किसी ने सच ही कहा हैः
जिव्हा ऐसी बाबरी, कर दे सरग पाताल,
आपन कह भीतर गई, जूती खात कपाल।
सच ही है जरा सी चीज है पर चिकनी ऐसी कि झट फिसल जाती है। कितना ही पकड़ो, पकड़ ही नहीं आती है। दिमाग में जो चल रहा होता है पट से आ जाता है। लाख चेहरे पर, जुबान पर पहरे लगाओं लाख गा गा कर मर जाओ, पर्दे में रहने दो, पर पर्दा है कि उठ ही जाता है। यह तो वैज्ञानिक सच है कि किसी की भी जीभ एक सी नहीं होती जैसे हाथ के निशान अलग अलग होते हैं जीभ भी अलग अलग होती है तब ही तो जुमले भी है कि अलग अलग निकलते रहते हैं।
संजय निरुपम की जीभ फिसल कर बोली स्मृति ईरानी को ‘ठुमके लगाने वाली’ ‘बड़ा दुःख है। स्मृति ईरानी के कई सीरियल देखे, पर ठुमके लगाते नहीं देखा, पता नहीं लोग कहां कहां ठुमकेवालियों को देख आते हैं कैसे इतने अनुभव कर लेते है भाई लोग। छत्तीसगढ़ के भाजपा के वरिष्ठ सांसद सचेतक रमेश बैस आदिवासी आश्रम में दर्जन भर नाबालिग बच्चियों के साथ अनाचार की घटना पर 9 जनवरी को बोले, बराबरी या बड़ी उम्र की महिलाओं के साथ बलात्कार तो समझा जा सकता है
जिव्हा ऐसी बाबरी, कर दे सरग पाताल,
आपन कह भीतर गई, जूती खात कपाल।
सच ही है जरा सी चीज है पर चिकनी ऐसी कि झट फिसल जाती है। कितना ही पकड़ो, पकड़ ही नहीं आती है। दिमाग में जो चल रहा होता है पट से आ जाता है। लाख चेहरे पर, जुबान पर पहरे लगाओं लाख गा गा कर मर जाओ, पर्दे में रहने दो, पर पर्दा है कि उठ ही जाता है। यह तो वैज्ञानिक सच है कि किसी की भी जीभ एक सी नहीं होती जैसे हाथ के निशान अलग अलग होते हैं जीभ भी अलग अलग होती है तब ही तो जुमले भी है कि अलग अलग निकलते रहते हैं।
संजय निरुपम की जीभ फिसल कर बोली स्मृति ईरानी को ‘ठुमके लगाने वाली’ ‘बड़ा दुःख है। स्मृति ईरानी के कई सीरियल देखे, पर ठुमके लगाते नहीं देखा, पता नहीं लोग कहां कहां ठुमकेवालियों को देख आते हैं कैसे इतने अनुभव कर लेते है भाई लोग। छत्तीसगढ़ के भाजपा के वरिष्ठ सांसद सचेतक रमेश बैस आदिवासी आश्रम में दर्जन भर नाबालिग बच्चियों के साथ अनाचार की घटना पर 9 जनवरी को बोले, बराबरी या बड़ी उम्र की महिलाओं के साथ बलात्कार तो समझा जा सकता है
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