Wednesday, 23 January 2013

ओ  काली कमली वाले
तेरे सारे खेल निराले
अब बात समझ मैं आई
क्यों तूने ड्रेस काली  बनाई
गंगा तो तूने  बहाई
लाइन पालिका से डलवाई
जब पानी ही नलों  मैं नहीं  आता
कपडे कहाँ से धुलवाता

ओ काली कमली वाले
अब बात समझ मैं आई
क्यों तूने भस्मी रमाई
पार्वती के नहाने की तो बात आती है
पर तू कभी नहाया यह नहीं बताती
भस्मी से वो तन को साफ़ करते
जो ठन्डे पानी से नहाने से डरते
गैस पर तेरे यहाँ भी कंट्रोल  होगा
गरम पानी कंहाँ  से करते भाई

ओ काली कमली वाले
तेरे काम निराले
अब समझ मैं आया
क्यों तूने चाँद सर पर लगाया
तेरे सारे दोस्त ही निशाचर हैं
काट लें तो मर जाएँ संगी विषधर हैं
तेरे कैलाश पर भी बिजली नहीं आती होगी
लगता है तूने भी टोरेंट का मीटर लगवाया

ओ काली  कमली वाले
तुझसे सीखेंगे  सब नीचे वाले
तूने क्यों नदिया को बनाया सवारी
समझ गए तेरी भी होगी लाचारी
तेरी सरकार भी गणो   के आधीन  होगी
जिन्हें दियें होंगे अधिकार हेराफेरी की होगी
घटा जोड़ गुणा करते रहे होगे
जोड़ गुणा  उनके घटा तुझे दिखाते होंगे
पेट्रोल डीजल गैस की सब्सिडी उनकी कारों की
तेरे पास तो भूसा होगा खिलाने को
यहाँ तो वह भी है लाचारी
यहाँ तो भूसा भी कर देते हैं बिहारी 

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