Sunday, 12 January 2025

hum nahin rakhtey devi devtaon par shrddha

 ☺एथेनिक लुक अर्थात् भारतीय संस्कृति को दर्शाती कला,यह कला हर प्रकार की कलाओं में दिख रही है,चाहे घर की सजावट हो वस्त्र हो बिस्तर चादर हो चाहे जूते चप्पल,विवाह का निमन्त्रण पत्र या पूजा पठ के । कहीं ओम् कहीं स्वास्तिक कहीं बुद्ध कहीं राम कृष्ण। सबका प्रयोग अधिक से अधिक हो रहा है। कुर्तो पर राधा कृष्ण और दूसरे दिन वह कुर्ता पीट पीट कर धोया जा रहा है। बुद्ध सीट कवर पर कुशन कवर पर मौन तपस्यारत हैं। देखने वाला मोहित है और कुछ देर बाद बुद्ध को पीछे दावकर और नीचे दावकर बैठा है,पेट खराब है तो बार बार सुंघा भी रहा है।

बिस्तर के चादर पर राधा कृष्ण रास रचा रहे हैं और फिर उन पर बच्चे कूद फांद रहे हैं और रात को स्वयं रास रचा रहे हैं। रंगोली सजाई है ऊँ  स्वास्तिक गणपति सब सजाये फिर झाडू फिर गई कोई आस्था नहीं कोई विश्वास नहीं ।

बड़ी बड़ी देवी देवताओं की मूर्तियां बनार्इ्रं,जोर शोर से स्थापना की दस दिन तक पूजा की,उसके आगे घंटे घड़ियाल बजाये नाचे गाये फिर नाचते गाते पानी में पटक आये,बस बहुत हुआ चलो गड्ढे में। गणेशजी अच्छे प्रथम पूजियत हैं सिर पटक पटक कर रो रहे होंगे,पिताजी माताजी मुझे अंतिम पूजियत करदो । हर जगह चिपका दिये जाते हैं,चाहे निमन्त्रण पत्र हो चाहे विवाह की पीली चिठ्ठी ,सबसे ऊपर गणेश जी विराजमान होते हैं और फिर तारीख निकलते ही कूड़ेदान के हवाले फिर सड़क पर पड़े गणेशजी अपनी किस्मत  को रोते हैं। कार्ड अधिकतर घरों में कूड़ा उठाने ,कांच बिखर जाये उसे उठाने के काम भी आता है।

सड़क पर ,चौराहों पर बाल्टी में देवी देवताओं की तस्वीर सप्ताह के दिनों के हिसाब से लेकर बच्चे दौड़ते रहते हैं फिर कहीं भी सड़क पर उन्हें रखकर कुछ खापीकर उन्हीं हाथों से उन्हें उठा फिर आसामी ढूंढने लगते हैं । कितनी पवित्रता है कितनी आस्था हमारी अपने ईश्वर में । हमारा ईश्वर सरल चित्त सब सहता है 


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