Wednesday, 26 December 2012


एक  बेटी  का प्रश्न 

माँ  तूने जब जन्म दिया तो तुझे  देख  मुस्काई 
पर तेरी आंखे  मुझको पा   ऐसे  क्यों भर आई 
ममता भरे हाथ हैं तेरे  है बेहद नरमाई 
पर  उस ममता  मैं भी मैंने  एक कपकपी पाई 
मैं तो  तेरी छाया  पर  तू क्यों  न हरषाई 
फेर लिया क्यों मुझसे चेहरा  दूर मुझे  सरकाई 
तेरे रक्त मांस से  बनकर  तुझसे सांसें  पाई 
तेरी  अनुकृति  बनकर ही मैं इस धरती  पर आई 
समझ गई मैं तुझको भी थी  पुत्र जनम  की आशा 
सूखा तेरा आंचल  मन मैं  तुझको हुई  निराशा 
माँ की ममता फर्क न जाने  बात यही मशहूर 
बेटी शब्द  जुड़ा  तो क्यों मैं हो गई तुझ से  दूर 
माँ तेरा अंचल  मिल जाये  तो कर जाऊ  कुछ काम 
आसमान  मैं जाकर मैं  लिख दूँगी तेरा नाम 









No comments:

Post a Comment