औरत नरक का द्वार होती है सुनकर पढ़कर जैसे आंख जल उठती है और क्रोध से हाथ पैर मैं कम्पन सा होता है औरत भगवन के बाद का दर्ज प्राप्त है सच भी है भगवन निर्माता है नारी भी निर्माता है और उसे द्वार कहा जाये पर जब सबसे आगे महिलाओं को बिलख बिलख कर रोते देखते हैं की उनके भगवन पर आरोप लगाया गया है तब वास्तव मैं समझ आता है औरत ही औरत को नरक की ओर धकेलने वाली है। औरतों ने अपने को इतना सस्ता और बिकाऊ बना लिया है पुरुष की हैवानियत का पर्दा खुद बन जाती है और उस परदे पर पहरेदारी करके स्वयं लड़कियों को परोसती हैं इसी क्या मजबूरी थी शिल्पी की कि वह हरम की रखवाली कर रही थी क्या मजबूरी है देला दस्सा डोसा की कि वे दलाल बन बैठी उनके लिए पैसा ही शायद सब कुछ है पर कितना पैसा चाहिए किसी को वहां रोटी के साथ एस क्या मिल जाता था जो इतना नीचे गिर जाती थीं।
अधिकांश देखा गया है कथित संतों की सेवायत खूबसूरत जवान लड़कियां होती हैं कोई बड़ी उम्र की कुरूप औरत कभी नहीं मिलेगी कुछ दिन बाद देखोगे तो दूसरी कमसिन लड़की खड़ी पंखा झलती रहेगी चाहे शीशे के पीछे एसी चल रहे होंगे क्या इन्हें संत कहा जा सकता है इन संतों को नीचे गिराने मैं प्रमुख रूप से किसका हाथ है आदम को हव्वा ने ही स्वर्ग से निकाल दिया जब औरत भगवान् मानकर जवान बेइयोन को प्रसाद हेतु संतों के पास भेजने मैं नहीं हिचकिचाते बेटी भोग्य हुई यह सोचकर धन्य होते रहेंगे तो यह संतों का दोष नहीं महिलाओं का स्वयं का दोष है
अधिकांश देखा गया है कथित संतों की सेवायत खूबसूरत जवान लड़कियां होती हैं कोई बड़ी उम्र की कुरूप औरत कभी नहीं मिलेगी कुछ दिन बाद देखोगे तो दूसरी कमसिन लड़की खड़ी पंखा झलती रहेगी चाहे शीशे के पीछे एसी चल रहे होंगे क्या इन्हें संत कहा जा सकता है इन संतों को नीचे गिराने मैं प्रमुख रूप से किसका हाथ है आदम को हव्वा ने ही स्वर्ग से निकाल दिया जब औरत भगवान् मानकर जवान बेइयोन को प्रसाद हेतु संतों के पास भेजने मैं नहीं हिचकिचाते बेटी भोग्य हुई यह सोचकर धन्य होते रहेंगे तो यह संतों का दोष नहीं महिलाओं का स्वयं का दोष है
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