Wednesday, 9 October 2013

Nari kya

औरत  नरक का द्वार  होती है  सुनकर पढ़कर  जैसे आंख जल उठती है  और क्रोध  से हाथ पैर मैं कम्पन सा होता है  औरत  भगवन के बाद का दर्ज प्राप्त है  सच भी है भगवन  निर्माता है  नारी भी  निर्माता  है  और उसे द्वार  कहा जाये  पर जब सबसे आगे महिलाओं को बिलख बिलख  कर रोते  देखते हैं  की  उनके भगवन  पर आरोप लगाया  गया है तब वास्तव मैं समझ आता है औरत ही औरत  को नरक की ओर धकेलने  वाली है। औरतों ने अपने को इतना  सस्ता और बिकाऊ  बना लिया है पुरुष की हैवानियत का पर्दा खुद बन जाती है  और उस परदे पर पहरेदारी करके  स्वयं  लड़कियों को परोसती हैं  इसी क्या मजबूरी थी शिल्पी की कि  वह हरम की रखवाली कर रही थी  क्या मजबूरी है  देला दस्सा   डोसा   की   कि  वे  दलाल बन  बैठी  उनके लिए पैसा ही शायद  सब कुछ है  पर कितना पैसा चाहिए  किसी को वहां  रोटी के साथ एस क्या मिल जाता था जो इतना नीचे गिर जाती थीं।
अधिकांश देखा गया है  कथित संतों की  सेवायत  खूबसूरत जवान  लड़कियां होती हैं  कोई बड़ी  उम्र की  कुरूप  औरत कभी  नहीं मिलेगी  कुछ दिन बाद  देखोगे तो  दूसरी  कमसिन लड़की  खड़ी पंखा  झलती रहेगी चाहे शीशे के पीछे एसी  चल रहे होंगे  क्या इन्हें संत  कहा जा सकता है  इन संतों को नीचे गिराने मैं प्रमुख  रूप से  किसका हाथ है  आदम को हव्वा ने  ही स्वर्ग से निकाल  दिया  जब औरत भगवान् मानकर  जवान  बेइयोन को  प्रसाद हेतु  संतों  के पास भेजने मैं नहीं हिचकिचाते  बेटी भोग्य हुई यह सोचकर धन्य होते रहेंगे तो  यह संतों का दोष नहीं महिलाओं का स्वयं का दोष  है

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