पिट्ठू का ठेकेदार दिखा । पिट्ठू उसको घेर कर खड़े हो गये । एक एक यात्री से ठेकेदार पर्ची उठवाता जिसका नाम खुलता वह पिट्ठू खुष हो जाता और यात्री के साथ हो जाता । उन पिट्ठुओं को देखकर बचपन की परियों की कहानियॉं याद आ गईं जिसमें परी के साथ बौना भी होता । पिट्ठू अर्थात वह इंसान जो परिक्रमा में आपके साथ आपका सामान पीठ पर लेकर कदम दर कदम चलेगा ।झरने पहाड़ आपका हाथ पकड़कर पार करायेगा जहॉं घोड़े साथ छोड़ देते हैं पिट्ठू निरंतर साथ रहता है। भाषा की समस्या यहॉं सामने आती है लेकिन सांकेतिक भाषा काम कर जाती है पानी खाना रुकना बैठना चलना सोना ऐसे संकेत हैं जो सार्व भैमिक हैं । अधिकतर पिट्ठूओं ने लंबा चोगा पहन रखा था जादूगरों जैसा ऊपर गोल नुकीली फुंदने वाली टोपी पैरों में फर वाले जूते । गले में बड़े बड़े मनकों की मालाऐं । कुछ पिट्ठुओं ने घेर वाली ऊनी फ्राक ऊनी पाजामा व गोल टोपी लगा रखी थी । एक पिट्ठू मेरे पास ही खड़ा था छोटा कद करीब चार फुट का लंबी फुदने वाली टोपी ऊनी फ्राक ढीला पाजामा मोटी मोटी नाक गोल चेहरा परी कथा के सात बौनों में से एक बौना सामने हो जब किसी दूसरे का नाम निकलता वह निराष हो जाता । घोड़े कम थे पर पिट्ठू बहुतायत में । पिट्ठू की
कीमत घोड़ों से आधी भी नहीं है । गोयल साहब ने पर्ची उठाई नाम निकला वह एकदम खिलखिला उठा एक दम उछलने सा लगा और तुरंत बैग हाथ से ले लिया ।
धोड़े आने में देर हो रही थी जो पैदल जाने वाले थे वे आगे चल दिये याकों पर सामिग्री लद गई वे भी बढ़ दिये लेकिन घोड़े नहीं आये सभी वापस जाने वाले साथी डेरे पर चल दिये हम और शोभा भाभी रह गये मन था घोड़े वाले यात्री भी चले जायें लेकिन ड्राइवर हल्ला मचाने लगा उसे दो दिन मिल रहे थे वह पास ही गॉंव जाना चाहता था । मन ही मन भोले बाबा से प्रार्थना की और बधाई देकर वापस चल दिये । स्तम्भ वाला स्थान आया हमने परिक्रमा लगाने के लिये कहा तो ड्राइवर ने कहा देर हो जायेगी करीब आधा किलोमीटर की परिक्रमा तो थी ही एक परिक्रमा उसने गाड़ी से लगवा दी तीन लगवाने के लिये तैयार नहीं हुआ क्योंकि डीजल तो खर्च होता । वैसे चीन में डीजल पैट्रोल के दाम बहुत कम हैं । अंदर ही अंदर अपनी विवषता से आहत थे अपने ष्शरीर को ऐसा क्यों बना लिया कि हम नहीं जा सके जबकि हम कहीं अधिक उम्र के व्यक्ति पैदल जा रहे थे । सबसे अधिक आष्चर्य 85 वर्ष के बुजुर्ग को देखकर हो रहा था जिनका अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या पर नियन्त्रण नहीं है चलने में लगता है हवा के झोंके से गिर जायेंगे वे ही सबसे आगे चल रहे थे ।।
जिसने भी उनसे मना किया कि आप न जाइये पलटकर बोले आपको क्या? मैं जा रहा हॅूं अपनी मर्जी से जा रहा हॅूं मुझे कुछ हो जाये आप वहीं छोड़ आना। पैदल यात्री मैदान के बाद दो पहाड़ियों के बीच होकर कैलाष क्षेत्र में प्रवेष कर रहे थे ।और हम विवश से देख रहे थे ।एक तरफ न जाने की निराशा दूसरे साथी कं इसप्रकार के क्षेत्र में जाना जो बहुत मुश्किल है दारचेन पहुॅंच कर सभी बचे यात्री अपनी थकान मिटाने कपड़े आदि धोने में लग गये । गैस्ट हाउस से कुछ दूर चलकर गरम पानी के स्नानघर बने थे पच्चीस युआन अर्थात पचहत्तर रूपये में नहाने को मिल रहा था अब यह सुविधा हर पड़ाव पर मिलने लगी है हॉं रुपयों में कम बढ़ अवष्य है।
ज्येाति की तबियत खराब हो रही थी उसे जरा जरा देर में गर्म पानी और ग्लूकोज पीना पड़ रहा था उसकी सॉंस बेहद फूल रही थी निमोनिया का भी असर था। उसके लिये गरम पानी मैंने वहीं ला दिया और चादर लगा दी उसने गर्म पानी से हल्का सा स्पंज किया और कपड़े बदल लिये ।सुरमई शाम का नजारा दारचेन में अदभुत् था तीन संध्याऐं तीन तरह की रहीं । बादलों के बीच में सूर्य की किरणों कीलुका छिपी और बैंगनी लाल नीले रंग का सम्मिश्रण वाला आकाष नवीन जगत की संरचना कर रहा था ।
रंग बिरंगी मालाऐं पहने और हाथ में लिये तिब्बती बालाऐं फिर चक्कर लगाने लगीं कुछ कुछ सबने निषानी हेतु खरीदा । खाने के बाद जडेजा ,नाथूभाई डोरिक ,सुरेष नाहर आदि सभी एक कमरे में एकत्रित हुए और सबने तन्मयता से भजन गीत आदि गाये ।पास ही यात्रियों की आवक जावक हो रही थी ज्येति बेचैन थी बार बार उसका अस्थमा उखड़ आता था दम दम पर उसे गर्म पानी देना पड़ रहा था।उसकी देखभाल मैं ही कर रही थी क्योंकि वह अकेली ही यात्रा कर रही थी
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