प्रधानमंत्री जापान
सैनफ्रैंसिसको में जिस सन्धि पर आपको हस्ताक्षर करने के लिये मजबूर किया गया है वह हम ऐशियावासियों के लिये बढ़े शोक और दुःख का कारण है। जापान जैसे वीर राष्ट्र को अपने बचाव के लिये अमरीकन सेना की आवश्यकता पडेगी,यह तो सफेद झूठ है । अमरीका को विश्वास हो चुका है कि एक न एक दिन रूस के साथ युद्ध होगा ही और इसलिये वह आपकी जन्म भूमि में अपने अड्डे बनाना चाहता हे। अमरीका ने पहलेएशिया में मित्रों की खोज की किन्तु उसने दोस्मी का हाथ यों बढ़ाया जैसे दासों को इशारे से बुलाया जाता है।
अब कही कोई मित्र न मिला,तो अब डालर और एटमबम के बल पर एशियाई राष्ट्रों को अपने फन्दे में लाना चाहता है ।जापान शीघ्र ही फिर अपने पैरों पर खड़ा होगा ,ऐसा मुझे पूरा विश्वास है ।एशिया का कल्याण जापान चीन और भारत की मै़ी में है ।
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