एक बेटी का प्रश्न
माँ तूने जब जन्म दिया तो तुझे देख मुस्काई
पर तेरी आंखे मुझको पा ऐसे क्यों भर आई
ममता भरे हाथ हैं तेरे है बेहद नरमाई
पर उस ममता मैं भी मैंने एक कपकपी पाई
मैं तो तेरी छाया पर तू क्यों न हरषाई
फेर लिया क्यों मुझसे चेहरा दूर मुझे सरकाई
तेरे रक्त मांस से बनकर तुझसे सांसें पाई
तेरी अनुकृति बनकर ही मैं इस धरती पर आई
समझ गई मैं तुझको भी थी पुत्र जनम की आशा
सूखा तेरा आंचल मन मैं तुझको हुई निराशा
माँ की ममता फर्क न जाने बात यही मशहूर
बेटी शब्द जुड़ा तो क्यों मैं हो गई तुझ से दूर
माँ तेरा अंचल मिल जाये तो कर जाऊ कुछ काम
आसमान मैं जाकर मैं लिख दूँगी तेरा नाम
No comments:
Post a Comment