Thursday, 7 November 2013

samaj seva

एक भव्य कार्यक्रम हुआ और सम्पन्न हो गया  बड़े पुण्य के कार्य के लिए कार्यक्रम हुआ  शहर के प्रसिद्ध  समाजसेवी उपस्थित  थे बड़े धार्मिक  गुरु भी उपस्थित थे क्योंकि  अभिनेत्री  नृत्यांगना  उनकी प्रिय शिष्या  है भव्य मंच भव्य साज  सज्जा  और इतना भव्य कार्यक्रम तो सारा प्रशासन तो होगा ही शहर की  सभी नामचीन  हस्तियां तो  उपस्थित होंगी ही  पास से एंट्री थी तो यदि  पास नहीं तो शहर का नामी  व्यक्तित्व  नहीं  इसलिए उनको अपनी उपिस्थिति  दिखाना जरूरी है  काम भी तो बहुत नेक  था  सुदूर अशिक्षित अविकसित सभ्य समाज से दूर  इंसानो के भले के लिए . सबने नृत्यांगना  की  कला को देखा और सराहा और धन्य हुए और ध न्य  हुए  वे दूरस्थ प्राणी  नयनसुख  मिला आत्मा बाग़  बाग  हुई तो  लहरें सुदूर् वासियों को  जरूर पहुंची होंगी कवि  निदा फाजली ने कहा तो माँ के लिए है पर सटीक बैठती है
मैं रोया परदेस मैं भीगा (माँ ) समाजसेवियों का प्यार
दिल ने दिल से बात की  बिन चिट्ठी बिन तार
राम ने अपने साथ जंगल वासियों को जोड़ा था  तो स्वाभाविक है कार्यक्रम  भी राम को ही समर्पित होगा वैसे भी  संस्था उनके हित मैं कभी रामकथा आदि कराती रहती है  यह सब उनके हित मैं यहीं शहर मैं होता है कि उन्हें शिक्षा मिल जायेगी  हाँ अपने शहर की  बस्तियों मैं उससे बुरा हाल है। एक घटना याद आती है विदेश मैं बसे बच्चो ने ने माँ का जन्मदिन मनाया बड़ा सा केक कटा और  स्वदेश मैं  अकेली बैठी माँ को फोन किया माँ हम तुम्हारा जन्मदिन मन रहे हैं फोन पर माँ को सुनाया माँ हैप्पी बर्थ  डे टू  यू सबने मिल कर गया  सुन सुन कर कल्पना कर रही माँ प्रस्सन्न थी आशीर्वाद दे रही थी कितना ख्याल रखते हैं बच्चे  और बच्चे केक के साथ स्वादिष्ट  खाना खाते  कह रहे थे माँ बहुत बढ़िया खाना है  और माँ  सुबह कि राखी रोटी एक सब्जी से खा आशीष देती अकेली सो गई

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