किधर गायब हो गये सब के सब, कम से कम सब आ गये हैं यह तो देखना चाहिये । बरसात से भीगे तरबतर पर चहकते चेहरे अपराध बोध से ग्रस्त चुपचाप बैठ गये ।
लौटते में ई-गार्डन पर रूके। ई गार्डन अर्थात् ‘खुशियों का बाग’ ई-गार्डन में सड़क किनारे ही दो बड़े-बड़े बाग थे बड़ा-सा जीना दोनों तरफ से चढकर छत थी। वहाँ से शंघाई का दोनों ओर का दृश्य दिख रहा था। वहाँ हांग पू नदी का विहंगम दृश्य दिखाई दिया उसमें छोटे जहाज चल रहे थै। शंघाई ईस्ट और वेस्ट दो भागों में बटा है पूर्व में पुराना शंघाई और पश्चिम में नया शंघाई है। नये शंघाई में टीवी टॉवर है नीचे दो विशाल ग्लोब बने थे ओरियंटल पर्ल टॉवर में यहाँ शंघाई कन्वेशन सेंटर बना हुआ है।ग्लोब तीन खंभों पर खड़े हैं अंदर इसके ऐतिहासिक संग्रहालय के साथ-साथ विभिन्न मनोरंजन के साधन हैं।यह सुना हुआ था देखने की इच्छाा थी पर हांग पू नदी का पाट चौड़ा था वहॉं से पर्ल टावर पहुॅंचने के लिये पूरा समय चाहिये था साढे़ पॉंच बज गये थे बादल पानी की वजह से लग रहा था शीघ्र निकलें । साढ़े छः बजे स्टेशन पहुॅंचना था बीजिंग चीन की राजधानी है इसका अर्थ है उत्तरीय राजधानी। प्राचीन चीन की 9 बड़ी राजधानियों में से एक है इसकी आबादी 17 करोड़ है इसमें 16 नगर कस्बे हैं तथा 2 ग्रामीण क्षेत्रों में विभाजित है। शंघाई के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर है बीजिंग से पूर्व इसके कई नाम रहे झोगडू, डायड, बेईपिंग, पेनजिंग । 400 साल पहले फ्रांसीसी मिशनरीज ने पीकिंग शब्द का प्रयोग प्रारम्भ किया अब यह बीजिंग नाम से जाना जाता है।इसके आसपास देखने लायक कई आकर्षक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थल हैं ।
बीजिंग की यात्रा हमने चीन की सुपर फास्ट टेªन से की। बारह घंटे का सफर था। यहाँ पर भी कुली नहीं थे। अपना
सामान स्टेशन पर ले जाना था । बस ने बाहर ही छोड़ दिया। काफी दूर तक समान ले जाना था। एक साथ दोनों अदद ले जाना मुश्किल था बैग अटैची साथ में हैंडबैग इतना समय था नहीं कि एक-एक करके ले जाय किसी तरह अटैची पर रखकर ही बैग खिसकाया पर बैलेंस नहीं बन पा रहा था। जैसे तैसे सामान खिसकाया और स्टेशन के गेट तक पहुॅंचे । पर ऊॅंचा नीचा रास्ता जीना आदि देखकर और यह जानकर कि प्लेटफार्म करीब आधा किलो मीटर तो और अंदर है दम निकल गई , पर जब पता लगा कि स्टेशन के दरवाजे पर आपका सामान ले जाने के लिये खुली गाड़ी मिल जाती है,दो डालर नग के हिसाब से तो चैन आया । सफर कैसा भी हो सामान कम से कम और उठा सकने वाला ले जाना चाहिये ।हल्के और मजबूत ब्रीफकेस होना चाहिये ।
10-10 युआन में हर एक का सामान टेªन के प्लेटफार्म तक पहुँच दिया गया। ठीक डिब्बे के गेट के सामने हमारे सामान की गाड़ी रूकी। गाड़ी में से सामान टेªेन में पहुँचा के अपनी सीटों का नंबर देखा। टेªन का हर डिब्बा कूपे जैसा था एक तरफ पूरी गैलरी थी जिस पर कालीन बिछा था। एक तरफ डिब्बे थे चार-चार सीट का डिब्बा था। अरामदेह सीट थी। सबसे पहले अपना-अपना सामान जमाया। उसके बाद चाय की फिक्र हुई वहाँ अटैडेंट से पानी मांगा तो थर्मस में एकदम उबला पानी दे गई और हो गया चाय का जुगाड़। डिसपोजेबल ग्लास चाय दूध के पैकेट थे ही वहीं चाय पी जैसे एक दम थकान चढ़ गई हो चाय से फ्रैश-फ्रैश महसूस करने लगे।
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