Wednesday, 22 October 2014

bhagwaan ki Insaan se prayer

मुझ  पर दया करो इंसान
मुझ पर दया करो  इंसान

मंदिर मैं घंटे बजते हैं
मस्जिद मैं हो रही अजान
चारो ओर  पुकारे हा हा
देदे देदे हे  भगवान्।

कोई कहता लक्ष्मी देदे
कोई कहता आसन
कोई कहता छाया देदो
कोई कष्ट निवारण।

अल्लाह भी हैं मेरे भाई
लेकिन उनमें है चतुराई
कहाँ की जन्नत कैसी जन्नत
 देती नहीं दिखाई  …

पैगम्बर है वन मैं अटके
 ईसा  रूप मैं क्रॉस पर लटके
ऐसे मैं बस दया दिखाएँ
कैसी जुगत  भिड़ाई।

लेकिन मेरी मुश्किल कैसी
दिखते  हाथ अनेकों
अपने सब हाथो से दाता
किरपा सारी  फेंको।

चंदा को भी जा घर भेजा
जिससे सब हो जाये अँधेरा
ब्रह्माजी ने कृपा करी और
देने बैठे पहरा

डर जायेंगे शेषनाग से
उसका पलंग बनाया
सागर मैं जा छिप  कर लेटा
पर मानुष को चैन न आया

जल जल कर दिए अनेकों
मुझको घेर लिया था
सोने की मेरी इच्छा को
उसने ढेर किया था।

उठ जाओ बस बहुत सो लिए
देदो हमको दान
देदो देदो की आवाजें
फोड़ रही थी कान।

लेकिन इससे ज्यादा मुश्किल
लक्ष्मी को लेकर है आई
देदो देदो लक्ष्मी देदो
करते यही दुहाई

अपनी पत्नी कैसे देदूं
कैसा तू नादान
अपने घर को  सूना कर लूँ
सोच जरा इंसान

दर्शन से यदि हो जाये तो
घर घर  लक्ष्मी जाए
सौ सौ ताले लगा लगा कर
करते अंतर्ध्यान। 

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